संन्यास के फैसले के पीछे शारीरिक कारण नहीं, बल्कि मानसिक पहलू : सुनील छेत्री

नई दिल्ली। भारत के लिए सबसे ज्यादा 150 मैच खेलकर सबसे ज्यादा 94 गोल कर चुके सुनील छेत्री ने गुरुवार को एलान था किया कि वह कोलकाता में छह जून को कुवैत के खिलाफ मैच के बाद संन्यास लेंगे। छेत्री के संन्यास से भारतीय फुटबॉल के एक युग का अंत हो जाएगा। वह 2011 से टीम इंडिया के कप्तान हैं। बाइचुंग भूटिया के संन्यास लेने के बाद उन्हें कप्तान बनाया गया था। तब से अब तक वह यह जिम्मेदारी संभालते नजर आए हैं। हालांकि, 39 साल की उम्र में भी अभी वह काफी फिट दिखते हैं और पिछले दो साल में कई रिकॉर्ड को धराशाई किया है।

ऐसा कहा जा रहा था कि छेत्री ने बढ़ती उम्र, फिटनेस और थकान की वजह से संन्यास लिया है। अब छेत्री ने इन सभी रिपोर्ट्स को खारिज करते हुए खुद ही संन्यास के पीछे की वजह का खुलासा किया है। छेत्री ने कहा है- संन्यास के फैसले के पीछे शारीरिक कारण नहीं, बल्कि मानसिक पहलू है। मैं अभी भी फिट हूं। छेत्री ने कहा, ‘संन्यास का फैसला शारीरिक कारणों से नहीं लिया। मेरी फिटनेस अच्छी है और अभी भी दौड़ रहा हूं। डिफेंड कर रहा हूं, मेहनत करना मुश्किल नहीं है। यह फैसला मानसिक पहलू को ध्यान में रखकर लिया है।’ छेत्री ने हालांकि मानसिक स्वास्थ्य के मसले पर ज्यादा कुछ नहीं बताया। मौजूदा दौर में विभिन्न खेलों में यह खिलाड़ियों के बीच चिंता का विषय बना हुआ है। विराट कोहली समेत कई दिग्गज एथलीट्स के मानसिक स्वास्थ्य पर बात कर चुके हैं।

छेत्री ने कहा, ‘मैं खुद से लड़ रहा था। समग्र रूप से सोचने की कोशिश कर रहा था और अचानक यह फैसला लिया। एक साल बेंगलुरू एफसी के लिए खेलूंगा। घरेलू फुटबॉल कब तक खेलूंगा इस बारे में पता नहीं है। उसके बाद ब्रेक लूंगा।’ यह पूछे जाने पर कि क्या बतौर खिलाड़ी करियर खत्म होने के बाद क्या अब वह वह कोचिंग के बारे में सोचेंगे? छेत्री ने कहा, ‘मैं कभी न नहीं कहूंगा। ब्रेक के दौरान इस पर सोचूंगा, लेकिन अभी यह मेरे एजेंडे में प्राथमिकता नहीं है। छेत्री का इंडियन सुपर लीग टीम के साथ अनुबंध अगले साल तक है। बाईचुंग भूटिया के बाद भारतीय फुटबॉल के पोस्टर बॉय रहे छेत्री ने कहा कि उन्होंने फैसला लेने से पहले कोच इगोर स्टिमैक से बात की। उन्होंने कहा, ‘मैं स्टिमैक के पास गया और इस फैसले के बारे में बताया। वह मेरी बात समझ गए।’ कोच के अलावा उन्होंने भारत के स्टार क्रिकेटर विराट कोहली से भी इस पर बात की थी। छेत्री ने कहा- विराट मेरे काफी करीब हैं और मुझे समझते हैं।

इससे पहले संन्यास का एलान करते हुए छेत्री भावुक हो गए थे। उन्होंने अपने परिवार के साथ भावनात्मक समय को याद करते हुए कहा कि उनकी मां और पत्नी की आंखों में आंसू थे। छेत्री ने कहा- मैंने अपनी मां, मेरे पिताजी और मेरी पत्नी, मेरे परिवार को पहले बताया था। मेरे पिताजी सामान्य थे, लेकिन मेरी मां और मेरी पत्नी रोने लगे और मैंने उनसे कहा कि आप हमेशा मुझे कहा करते थे कि बहुत सारे खेल हैं और जब आप मुझे देखते हैं तो बहुत अधिक दबाव होता है। अब मैं आपको बता रहा हूं कि छह जून को मैच के बाद मैं अपने देश के लिए नहीं खेल पाऊंगा।

इस खेल में भारत के महान खिलाड़ियों में शुमार छेत्री बचपन में बेहद शरारती थे। उन्हें बचपन में फुटबॉल का शौक नहीं था और एक अच्छे कॉलेज में दाखिले के लिए ही इस खेल को चुना था, लेकिन किस्मत में कुछ और ही लिखा था। आमदनी का जरिया कब उनकी जिंदगी बन गया, यह खुद छेत्री को भी पता नहीं चल सका। छेत्री के सैनिक पिता खारगा छेत्री हमेशा से चाहते थे कि उनका बेटा पेशेवर फुटबॉल खिलाड़ी बने और वह हासिल कर सके जो वह खुद नहीं कर पाए। दिल्ली में सुनील ने फुटबॉल सीखना शुरू किया और सिटी क्लब से 2001-02 में जुड़े। इसके बाद वह मोहन बागान जैसे दिग्गज फुटबॉल क्लब के साथ 2002 में जुड़ गए। इसके बाद जो हुआ, वह भारतीय फुटबॉल के इतिहास में दर्ज हो चुका है। करीब 20 साल के स्वर्णिम करियर के बाद छेत्री ने अगले महीने कुवैत के खिलाफ विश्व कप क्वालिफाइंग मैच के बाद अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल को अलविदा कहने का फैसला किया है।

छेत्री मौजूदा समय में सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय गोल करने वाले तीसरे सक्रिय खिलाड़ी हैं। उन्होंने इस मामले में लियोनल मेसी तक को टक्कर दी थी। जब छेत्री और मेसी दोनों के गोल 60 से 80 के बीच थे, तो छेत्री ने कुछ समय के लिए ही सही, लेकिन मेसी को पीछे छोड़ दिया था। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में छेत्री के ज्यादा गोल नहीं कर पाने और अर्जेंटीना के फीफा विश्व कप के बाद अन्य दोस्ताना मैच और टूर्नामेंट खेलने से मेसी उनसे काफी आगे हो गए।

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