
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। ग्वालियर संभाग की सबसे हॉट सीट मानी जाने वाली ग्वालियर विधानसभा सीट पर वर्तमान में भाजपा का कब्जा है। 2018 में कांग्रेस के टिकट पर जीतने वाले प्रद्युम्न सिंह तोमर ने 2020 के उपचुनाव में भाजपा के टिकट पर भी चुनाव जीता था। वे मप्र सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। यूं तो तोमर को यहां जीत और हार दोनों का स्वाद चखने को मिला हैं। ग्वालियर वह विधानसभा क्षेत्र है, जिसने कई राजनेताओं को बनते और बिगड़ते देखा है। प्रदेश की राजनीति में इस विस क्षेत्र की खासी चर्चा हमेशा से रही है। इस बार भाजपा-कांग्रेस दोनों ही दलों ने तैयारियां तेज कर दी हैं। आम आदमी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने भी अपने कार्यकर्ताओं को कसा है। इस बार भी यहां भाजपा-कांग्रेस के बीच कांटे की लड़ाई संभावित है। जहां तक मुद्दों का सवाल है तो बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा रहेगा।
ग्वालियर विधानसभा सीट के इतिहास पर नजर डाले तो यहां जीत और हार का सीधा संबंध भाजपा और कांग्रेस से ही है। यानी इन दोनों पार्टियों के बीच ही वर्षों से मुकाबला होता रहा है। 2013 के चुनाव में कांग्रेस से प्रद्युम्न सिंह तोमर तो भाजपा से जयभान सिंह पवैया मैदान में थे। तब भाजपा के पवैया ने कांग्रेस के तोमर को शिकस्त दी थी। इस विधानसभा सीट की विशेषता यह है कि सरकार कोई भी बने, उसे व्यवसायी वर्ग की चिंता करना पड़ेगी। डबल इंजन की सरकार रहे तो केंद्र से मदद प्रदेश सरकार को मिलती रहेगी। एलोवेटेड रोड जैसी बड़ी सौगात मिलेगी। प्रदेश में दोनों सरकार से गृहिणियों को नुकसान ही पहुंचा है। महंगाई की मार से किचिन का बजट संभालना मुश्किल है।
तोमर का विधानसभा क्षेत्र बदल सकता है
संभावना जताई जा रही है कि इस बार प्रद्युम्न सिंह तोमर का निर्वाचन क्षेत्र बदल सकता है। इसके दो प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं जिसमें से एक स्वयं प्रद्युम्न सिंह तोमर हैं। वैसे भी अनूप मिश्रा और एक अन्य विधायक ग्वालियर शहर की किसी विधानसभा से चुनाव लड़ना चाहते हैं। इससे कुछ ना कुछ एडजस्टमेंट करना पड़ेगा। तोमर कई बार यह बात कह चुके हैं कि ग्वालियर सीट में उनको काफी कठिनाई आएगी। वह बार-बार अपने क्षेत्र में होने वाले विकास कार्यों को लेकर सवाल उठाते रहे हैं। नगर निगम ग्वालियर को अपने निशाने पर लेते रहे हैं। एक बार तो चप्पल छोडक़र अपनी ही सरकार के खिलाफ प्रदर्शन भी कर चुके हैं। चुनाव में भाजपा की जीत सुनिश्चित करने की के लिए काम करने वाले प्रोफेशनल की टीम का मानना है कि सतीश सिकरवार इन दिनों पूरे ग्वालियर चंबल संभाग में असंतुष्ट भाजपा नेताओं को दिग्विजय सिंह और कमलनाथ से कनेक्ट करने का काम कर रहे हैं। यदि ग्वालियर चंबल संभाग में कांग्रेस पार्टी को जीतने से रोकना है तो ग्वालियर पूर्व के विधायक डॉ. सतीश सिकरवार को उन्हीं के अखाड़े में घेरना जरूरी है। इस काम के लिए प्रद्युम्न सिंह तोमर एकमात्र और सर्वोत्तम पहलवान है। ग्वालियर की राजनीति में केवल प्रद्युम्न सिंह तोमर ही हैं जो डॉ.सतीश सिंह सिकरवार को उनकी विधानसभा में गली-गली की धूल फांकने के लिए मजबूर कर सकते हैं।
जातिगत समीकरण
इस सीट पर कुल 2.88 लाख मतदाता है। जिसमें 1.54 लाख पुरुष एवं 1.32 लाख महिला मतदाता है। यदि जातीय समीकरण की बात करें तो यहां क्षत्रिय, ब्राह्मण एवं दलितों के वोट निर्णायक भूमिका निभाते है। ग्वालियर विस क्षेत्र में सबसे ज्यादा ब्राह्मण वोटरों की संख्या है। यहां करीब 30 से 34 हजार ब्राह्मण 28 हज़ार ठाकुर 24 हजार कुर्मी, 76 हजार मुस्लिम और 20 हजार वैश्य
दोनों दलों का बराबर रहा कब्जा
ये सीट कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों के पास बराबर रही है। 1957 से लेकर 2018 तक हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस 1962, 1980, 1993, 2008 एवं 2018 मिलकर कुल पांच बार जीत चुकी है। वहीं भाजपा ने भी 1985, 1990, 1998, 2003, 2013 और 2020 के उपचुनाव को मिलाकर 6 बार जीत दर्ज की है। इसके अलावा 1957 और 1972 में सीपीआई के रामचंद्र, 1967 में जनसंघ से जे प्रसाद एवं 1977 में जनता पार्टी के जगदीश गुप्ता विजयी हुए है। यदि पिछले पांच चुनावों की बात करें तो तीन बार यहां भाजपा और दो बार कांग्रेस को सफलता मिली है। 1998 और 2003 में भाजपा के टिकट पर वर्तमान केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर यहां से जीत दर्ज कर विधानसभा की सीढिय़ां चढ़ चुके है। इसके अलावा 2013 में पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया ने भाजपा के टिकट पर जीत दर्ज की थी। वहीं 2008 और 2018 में कांग्रेस के टिकट पर मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर विधायक निर्वाचित हुए है। वहीं 2020 में हुए उपचुनाव में तोमर भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते हैं।
जनता मेरे लिए जनार्दन
क्षेत्रीय विधायक और ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का कहना है कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के आशीर्वाद से मेरी जीत होती रही है। भाजपा का नेटवर्क भी मजबूत होने से मुझे लाभ मिला है। मैं क्षेत्रीय लोगों से जमीन से जुड़ा हूं। उनकी समस्याएं भी सुनने और हल कराने में मैने कभी देर नहीं की। यहां की जनता मेरे लिए जनार्दन है, इसलिए अपने मतदाताओं को सिर माथे पर लेकर चलता हूं। वहीं कांग्रेस नेता सुनील शर्मा कहते हैं कि मैं कांग्रेस पार्टी का आभारी हूं कि पार्टी ने उपचुनाव में लडऩे का मौका दिया। क्षेत्र की जनता और मतदाताओं ने मुझे आशीर्वाद दिया है। मुझे उम्मीद है कि मतदाता इस बार कांग्रेस का समर्थन करेंगे। उपचुनाव के बाद से मतदाताओं के लिए कोई सकारात्मक परिणाम दिखा नहीं है, इसलिए मतदाता सोच रहा है कि इस बार सरकार बदल दी जाए।