यस एमएलए/बिजली, पानी और रोजगार की समस्या हावी

गायत्री राजे पवार

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। देवास विधानसभा सीट उन सीटों में शामिल है, जहां आज भी राजवंश का राज चलता है। यहां की राजनीति महल के इर्द-गिर्द ही घूमती रहती है। देवास के सियासी इतिहास की बात करें तो यह विधानसभा सीट 1957 में वजूद में आई। 1962 तक यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी। परिसीमन के बाद यह सीट सामान्य सीट हो गई है। यह सीट भाजपा का गढ़ है, हालांकि कभी कांग्रेस का गढ़ रही देवास विधानसभा सीट अब भाजपा का गढ़  बन चुकी है। भाजपा इस सीट पर 1990 से लगातार जीत दर्ज करते आ रही है। यानी पिछले 8 चुनावों में भाजपा को यहां जीत मिली है। कांग्रेस को आखिरी बार इस सीट पर 1985 में जीत मिली थी। लेकिन विडंबना है की क्षेत्र में विकास के बाद भी बिजली, पानी और रोजगार की समस्या हावी है। देवास में रोजगार को लेकर पिछले कई सालों से युवा परेशान हैं। देवास औद्योगिक क्षेत्र में कई नामचीन कंपनियां वर्तमान में बंद पड़ी हैं। बेशकीमती जमीन पर अभी भी इन कंपनियों का कब्जा है। वहीं, अब औद्योगिक क्षेत्र में जमीन उपलब्ध नहीं होने से नई कंपनियां निवेश नहीं कर पा रही हैं। विधायक का कहना है कि हमने उद्योगों की पानी की समस्या हल की है, उसके बाद कई नई कंपनियां यहां आई हैं। इस पर कांग्रेस नेता और पूर्व महापौर ठाकुर जयसिंह का कहना है कि 1990 के बाद से देवास में नई कंपनी आना तो दूर पुरानी फैक्ट्रियां तक बंद हो गईं।
विकास पर अपने-अपने दावे
विधायक गायत्री राजे पवार का कहना है कि पिछले साढ़े चार वर्षों में अब तक के सबसे अधिक विकास कार्यों का रिकॉर्ड बना है। हमने जनता से जो वादे किए थे, वे सभी पूरे किए है। पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि सभी क्षेत्रों में हमने खूब काम किए हैं। 105 सडक़ें हमें कायाकल्प योजना के तहत मिली हैं। हमने कई नए भवन और पुल बनवाए हैं। वहीं कांग्रेस नेता ठा. जयसिंह का कहना है कि शहर में कोई बड़ा काम विधायक ने नहीं कराया है। उन्होंने हर अच्छे काम में अड़ंगा ही लगाया है। इनके संरक्षण में शहर में गुंडा तत्व पनप रहे हैं। व्यापारी वर्ग चंदाखोरी से परेशान है। मैंने महापौर रहते हुए कई काम कराए थे। वहीं कांग्रेस जिलाध्यक्ष मनोज राजानी कहते हैं कि जो विकास कार्य नजर आ रहे हैं, उनमें से अधिकांश कांग्रेस की सरकार में स्वीकृत हुए थे। हमारी विधायक ने देवास के लिए कोई भी नई योजना लागू नहीं करवाई है। जिस फ्लाईओवर को वे अपनी उपलब्धि बताती हैं, वो सज्जन सिंह वर्मा की देन हैं। शहर के बीच से गुजरने वाले एबी रोड पर बने फ्लाईओवर को लेकर भी कांग्रेस और भाजपा में तकरार है। शहर की जनता इसे एक सौगात के तौर पर देखती है, तो कांग्रेस का मानना है कि यह अभी जहां बना है, वहां इसकी जरूरत ही नहीं थी। मनोज राजानी कहते हैं कि हमने इसे भोपाल चौराहे पर स्वीकृत कराया था, विधायक ने इसे विकास नगर चौराहे पर शिफ्ट करवा दिया। इस बारे में विधायक का कहना है कि जहां पर ये ब्रिज बना है, वहां सडक़ चौड़ी थी, इससे वहां यातायात सुगम हुआ है। ब्रिज के ऊपर और नीचे से ट्रैफिक आसानी से निकल रहा है।
