यस एमएलए- आज भी विस्थापन का दर्द झेल रहे ग्रामीण

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भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। सागर जिले की देवरी विधानसभा सीट भाजपा इस बार विधानसभा चुनाव में जरूर जीतना चाहेगी। क्योंकि इस सीट पर 1998 और 2003 में भाजपा जीतती आ रही थी, लेकिन 2013 और 2018 के चुनाव में यहां से कांग्रेस के हर्ष यादव जीते हैं। ओबीसी और एससी-एसटी बाहुल्य इस सीट को जीतना भाजपा चुनौती मानकर चल रही है। वर्तमान में देवरी से कमलनाथ के खास सिपहसालार माने जाने वाले पूर्व मंत्री हर्ष यादव दूसरी दफा विधायक हैं। यह सीट मोदी-शिवराज की लहर के बावजूद बीते 10 साल से कांग्रेस के खाते में आ रही है। यहां का आदिवासी क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ माना जाता है, लेकिन पिछले कुछ चुनाव से भाजपा ने इस वोट बैंक को अपने साथ किया है। सागर जिले में सर्वाधिक 22 बांध इसी क्षेत्र में बने हुए हैं। यहां बांध तो बने हैं , लेकिन डूब प्रभावितों के दर्द को अनदेखा किए जाने का आरोप पीडि़त लगाते हैं। कई किसान और ग्रामीण आज भी विस्थापन का दर्द झेल रहे हैं।
क्षेत्रफल की दृष्टि से बड़े इस विधानसभा क्षेत्र में नौरादेही अभयारण्य का 1175 वर्ग किमी का हिस्सा भी यहीं है। यहां बाघों की बढ़ती आबादी ने नौरादेही और देवरी को देश के नक्शे पर प्रसिद्ध कर दिया है। क्षेत्र में प्याज और लहसुन का बंपर उत्पादन होता है। इसके बावजूद यहां एक भी प्रोसेसिंग यूनिट, कोल्ड स्टोरेज आदि नहीं हैं। स्वास्थ्य व परिवहन सुविधाओं में पिछड़े इस क्षेत्र में बीते सालों में मतदाताओं की मांगें बढ़ी हैं लेकिन इनके मुकाबले उपलब्धियां बेहद कम हैं। कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था वाले इस क्षेत्र में अन्य रोजगार के साधन बीते सालों में विकसित नहीं हो पाए।
जातिगत समीकरण
देवरी सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो यह इलाका लोधी और आदिवासी बहुल है। केसली क्षेत्र में आदिवासी वोटर ज्यादा हैं। देवरी, गौरझामर क्षेत्र में लोधी, यादव, ब्राह्मण वोटर भी प्रभावी हैं। आदिवासी बहुल क्षेत्र केसली इसी विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है। इनकी अपनी परंपरा, संस्कृति है। समय-समय पर भाजपा द्वारा इस वर्ग पर फोकस किया जाता है। बड़े आयोजन भी होते हैं, लेकिन शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में पिछड़ापन इन्हें पीछे ही रखे हुए है। आगामी चुनाव को देखकर जहां राजनीतिक पार्टियां अपनी तैयारी में जुटी हुई हैं, वहीं लोगों की मांगे भी सामने आने लगी है। लोगों की मांग है कि क्षेत्र में व्यवस्थित बस स्टैंड, सर्वसुविधायुक्त अस्पताल, रोजगार के साधन, कन्या महाविद्यालय, गौरझामर, महाराजपुर, केसली, टढ़ा, सहजपुर पंचायत को नगर परिषद का दर्जा दिया जाए। सहजपुर क्षेत्र में पेयजल और सिंचाई के साधन, फोरलेन पर रजौला तिगड्डा, महाराजपुर बस स्टैंड पर ओवरब्रिज, कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था की जाए। डूब क्षेत्र में किसानों के साथ न्याय हो और नगरीय क्षेत्र की सीमा में वृद्धि की जाए।
विकास के अपने-अपने दावे
क्षेत्र में विकास के अपने-अपने दावे हैं। विधायक हर्ष यादव का कहना है कि गौरझामर, केसली को नगर परिषद, सहजपुर, महाराजपुर, गौरझामर में कालेज, जिले में 2000 मेगावाट का सोलर प्लांट प्रस्तावित किया,  लेकिन सरकार ने कार्यों को लटका कर रखा है। बिजली नहीं होने के कारण किसान सिंचाई योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे। केसली में स्थायी एसडीएम, सहजपुर को उप तहसील का दर्जा दिलाने का प्रयास  किया। वहीं भाजपा नेता व पूर्व विधायक बृजबिहारी पटैरिया का कहना है कि हर्ष यादव दो बार से विधायक हैं, लेकिन उनका जनता से सीधा संपर्क नहीं है। रजिस्ट्री कार्यालय बंद है। तहसील कार्यालय शहर के बाहर होने से लोग परेशान होते हैं। गौरझामर, केसली को 2001 में नगर परिषद बनाने का प्रस्ताव मैंने दिया था, वह लंबित है। दस साल में विधायक ने कुछ भी नहीं किया। देवरी के बीच से बहने वाली सुखचैन नदी बदहाल है। अवनीश मिश्रा बताते हैं कि नदी के सुंदरीकरण और विकास के प्रयास नहीं हुए। परिणामस्वरूप यह गंदे नाले में तब्दील होकर रह गई। नगर के मध्य स्थित बस स्टैंड अव्यवस्थित है। यात्रियों के लिए बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है। अस्थायी अतिक्रमण के कारण बसें खड़ी करने के लिए जगह ही नहीं है। देवरी और केसली में कृषि उपज मंडी है, लेकिन यहां न तो किसान पहुंचते हैं और न ही नीलामी होती है। संजय ब्रजपुरिया बताते हैं कि इलाके में एक भी पाली हाउस नहीं है।
मिथक को तोड़ा है हर्ष यादव ने
सागर जिले की देवरी विधानसभा ओबीसी और एससी-एसटी बाहुल्य इलाका है। देवरी के अधीन केसली ब्लॉक आदिवासी बाहुल्य इलाका है तो गौरझामर में ओबीसी और एससी वोटरों की संख्या अधिक है। यहां की अर्थव्यवस्था का अधिकांश हिस्सा खेती पर आश्रित है। पूर्व में यहां भाजपा के विधायक काबिज रहे हैं। इस विधानसभा की तासीर कुछ अलग है। इसको लेकर एक मिथक भी चलता रहा है कि जो भी देवरी से विधायक बना बाद में उसको पार्टी ने टिकट भी नहीं दिया। काफी हद तक यह मिथक सही भी लगता है, लेकिन कांग्रेस के हर्ष यादव इसके अपवाद हैं। वे लगातार दो बार इस सीट को फतह करने में कामयाब रहे हैं।

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