
नयी दिल्ली/बिच्छू डॉट कॉम। एक तरफ जहां भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन कर देश का नाम रोशन किया है वहीं जाति और धर्म के नाम पर बवाल काटने वालों ने भारतीय हॉकी टीम की खिलाड़ी वंदना कटारिया पर जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए उसके परिवार पर भी हमला किया है…. यह सब देखकर हैरान वंदना ने इन दबंगों को ऐसा जवाब दिया है कि उनके लिए चुल्लू भर पानी में डूब मरने जैसा है। भारतीय महिला हॉकी टीम की स्टार फॉरवर्ड वंदना कटारिया ने उनके परिवार के ऊपर की गई कथित जातिवादी टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया दी है. रिपोर्ट के मुताबिक, कटारिया ने कहा कि वो और उनकी साथी खिलाड़ी देश के लिए खेल रही हैं और इस तरह की जातिवादी टिप्पणियां नहीं होनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि वो आशा करती हैं कि लोग भारतीय महिला हॉकी टीम को सपोर्ट करेंगे। दरअसल, चार अगस्त को वंदना कटारिया के परिवार ने कुछ लोगों पर जातिवादी टिप्पणियां करने का आरोप लगाया था. परिवार की तरफ से कहा गया कि टोक्यो ओलंपिक्स के सेमीफाइनल में अर्जेंटीना से हार के बाद कुछ लोगों ने उनके घर के बाहर पटाखे फोड़े और भारतीय महिला हॉकी टीम की हार का जश्न मनाया. आरोप यह भी लगे कि इन लोगों ने ना केवल वंदना कटारिया के परिवार के ऊपर जातिवादी टिप्पणियां की बल्कि यह भी कहा कि भारतीय महिला हॉकी टीम की हार इसलिए हुई है क्योंकि टीम में दलित खिलाड़ी ज्यादा हैं। वंदना कटारिया के परिवार की शिकायत के बाद हरिद्वार पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी विजयपाल को गिरफ्तार कर लिया. वहीं विजयपाल सहित तीन आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 504 (शांतिभंग) और एससी एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया. दो अन्य आरोपियों के नाम अंकुर पाल और सुमित चौहान हैं. इस मामले में कुछ अज्ञात आरोपियों के खिलाफ भी केस दर्ज की गई है। वंदना ने कहा कि उन्हें इस घटनाक्रम के बारे में जानकारी मिल चुकी है, लेकिन अभी तक उन्होंने अपने परिवार से बात नहीं की. उन्होंने कहा, “इस तरह की जातिवादी टिप्पणियां नहीं होनी चाहिए. सिर्फ हॉकी के बारे में सोचें. हम युवा लड़कियां हैं. और हम लोग देश के लिए खेल रहे हैं. तो हम सबको एक होना चाहिए. मतलब हर चीज को एक होना चाहिए। ” इससे पहले वंदना कटारिया के भाई चंद्रशेखर ने भी कहा कि मेरी जाति के लोग राष्ट्रीय टीम में कैसे खेल सकते हैं. हमारा परिवार डरा हुआ है क्योंकि उन लड़कों ने हमें जान से मारने की भी धमकी दी. हमने पूरे मामले को बताते हुए शिकायत दर्ज करा दी है। ” दूसरी तरफ वंदना ने कहा कि वो अपने परिवार से बात करने के बाद ही इस पूरे मामले पर कोई कमेंट करेंगी। टोक्यो ओलंपिक्स तक पहुंचने के लिए वंदना को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जब वो बड़ी हो रही थीं, तो उनके आसपास रहने वाले लोग नहीं चाहते थे कि वो हॉकी खेलें. वंदना के पिता नाहर सिंह ने उनका साथ दिया. उन्होंने हर उस शख्स का मुकाबला किया, जो वंदना को आगे नहीं बढ़ने देना चाहता था. तीन महीने पहले वंदना के पिता की मृत्यु हो गई. वे अपने पिता के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो पाईं क्योंकि कोरोना वायरस महामारी फैली थी. और वंदना बेंगलुरु में बायो बबल में रहते हुए ओलंपिक्स के लिए प्रैक्टिस कर रही थीं।