इंदौर दुग्ध संघ के रिटायर्ड अफसरों पर बरसी मेहरबानी

रिटायर्ड अफसरों

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। इंदौर दुग्ध सहकारी संघ में सेवानिवृत्त हो चुके तीन अफसरों पर बरसी मेहरबानी विवाद का रूप लेती जा रही है। इसकी वजह यह है कि नियमों को ताक पर रखकर मप्र स्टेट डेयरी को-आॅपरेटिव फेडरेशन ने इन्हें एक साल की सेवा नियुक्ति दे दी। इसे एक साल ओर बढ़ाने का भी प्रस्ताव है। इससे नए लोगों के अवसर ही खत्म हो गए, तो डेयरी फेडरेशन में आक्रोश बढ़ रहा है। बताया जा रहा है कि फेडरेशन के प्रबंधन ने तीनों अफसरों की नियुक्ति के लिए फेडरेशन के 1985 के कर्मचारी भर्ती वर्गीकरण तथा सेवा शर्ते विनियम में ही बदलाव कर दिया। हालांकि जो बदलाव करवाया गया था, उसे भी विलोपित कर दिया गया, लेकिन इनकी नियुक्ति यथावत है।
जानकारी के अनुसार इंदौर दुग्ध सहकारी संघ में लगभग 100 करोड़ के दो बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इन प्रोजेक्ट में सेवानिवृत्त हो चुके तीन अफसरों प्रभारी सीईओ इंदौर दुग्ध संघ, एएन द्विवेदी, प्रभारी महाप्रबंधक एसजी जाधव और पशु चिकित्सा अधिकारी सह प्रभारी महाप्रबंधक डॉ ओपी झा की दिलचस्पी बढ़ती देख, मप्र स्टेट डेयरी को-आॅपरेटिव फेडरेशन ने इन्हें एक साल की सेवा नियुक्ति दे दी। इसे एक साल ओर बढ़ाने का भी प्रस्ताव है।डेयरी फेडरेशन ने सेवा शतों में बदलाव के लिए सहकारिता एवं पंजीयक सहकारी संस्थाएं के रजिस्ट्रार को प्रस्ताव भेजा था, जिस पर तत्कालीन रजिस्ट्रार नरेश कुमार पाल ने 29 दिसंबर, 2021 को 1985 के नियमों में संशोधन कर इनकी नियुक्ति के रास्ते खोल दिए और 31 दिसंबर 2021 को ही तीनों के नियुक्ति आदेश जारी हो गए। इसके बाद नरेश कुमार पाल ने अपने ही आदेश को (29 दिसंबर के आदेश को) एक महीने बाद 24 जनवरी, 2022 को विलोपित कर दिया।
तीनों की नियुक्ति में तगड़ी मिलीभगत
 दिलचस्प बात यह है कि नरेश कुमार पाल 31 जनवरी को रिटायर हुए और उन्होंने डेयरी फेडरेशन के नियुक्ति संबंधी आदेश को विलोपत 24 जनवरी को विलोपित कर दिया। लेकिन फेडरेशन ने जिन तीन अफसरों को 62 साल में रिटायर कर दिया, एक साल की नियुक्ति आदेश दिए, उसे न तो निरस्त किया और न ही सहकारिता रजिस्ट्रार के विलोपित आदेश का पालन किया। इसके चलते फेडरेशन और इंदौर सहकारी दूग्ध संघ समेत सभी दुग्ध संघों में चर्चा है कि तीनों की नियुक्ति में मिलीभगत तगड़ी हुई है। एमडी मप्र डेयरी फेडरेशन शमीम उद्दीन का कहना है कि सहकारिता से हुआ आदेश डिस्मिस हो गया, लेकिन शासन को फाइल गई थी। रजिस्ट्रार ने नियुक्ति के प्रावधान निरस्त किए हैं, लेकिन सेवा वृद्धि की अनुमति वापस नहीं ली। बताया जा रहा है कि इंदौर दूग्ध संघ द्वारा इंदौर क्षेत्र में ही 80 करोड़ की लागत से दूध पॉवडर बनाने का प्लांट स्थापित किया जा रहा है। साथ ही यहां 15-20 करोड़ की लागत से सांची कुकीज (बिस्किट) का प्लांट भी स्थापित किया जा रहा है। साथ ही इंदौर दुग्ध संघ में राजस्व की आवक सबसे अच्छी है, इसलिए इंदौर दुग्ध संघ के सीईओ समेत अन्य पदों को डेयरी फेडरेशन में मलाईदार पोस्ट मानी जाती है। इन दोनों बड़े प्रोजेक्ट/निर्माण में दिलचस्पी के कारण ही इंदौर दूग्ध संघ के प्रभारी सीईओ व सहायक महाप्रबंधक एएन द्विवेदी, प्रभारी महाप्रबंधक एसजी जाधव और पशु चिकित्सा अधिकारी सह प्रभारी महाप्रबंधक डॉ ओपी झा को 62 साल की उम्र में रिटायर होने के बाद भी नियुक्ति दे दी।
मामला हाईकोर्ट पहुंचा
विवाद की एक वजह यह है कि रिटायर अफसरों की नियुक्ति के साथ ही एक-एक साल करके इसे दो साल तक बढ़ाने का भी प्रस्ताव में उल्लेख है। जबकि राज्य शासन, सामान्य प्रशासन के नियमानुसार 62 साल में रिटायरमेंट के बाद आवश्यकता होने पर कर्मचारियों को संविदा नियुक्ति दी जा सकती है, सेवा वृद्धि नहीं की जा सकती है। जब इस प्रकरण ने तुल पकड़ा तो डेयरी फेडरेशन प्रबंधन ने आनन-फानन में मप्र हाईकोर्ट जबलपुर में केविएट दायर कर दी, ताकि कोर्ट प्रकरण न बन सके अथवा कोई याचिका दायर न हो पाए। साथ ही यह भी कहा कि कोई याचिका दायर करना चाहता हैं तो याचिका दायर करने से पहले समस्त दस्तावे, दावा/याचिक की प्रति पहले डेयरी फेडरेशन के सामने पेश करना होगी। जब फेडरेशन प्रबंधन ने केविएट दायर की तो प्रदेशभर में हल्ला मच गया कि इंदौर के दोनों बड़े प्रोजेक्ट में लाभ-हानि पाने के लिए तीनों अफसरों से मिलीभगत कर नियुक्ति दी गई है।

Related Articles