
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। जबेरा सीट पर लोधी समाज की आबादी सबसे बड़ी संख्या में है और यही वजह हैं कि कांग्रेस और भाजपा यहां से इस समुदाय के उम्मीदवार को टिकट देती आई हैं। हालांकि इस सीट पर आदिवासी समुदाय का वोट भी निर्णायक साबित होता है। फिलहाल यहां भाजपा का कब्जा है और धर्मेंद्र सिंह लोधी मौजूदा विधायक हैं।
दमोह लोकसभा के अंतर्गत आने वाली जबेरा विधानसभा में करीब 2 लाख मतदाता हैं। सडक़, पानी, बिजली जैसे मूलभूत समस्याओं के अलावा किसानों के लिए सिंचाई योजना और आदिवासियों के कल्याण के लिए लाई जाने वाली योजनाएं इस सीट पर मुख्य चुनावी मुद्दा साबित होती आईं हैं। विधायक के काम को लेकर जबेरा की जनता का कहना है कि अब तक जबेरा की जनता की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है। यहां की जनता को रोजगार का अवसर नहीं मिल पाता। सरकारी योजना का कोई लाभ नहीं मिलता। जबेरा में सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है। जबेरा विधानसभा सीट मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है, जहां 2018 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। इस बार जबेरा विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, यह जनता को तय करना है। जबेरा विधानसभा सीट दामोह जिले में आती है। 2018 में जबेरा में कुल 29 प्रतिशत वोट पड़े। 2018 में भारतीय जनता पार्टी से धमेन्द्र लोधी ने कांग्रेस के प्रताप सिंह लोधी को हराया था। जबेरा विधानसभा सीट दमोह के अंतर्गत आती है।
विकास के अपने-अपने दावे
विधानसभा क्षेत्र में विकास की बात पर विधायक धर्मेंद्र सिंह लोधी का कहना है कि गांवों में पानी पहुंचाया, 6 उप स्वास्थ्य और 2 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्वीकृत हैं । झापन नाला जलाशय भी स्वीकृत हो जाएगा, जबेरा और नोहटा को नगर परिषद बनाना चाहते हैं, सूखाग्रस्त क्षेत्र को सिंचित बनाना है । शिक्षा और उद्योग के क्षेत्र में अच्छा काम करना है। वहीं कांग्रेस नेता प्रताप सिंह लोधी का कहना है कि नौरादेही अभयारण्य के अंतर्गत 4 पंचायतें हैं, जहां विकास कार्यों पर रोक है। कांग्रेस को अवसर मिला , तो बेहतर पुनर्वास की व्यवस्था के बिना लोगों को विस्थापित नहीं करेंगे। प्राकृतिक संपदा का उचित दोहन और वाजिब मूल्य लोगों को मिलेगा। पहाड़ी गांवों में नर्मदा जल लाने का प्रयास करेंगे। जबेरा विधानसभा क्षेत्र के वोटर कहते हैं कि व्यवस्था का पतन हो गया है, अधिकारी मुख्यालय पर नहीं रुकते हैं। रोजगार, स्वास्थ्य व शिक्षा में सुधार होना चाहिए। विकास कागजों में हुआ है। पानी की कमी होने से किसान परेशान हैं । रोजगार की तलाश में मजदूर पलायन कर रहे हैं। ग्रामीण अंचलों में पानी, सड़क, बिजली, आवास, शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी है। लोग परेशान हैं। अधिकारी विभागीय शिकायतों पर ध्यान नहीं देते हैं। मवेशियों के लिए आश्रय स्थल और चारागाह की व्यवस्था होना चाहिए।
यहां बदलाव की परंपरा
विस्थापन, श्रमिक पलायन और कुछ क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं की कमी वाले जबेरा विधानसभा में नेताओं के आश्वासन से बनते जातीय समीकरण और संगठन सामने आते रहे, पर बदलाव तीव्र गति से नहीं हुआ। पूर्व मंत्री स्व. रत्नेश सॉलोमन के समय में ऐतिहासिक धरोहरों से संपन्न इस क्षेत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रम और पर्यटन के क्षेत्र में प्रगति प्रारंभ हुई थी, साथ ही प्रतिभाओं को अवसर भी मिला। मौजूदा राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में जिस गति से विकास की अपेक्षा रही, वह कहीं न कहीं अवरुद्ध है। वैसे जल प्रदाय योजना से अधिकतर स्थानों पर पानी पहुंच रहा है, पर इस क्षेत्र के सुदूर अंचलों के ग्राम आज भी परिवर्तन और विकास का इंतजार करते लोग नजर आते हैं। वहीं नौरादेही अभयारण्य के विस्तार के बाद विस्थापन और पुनर्वास चर्चा का विषय बना हुआ है। 2004 से यहां हर चुनाव में मतदाताओं ने एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस का विधायक चुना।
जातीय आधार पर नेतृत्व
लोधी बाहुल्य इस क्षेत्र को जातीय आधार पर नेतृत्व भी प्राप्त है। परंतु अन्य जाति से यदि कोई प्रभावी नेता सामने आ जाए तो समीकरण बदल सकते हैं। यहां ऐसे स्थान भी हैं जहां वर्षों से अस्पताल, उच्च शिक्षा, भूमि, बिजली संबंधी कामों के लिए लंबी दूरी तय करना पड़ती है। ग्राम पंचायतों में गुणवत्तापूर्ण कार्य संपादित करें तो बदलाव हो सकता है। जानकारों का कहना है कि वर्तमान विधायक ने विकास पर ध्यान नहीं दिया। जबकि, पूर्व विधायक सतत जन संपर्क करते रहे। यह क्षेत्र लोधी बाहुल्य है, अगर भाजपा की टिकट बदलेगी तो उसे फायदा मिलेगा। यहां गोंगपा के भी वोटर्स हैं, जिससे पिछली बार कांग्रेस के वोट बंट गए इससे भाजपा को फायदा मिला। जनप्रतिनिधि सच्चे मन से काम करें तो विकास हो सकता है।