यस एमएलए: हर 5 साल में बदल जाता है माननीय का चेहरा

 रामकिशोर कांवरे

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। बालाघाट जिले की परसवाड़ा ऐसी विधानसभा है, जहां पर हर पांच साल में जनता अपने विधायक का चेहरा बदल देती है। इसके बाद भी विधायक अपने मतदाताओं की समस्याओं को हल करने में फिसड्डी बने रहते हैं। शायद यही वजह है कि यह विधानसभा क्षेत्र गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है। इस इलाके में नल कनेक्शन  तो हैं, लेकिन उनमें हफ्ते-हफ्ते पानी ही नहीं आता है। लगभग यही हाल खेतों में सिंचाई के लिए पानी की भी है। यहां के मौजूदा विधायक राम किशोर कांवरे हैं। वे शिव मंत्रिमंडल में सदस्य हैं। उनके पास दो -दो विभागों का दायित्व है। इसमे जल संसाधन और आयुष विभाग शामिल है। खास बात यह है कि जल संसाधन विभाग होने के बाद भी उनके इलाके को पानी के संकट का सामना करना पड़ रहा है। इस सीट पर इस साल के अंत में होने वाले चुनाव में एक बार फिर बीते चुनाव की ही तरह त्रिकोणिय मुकाबला होना तय माना जा रहा है। खास बात यह है कि इस बार भी पुराने ही तीनों प्रत्याशी मैदान में हो सकते हैं। इनमें मंत्री रामकिशोर कांवरे का भाजपा से और मधु भगत का कांग्रेस से टिकट पक्का माना जा रहा  है, तो एक बार फिर से कंकर मुंजारे भी मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। वे बीते चुनाव में सपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे थे। यह ऐसी सीट है जिस पर तीसरे दलों का प्रभाव अच्छा माना जाता है। इस सीट पर अब तक हुए कुल 11 चुनाव में से भाजपा महज 2 बार तो कांग्रेस को चार बार सफलता मिली है, जबकि अन्य दलों के प्रत्याशी पांच बार विजयी रहे हैं। बीते कुछ चुनावों पर नजर डालें तो वर्ष 1998 में जनता पार्टी से कंकर मुंजारे, 2003 में गोंगपा से दरबू सिंह उइके, 2008 में भाजपा से रामकिशोर कांवरे, वर्ष 2013 में मधु भगत निर्वाचित हुए। मौजूदा समय में यह सीट भाजपा के खाते में र्है। इस सीट पर हर बार वर्षों पुरानी समस्याओं को मुद्दा बनाकर ही चुनाव लड़ा जाता है। जंगल और पहाड़ों से घिरे इस क्षेत्र की सडक़ें बेहद खराब हैं।  मंडला से बालाघाट मार्ग पर स्थित घंगरिया के ग्रामीण सुरेंद्र सिंह का कहना है कि वैनगंगा की सहायक नदी मानकुंवर पर बना पुल छह माह से क्षतिग्रस्त है। लेकिन इसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा। इसी गांव के किसान राजेश लिल्लोरे ने कहा कि टूटे पुल के बगल से मिट्टी डालकर अस्थायी मार्ग तो बना दिया गया था लेकिन यह भी अप्रैल में हुई बारिश में बह गया।
सडक़ , बिजली व पानी पर हुआ काम