कांग्रेस की उम्मीदवारी
देवास के लोगों का तो यहां तक कहना है कि यहां कांग्रेस का उम्मीदवार भी महल से ही तय होता है। यही वजह है कि कांग्रेस इस सीट को बीते तीन दशक में कभी जीत नहीं पाई। देवास की आधुनिक पहचान कभी उद्योगों के लिए थी, वहां कई उद्योग बंद पड़े हुए हैं। इस वजह से रोजगार के साधन नगण्य हो गए हैं। रोजगार की तलाश में कई युवा इंदौर पलायन कर रहे हैं। एसोसिएशन आफ इंडस्ट्री देवास के अध्यक्ष अशोक खंडेलिया कहते हैं कि जो लोग यह कहते हैं कि देवास में उद्योग बंद हो रहे हैं, वे एक भी बंद कंपनी का नाम बता दें। विधायक के परफॉर्मेंस को लेकर जनता की मिलीजुली प्रतिक्रिया रही है। विधायक के खिलाफ जनता बोलने से बचती नजर आई, क्योंकि उनका काफी दबदबा है। हालांकि कई को  अपने विधायक से शिकायत भी है।
क्षेत्र की मुख्य समस्याएं
देवास में अब भी पैकी प्लांट की समस्या बनी हुई है, जिसकी वजह से गरीब व मध्यम तबके के शहरवासी काफी परेशान हैं। यह एक ज्वलंत मुद्दा भी हैं, जो आगामी विधानसभा चुनाव में प्रमुख रहेगा। इसके आलावा यहां बिजली, पानी और रोजगार की समस्या भी हावी है। पिछले चुनाव में भाजपा की गायत्री राजे पवार ने जो वादे किए थे, उनमें से अधिकांश वादे पूरे किए हैं। पिछले 5 वर्षों में अब तक के सबसे अधिक विकास कार्यों का रिकॉर्ड बना है। वादों के मुताबिक देवास में दो ब्रिज निर्माण व एक फ्लाय ओवर का निर्माण किया गया हैं। जिसकी जनता द्वारा वर्षों से मांग की जा रही थी। शहर में कई प्रमुख सडक़ों का चौड़ीकरण किया गया हैं। जिससे यातायात की समस्या से लोगों को राहत मिली है। देवास में पहली बार अलग-अलग स्पोट्र्स पार्क का निर्माण किया गया हैं। जिससे खिलाडिय़ों को अपनी प्रतिभाओं को निखारने के लिए स्थान मिला है।
विधानसभा सीट का इतिहास
आपको बता दें कि करीब 3 दशक से देवास विधानसभा पर राजपरिवार का कब्जा है। राज परिवार ने ही यहां पर राज किया है। भाजपा की मुख्य राजनीति पैलेस से ही तय होती है। यहां से स्वर्गीय तुकोजीराव पवार 6 बार लगातार विधायक चुने गए थे। उसके बाद उनकी धर्मपत्नी गायत्री राजे पवार यहां से दो बार विधायक चुनी जा चुकी हैं। 2018 के चुनाव में भाजपा की ओर से गायत्री राजे पवार ही प्रत्याशी थीं। वहीं कांग्रेस ने जयसिंह ठाकुर को अपना प्रत्याशी बनाया था। जिसमें गायत्री राजे पवार 28 हजार से अधिक वोट से विजय हुई थी।
जातिगत समीकरण
वोटों के बंटवारे पर नजर डालें तो देवास विधानसभा में सवर्ण मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। इसके बाद ओबीसी वोटरों की संख्या है। अल्पसंख्यक भी यहां हार-जीत में महत्वपूर्ण निर्णय निभाते हैं। देवास विधानसभा में सवर्ण मतदाता- 30.68 प्रतिशत है। अन्य पिछड़ा वर्ग- 28.61 प्रतिशत, अल्पसंख्यक मतदाता- 17.83 प्रतिशत, अनुसूचित जाति- 18.25 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति- 4.63 प्रतिशत हैं।

Related Articles