
पेरिस। स्वप्निल कुसाले का ओलंपिक पदक का पूरा हो गया। इस पदक के बाद उन्हेें रेलवे ने प्रमोशन भी दे दिया महाराष्ट्र सरकार ने एक करोड़ रुपये के इनाम की भी घोषणा कर दी। बावजूद इसके स्वप्निल सामान्य हैं। स्वप्निल अमर उजाला से कहते हैं कि वह ओलंपिक पदक विजेता जरूर बन गए हैं, लेकिन उनमें कुछ बदलाव नहीं होने जा रहा है। वह कल जैसे थे वैसे अब भी रहेंगे, बल्कि यह पदक उन्हें शूटिंग में और कड़ी मेहनत के लिए प्रेरित करेगा, जिससे वह अगले ओलंपिक में इस पदक का रंग बदलने के लायक बन सकें।
कुसाले को जब पदक पहनाया जा रहा था तो उनकी नजर वहां मौजूद भारतीयों और तिरंगे पर थी। वह कहते हैं कि यह पदक भारत का है और देश को ही समर्पित है। स्वप्निल के निशानेबाजी के इस सफर में उनके पिता सुरेश महादेव कुसाले ने भी काफी संघर्ष किया। स्वप्निल भी कहते हैं कि माता-पिता ने उनके लिए बहुत कुछ दिया। अब उनके लिए करने की बारी मेरी है। स्वप्निल कहते हैं कि वह उनके सारे कष्टों को दूर करने की कोशिश करेंगे। उनकी माता-पिता से बात हुई, वह बेहद भावुक हो गए थे। उनसे बात कर मैं भी भावुक हो गया।
कुसाले बताते हैं कि फाइनल से पहले वह नीलिंग पोजीशन को लेकर दिक्कत में थे। उनके निशाने सही नहीं बैठ रहे थे। वह परेशान थे। इस बारे में उन्होंने कोच दीपाली देशपांडे से बात की। अंत में पता लगा कि उनके नीलिंग पैड में दिक्कत है। यात्रा के समय यह पैड दब गया, जिसके चलते उनका घुटना इस पैड पर सही से सेट नहीं हो पा रहा था। इस कारण उनकी पोजीशन खराब हो रही थी, जिससे स्कोरिंग पर फर्क पड़ रहा था। कोच ने ही उन्हें पैड में टिश्यू पेपर भरवाए और तब पोजीशन ठीक हुई। अगर ऐसा नहीं हुआ होता तो उन्हें मैच में बड़ी समस्या आ सकती थी।