कुम्हारी के अजय बिसेन कहते हैं, कि नदियों पर रेत खदानें स्वीकृत हैं लेकिन अनुमति से कई गुना अधिक खनन किया जा रहा है। इस मामले में मंत्री कांवरे का कहना है कि सडक़, बिजली और पानी के मामले में परसवाड़ा क्षेत्र अव्वल है। विभिन्न मदों में करोड़ों रुपये के विकास कार्य हुए हैं। पूर्व विधायक के आरोप गलत हैं। इसकी वजह है वे जबलपुर में रहते हैं। उन्होंने वर्षों से क्षेत्र ही नहीं देखा है, जिसकी वजह से उन्हें हकीकत का पता ही नहीं है। उनका कहना है कि क्षेत्र 10 करोड़ 29 लाख रुपये की सतनारी जलाशय योजना का स्वीकृत कर उसका भूमि पूजन भी किया जा चुका है। इसी तरह से पानी की समस्या के हल के लिए 146 करोड़ रुपये की लामता लिफ्ट इरीगेशन योजना,170 करोड़ से बगलीपाठ, लामता में लिफ्ट इरीगेशन योजना,  464 करोड़ रुपये की 12 परियोजनाएं सिंचाई के लिए स्वीकृत की गई हैं, जबकि 15 करोड़ रुपये की राशि से आयुर्वेद औषधालयों का नवीनीकरण किया जा रहा है और 10 करोड़ का धापेवाड़ा में 50 बिस्तर का आयुर्वेद चिकित्सालय स्वीकृत कराया गया है।
मतदाताओं की राय
चरेगांव में चुनावी चौपाल पर अलग-अलग ग्राम के लोग चुनावी पर चर्चा कर रहे थे। उनमें मिथलेश जायसवाल, प्रहलाद पारधी, पुरुषोत्तम बिसेन ने चर्चा में कहा कि क्षेत्र में रोजगार आज भी नहीं है। लोगों के पास आय का जरिया केवल कृषि है। बारिश के पानी से ही धान की फसल का उत्पादन होता है। सिंचाई के साधन नहीं है। परसवाड़ा निवासी सज्जू पटेल का कहना है कि वनोपज ही आदिवासियों के आय का साधन है। कुछ ग्रामों में आवागमन के लिए सडक़ तो है, लेकिन वह जर्जर हो गई है। बिजली के पोल लगे हैं, लेकिन कब गुल हो जाए उसका भरोसा नहीं है। लिंगा निवासी दिलीप राहंगडाले का कहना है कि क्षेत्र में वनोपज प्रचूर मात्रा में है, लेकिन इससे जुड़ा कोई भी उद्योग धंधा नहीं है। नेवरगांव निवासी दिनेश पटेल का कहना है कि गांवों में स्वास्थ्य केन्द्र तो है, लेकिन डॉक्टरों की कमी है। चांगोटोला निवासी सिद्वार्थ मेश्राम का कहना है कि समनापुर से चरेगांव-लामता-नैनपुर के बीच ब्रॉडगेज का कार्य पूरा नहीं होने से लोगों को काफी परेशानी हो रही है। किसानों को सिंचाई करने के लिए बिजली नहीं मिल पा रही है।
शुद्ध पेयजल बड़ी चुनौती
हर घर तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन योजना शुरू हुए तीन वर्ष हो चुके हैं ,लेकिन आज भी ग्रामीण अंचलों में शुद्ध पेयजल की पर्याप्त उपलब्धता नहीं है। बगदरा, खैरगांव, लोहारा, चांगोटोला, गुडरू सहित कई गांवों में गर्मी के मौसम में अधिक परेशानी देखने को मिली। ग्राम पंचायत बगदरा में करीब 600 मकान हैं जिनमें  जल जीवन मिशन योजना के तहत नल कनेक्शन दिया जाना है लेकिन दो वर्ष की अवधि में सिर्फ 100 घरों में ही नल कनेक्शन हुए हैं। वहीं रगांव में 200 नल कनेक्शन दिए गए हैं लेकिन टंकी होने के बाद भी किसी को पानी मिलता है तो किसी को नहीं।
यह हैं जातीय समीकरण
इस विधानसभा क्षेत्र के अगर जातीय समीकरण देखे जाएं तो पंवार 59736, लोधी 49437, मरार 32958, आदिवासी 14419, एससी 6179, मतदाताओं के अलावा अन्य जातियों के मतदाताओं की संख्या  43257 है। मधुभगत पंवार समाज से ही आते हैं , जबकि मंत्री कांवरे मरार समाज से आते हैं। इसके अलावा  पूर्व सांसद व विधायक रह चुके कंकर मुंजारे की छबि भी अच्छी है, वे लोधी समाज का नेतृत्व करते हैं। यही वजह है कि बीते चुनाव में वे दूसरे स्थान पर रहे थे।

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