
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। भोपाल जिले की बैरसिया सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है। आजादी के बाद से ही कांग्रेस के लिए ये सीट जीतना किसी चुनौती से कम नहीं रहा है। यहां से भाजपा के विष्णु खत्री विधायक है। विष्णु खत्री पिछले 10 सालों से विधायक हैं। साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में विष्णु खत्री ने कांग्रेस की उम्मीदवार जयश्री हरिकरण को लगभग 13 हजार मतों से पराजित किया था। इस बार बैरसिया विधानसभा क्षेत्र से कांटे की टक्कर की उम्मीद लगाई जा रही है। इस बार भाजपा की तरफ से चेहरा बदलने की खबरें भी सामने आ रही है। वहीं कांग्रेस की ओर से दावेदारों नामों की झड़ी लग गई है। मप्र की राजधानी से बैरसिया विधानसभा क्षेत्र ज्यादा दूर नहीं है। राजधानी से कुछ किलोमीटर की दूरी पर ही विकास धुंधला दिखाई देने लगता है। क्षेत्र विकास के मामले में पिछड़ा हुआ है। इसके अलावा इस इलाके में शिक्षा की भी समस्या है। यहां के लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। यहां के अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी होने के कारण मरीजों को इलाज नहीं मिल पाता है। बेरोजगारी की भी यहां बड़ी समस्या है। यहां के युवा रोजगार के लिए दूसरे शहरों में जाने को मजबूर हैं। पूरा क्षेत्र ग्रामीण है। खेती-किसानी प्रमुख कार्य। क्षेत्र से निकलने वाले राजमार्गों के अलावा अन्य मार्गों पर सडक़ों की स्थिति दूसरे पिछड़े विधानसभा क्षेत्रों जैसी ही है।
सियासी समीकरण
राजधानी भोपाल में स्थित बैरसिया विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा ग्रामीण इलाके है। 2008 में हुए परिसीमन के बाद से ये सीट अनुसूचित जाति यानी एससी वर्ग के लिए आरक्षित है। बता दे यहां पर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस दो बार ही जीत दर्ज कर पाई है। साल 1998 में कांग्रेस ने यह सीट जीती थी और इससे पहले 1957 में कांग्रेस यहां पर जीती थी। बैरसिया विधानसभा में करीब 2 लाख 35 हजार मतदाता है। जिसमें 1 लाख 22 हजार 873 पुरुष, 1 लाख 12 हजार 151 महिला मतदाता है और 5 अन्य थर्ड जेंडर मतदाता हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ये सीट जीते-जीते रह गई। पिछले चुनाव में भाजपा विधायक विष्णु खत्री को 77,814 (48 प्रतिशत) वोट मिले, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार जयश्री हरिकरण को 64,035 (39 प्रतिशत) वोट मिले। वहीं हार का अंतर 13,779 रहा। जबकि निर्दलीय लड़े पूर्व विधायक ब्रह्मानंद रत्नाकर को 11,815 वोट मिले और बीएसपी के उम्मीदवार अनीता अहिरवार को 3199 वोट मिले।
कांग्रेस से कई दावेदार
बैरसिया विधानसभा कांग्रेस के लिए हमेशा टेढ़ी खीर ही रही है। कांग्रेस से अंतिम बार 1998 में जोधाराम गुर्जर ने जीत दर्ज कराई थी। कांग्रेस की ओर से इस बार टिकट की कवायद करते हुए मुख्य तीन चेहरे सामने आ रहे हैं। जिसमें पूर्व प्रत्याशी जयश्री हरिकरण, इनको पिछली बार मौका मिला था, लेकिन ये चुनाव हार गई थी। दूसरा नाम है रामभाई मेहर का। ये लगातार बैरसिया विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं। राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह के सांसद प्रतिनिधि भी हैं। लेकिन अब तक इन्होंने कोई चुनाव नहीं लड़ा है, इसलिए कांग्रेस इन पर दांव लगाने के बारे में सोच सकती है। वहीं तीसरा नाम है जिला पंचायत सदस्य विनय मेहर का। बता दें स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं में विनय मेहर को लेकर बड़ा उत्साह है। हाल ही में हुए जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में विनय मेहर बड़े मार्जिन के साथ जीते हैं। बैरसिया के लोकल निवासी हैं, इसलिए गांव से लेकर शहर तक विनय मेहर की पकड़ मजबूत है।
विकास से अछूता क्षेत्र
भाजपा का गढ़ होने और राजधानी के निकट होने का फायदा बैरसिया के विकास में दिखाई नहीं देता। इस क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, ग्राम पहुंच मार्गों की स्थिति वैसी ही है जैसी दूरदराज के विधानसभा क्षेत्रों में है। बैरसिया विधानसभा क्षेत्र में 50 हजार से अधिक गुर्जर समाज के वोटर हैं। इसके अलावा अनुसूचित जाति की संख्या भी अच्छी खासी है। 2013 के चुनाव में विष्णु खत्री ने कांग्रेस के महेश रत्नाकर को 29304 वोटों से हराया था। वहीं 2008 के चुनाव में भी इस सीट पर भाजपा ने जीत हासिल की और ब्राह्मण रत्नाकर ने कांग्रेस के हीरालाल को 22921 वोटों से हराया था। पिछले चुनाव में भाजपा के पूर्व विधायक ब्रह्मानंद रत्नाकर बागी होकर चुनाव लड़े थे। इसके बावजूद विष्णु खत्री ने जयश्री हरिकरण को 13779 वोट से हराया था। मौजूदा स्थिति में कांग्रेस से बैरसिया में कई दावेदार हैं, लेकिन किसी का नाम तय नहीं है। पिछला चुनाव हारने के बाद जयश्री हरिकरण ने क्षेत्र में सक्रियता कम कर दी थी। हाल ही में उन्होंने सक्रियता बढ़ाई है। इस बीच अन्य दावेदार भी सक्रिय हो गए हैं। राम मेहर का नाम भी तेजी से आगे बढ़ा है। मेहर प्रदेश कांग्रेस से लेकर, जिला एवं बैरसिया में अपेक्षाकृत ज्यादा सक्रिय हैं।
जातिगत समीकरण
यहां पर 50 हजार से अधिक गुर्जर समाज के वोटर हैं। इसके अलावा अनुसूचित जाति की संख्या भी अच्छी खासी है। 2013 के चुनाव में विष्णु खत्री ने कांग्रेस के महेश रत्नाकर को 29 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। वहीं 2008 के चुनाव में भी इस सीट पर बीजेपी ने जीत हासिल की और ब्राह्मण रत्नाकर ने कांग्रेस के हीरालाल को 23 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था। राजधानी भोपाल से यह इलाका ज्यादा दूर नहीं है, इसके बावजूद यह क्षेत्र विकास के मामले में पिछड़ा हुआ है। इसके अलावा इस इलाके में शिक्षा की भी समस्या है। यहां के लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए तरसते हैं। यहां के अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी होने के कारण मरीजों को इलाज तक नहीं मिल पाता है। इसके अलावा बेरोजगारी की भी समस्या है।