
-प्रदेश सरकार ने जो लक्ष्य तय किया है उसके तहत अगले वर्ष तक 54,903 गांव का सर्वे किया जाना है
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश सरकार द्वारा पिछले साल शुरू की गई स्वामित्व योजना के तहत ग्रामीणों को अपनी निजी संपत्ति पर मालिकाना हक पाने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा। इसकी बड़ी वजह है स्वामित्व योजना में गांव-गांव में किए जा रहे सर्वे कार्य की गति धीमी होना। दरअसल इस योजना के तहत सर्वे कार्य की गति बहुत सुस्त है। यही वजह है कि इस योजना में सरकार ने जो लक्ष्य तय किया था अब उसको तय समय पर पूरा कर पाना मुश्किल हो रहा है। बता दें कि स्वामित्व योजना के तहत प्रदेश सरकार ने जो लक्ष्य तय किया है उसके तहत प्रदेश में अगले वर्ष तक कुल 54,903 गांव का सर्वे किया जाना है।
वहीं इस साल के लिए जो लक्ष्य निर्धारित किया गया है उसके तहत साढ़े बाईस हजार गांवों का सर्वे किया जाना है लेकिन इस साल के पांच महीने बीत जाने के बाद भी अब तक लगभग 16 सौ गांवों का ही सर्वे किया जा सका है। योजना के काम में सुस्ती की वजह से माना जा रहा है कि इस इस योजना का काम अगले दो साल में भी पूरा होना मुश्किल है।
संपत्ति के दस्तावेज होने पर ले सकेंगे बैंक से लोन
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश को आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाने का बड़ा लक्ष्य तय किया है। इसके लिए विकास का बाकायदा रोडमैप तैयार किया गया है। यही नहीं पिछले साल इसके तहत जोर शोर के साथ काम शुरू किया गया था। महत्वाकांक्षी स्वामित्व योजना के तहत भी लक्ष्य तय किए जाकर काम होना था। जिसमें ग्रामीणों को उनकी निजी संपत्ति का सर्वे कर, उन्हें मालिकाना हक दिया जाना है। दरअसल अभी भूस्वामी अपनी निजी भूमि पर मकान तो बना लेता है लेकिन उसके पास मकान या उस संपत्ति का कोई रिकॉर्ड या दस्तावेज नहीं होता है। इसे देखते हुए ही मध्यप्रदेश में स्वामित्व योजना शुरू की गई है। इसके तहत ऐसे सभी ग्रामीण क्षेत्रों का सर्वे किया जाकर ग्रामीणों को उनकी संपत्ति का मालिकाना हक उन्हें दिया जाएगा। अभी उनके पास संपत्ति होते हुए भी उसका कोई मूल्य नहीं है ना ही वे उस संपत्ति पर बैंक से लोन ले सकते हैं। क्योंकि उनके पास मौजूद संपत्ति के दस्तावेज नहीं हैं। भले ही वह संपत्ति करोड़ों रुपए के मूल्य की है। यही वजह है कि ग्रामीण लोग संपत्ति के दस्तावेज नहीं होने की वजह से इस संपत्ति का सदुपयोग नहीं कर पाते हैं। वहीं मालिकाना हक मिलने के बाद गांव में मकान और संपत्तियों के आधार पर ग्रामीण लोन ले सकेंगे।
कृषि भूमि के डायवर्सन के मामले की रहेगी जानकारी
स्वामित्व योजना के तहत मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता भू सर्वेक्षण तथा अभिलेख द्वारा बाकायदा नियम जारी किए गए हैं। इसी आधार पर राजस्व विभाग ग्रामीणों के लिए भूस्वामी का दस्तावेज जारी करेगा। यही नहीं इसके साथ ही विभाग यह पता लगाएगा कि कृषि भूमि के गैर कृषि प्रयोजन के लिए लिए डायवर्सन तो नहीं किया गया। इसके तहत राजस्व निरीक्षक की जिम्मेदारी होगी कि वह कृषि भूमि तथा आबादी भूमि के उस प्रयोजन से जिसके लिए वह अलग रखी गई थी यदि किसी अन्य प्रयोजन के लिए डायवर्सन के प्रत्येक मामले का तथा बाद में एक गैर कृषि प्रयोजन से दूसरे गैर कृषि कृषि प्रयोजन में डायवर्सन का पता लगाएगा। राजस्व निरीक्षक ऐसे मामले सामने आने पर राजस्व अपनी रिपोर्ट तैयार करेगा और इसकी सूचना वह तहसीलदार को अनिवार्य रूप से देगा।