
नयी दिल्ली/बिच्छू डॉट कॉम। फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर भारत के महान धावक मिल्खा सिंह का कल देर रात निधन हो गया. 91 वर्षीय मिल्खा सिंह को कोरोना होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां गुरुवार को उनकी रिपोर्ट निगेटिव तो आ गई थी लेकिन कल उनकी हालत नाजुक हो गई और उन्होंने जिंदगी का साथ छोड़ दिया। शुक्रवार को जब मिल्खा सिंह की हालत बिगड़ने लगी तो पीजीआई के डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें वेंटिलेटर पर रखना होगा। परिजनों ने मिल्खा सिंह को वेंटिलेटर पर रखने से मना कर दिया था। परिजनों को आभास हो गया था कि निर्मल मिल्खा सिंह के जाने के बाद वे ज्यादा दिन तक जी नहीं पाएंगे। वेंटिलेटर पर उनके जीवन को खींचना ठीक नहीं होगा। पत्नी के साथ उनका जबरदस्त बंधन था। दो दिन से उनकी याद आने लगी थी। परिजन अंतिम समय पर चाहते थे कि वे बिना किसी कष्ट के ही शांतिपूर्ण अंतिम यात्रा पर जाएं। हालांकि पीजीआई के डॉक्टर और परिजन लगातार उनकी देखरेख में लगे रहे।निधन के बाद परिजन उनके पार्थिव शरीर को चंडीगढ़ सेक्टर आठ स्थित घर पर ले आए थे। घर पर सन्नाटा पसरा हुआ था। घर पर जीव मिल्खा सिंह के साथ उनकी पत्नी कुदरत मिल्खा सिंह, बेटा हरजय मिल्खा सिंह और मिल्खा की बेटी मोना और सोनिया मौजूद थीं। मिल्खा सिंह का संस्कार शनिवार को दोपहर बाद सेक्टर-25 में किया जाएगा। इससे पहले उनके पार्थिव शरीर को लोगों के दर्शन के लिए रखा जाएगा।मिल्खा सिंह के निधन के बाद उनके बेटे व अंतरराष्ट्रीय स्तर के गोल्फर जीव मिल्खा सिंह ने कहा कि मेरे पिता का निधन रात 11.30 बजे के करीब हुआ। शुक्रवार को उन्होंने अपनी जिंदगी के लिए काफी संघर्ष किया था लेकिन भगवान के अपने तरीके हैं। यह सच्चा प्यार और साथ था कि पांच दिन में मां और पिता दोनों चले गए। हम पीजीआई के डॉक्टरों के उनके साहसिक प्रयासों और दुनिया भर से मिले प्यार और प्रार्थना के लिए आभारी हैं।और मिल्खा सिंह बन गए फ्लाइंग सिख…मिल्खा सिंह भारत के खेल इतिहास के सबसे सफल एथलीट थे. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान तक सब मिल्खा के हुनर के मुरीद थे। मिल्खा सिंह को मिले फ्लाइंग सिख के खिताब की कहानी बेहद दिलचस्प है और इसका संबंध पाकिस्तान से जुड़ा हुआ है. 1960 के रोम ओलंपिक में पदक से चूकने का मिल्खा सिंह के मन में खासा मलाल था. इसी साल उन्हें पाकिस्तान में आयोजित इंटरनेशनल एथलीट कंपटीशन में हिस्सा लेने का न्योता मिला. मिल्खा के मन में लंबे समय से बंटवारे का दर्द था और वहां से जुड़ी यादों के चलते वो पाकिस्तान नहीं जाना चाहते थे. हालांकि बाद में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के समझाने पर उन्होंने पाकिस्तान जाने का फैसला किया।
पाकिस्तान में उस समय एथलेटिक्स में अब्दुल खालिक का नाम बेहद मशहूर था. उन्हें वहां का सबसे तेज धावक माना जाता था. यहां मिल्खा सिंह का मुकाबला उन्हीं से था. अब्दुल खालिक के साथ हुई इस दौड़ में हालात मिल्खा के खिलाफ थे और पूरा स्टेडियम अपने हीरो का जोश बढ़ा रहा था लेकिन मिल्खा की रफ्तार के सामने खालिक टिक नहीं पाए. रेस के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान ने मिल्खा सिंह को फ्लाइंग सिख का नाम दिया और कहा आज तुम दौड़े नहीं उड़े हो. इसलिए हम तुम्हें फ्लाइंग सिख का खिताब देते हैं. इसके बाद से ही वो इस नाम से दुनिया भर में मशहूर हो गए। खेलों में उनके अतुल्य योगदान के लिये भारत सरकार ने उन्हें भारत के चौथे सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री से भी सम्मानित किया है।
भाग मिल्खा भाग को फर्जी बताया था नसीरुद्दीन शाह ने…..दिग्गज एक्टर नसीरुद्दीन शाह को भाग मिल्खा भाग में फरहान कुछ खास जमे नहीं थे। नसीरुद्दीन शाह की माने तो पूरी फिल्म ही फर्जी थी। नसीरुद्दीन शाह ने कहा था यह फिल्म पूरी तरह से फर्जी है। इसमें कोई दो राय नहीं कि फरहान ने कड़ी मेहनत की लेकिन…मांसपेशी बना लेना और बाल बढ़ा लेना अभिनय पर कड़ा परिश्रम करना नहीं है।