यस एमएलए-बेरोजगारी व पानी की समस्या से लोग परेशान

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भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। खंडवा विधानसभा भाजपा की परंपरागत सीट मानी जाती है। यहां से भाजपा के विधायक देवेंद्र वर्मा तीन बार से विधायक हैं। पिछले चार दशक से भाजपा का यहां कब्जा है।  वहीं केंद्र और प्रदेश में भी भाजपा की सरकार है। लेकिन क्षेत्र में बेरोजगारी और पानी की समस्या अभी भी बनी हुई है। लोगों का कहना है कि खंडवा की कई कॉलोनियों में पानी हर दूसरे दिन सप्लाई होता है। इसके आने का समय भी तय नहीं होता इससे समस्या होती है। रेलवे फ्लाईओवर का काम कई वर्षों से चल रहा है, यह जल्द बनना चाहिए इससे शहर के लोगों को काफी सुविधा होगी। खंडवा जिले में जो वन कट रहे हैं, उनका संरक्षण राजनीति से ऊपर उठकर होना चाहिए। इन्हें बचाया जाना चाहिए। शहर की सडक़ों  पर काम होना चाहिए। प्रमुख सडक़ों पर कई जगह गड्ढे होने के  चलते इनसे आए दिन हादसे होते हैं। भाजपा के काम से खंडवा के लोग पूरी तरह संतुष्ट नहीं है। विधायक काम को लेकर संजीदा नहीं हैं। लेकिन कांग्रेस का कोई दमदार उम्मीदवार उनके मुकाबले नहीं है। इससे भाजपा जीतती है। भाजपा की तैयारी पन्ना प्रमुख से लेकर बूथ लेवल तक चल रही है। वहीं कांग्रेस में आपसी फूट बहुत है। इसका फायदा भाजपा को मिल रहा है। भाजपा लगातार यहां से जीत रही है। 40 वर्षों से अधिक समय से इस सीट पर भाजपा  का कब्जा है। बात करें यदि 2023 के चुनाव की तो भाजपा अभी भी यहां से बढ़त बनाई हुई हैं। दोनों ही दल चुनाव को लेकर सक्रिय हैं। मंडल और बूथों पर कार्यकर्ताओं को कैसे काम करना है, इसके लिए ट्रेनिंग भी दी जा रही है। इस बात से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि दोनों ही दल आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सक्रिय हैं।
विधानसभा में विकास
खंडवा विधानसभा की बात करें तो यहां विकास को लेकर कई दावे किए गए और कहीं ना कहीं विकास भी दिखाई देता है। खंडवा विधानसभा में स्व नंदकुमार सिंह चौहान मेडिकल कॉलेज, भगवंतराव मंडलोई कृषि कॉलेज, जावर सिंचाई परियोजना, और खंडवा शहर के लिए नर्मदा जल योजना के साथ यहां पर मूलभूत सुविधाओं के लिए भी काम हुए हैं। कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस विपक्ष में रहते हुए लगातार यहां पर नर्मदा जल योजना, ट्रांसपोर्ट नगर, औद्योगिक क्षेत्र जैसे मुद्दों को लेकर सरकार की विफलता को सामने लाने का प्रयास करती है। खंडवा विधानसभा में नर्मदा जल योजना के तहत लोगों के घर में पानी पहुंचाने के लिए 106 करोड़ से अधिक यह योजना लाई गई थी। जिसमें पाइप बदलने का आरोप लगाकर कांग्रेस इसे मुद्दा बना रही है। कांग्रेस का आरोप है कि आए दिन यह पाइप लाइन फूटती रहती है और 7-8 दिन तक खंडवा के लोगों को पानी नहीं मिल पाता है। यहां पर पीपीपी मोड पर स्विमिंग पूल मनाया जा रहा है, जो पिछले 10 वर्षों से पूर्ण नहीं हो पाया है। एक करोड़ से शुरू हुआ यह स्विमिंग पूल लगभग 5 करोड़ खर्च होने के बावजूद भी अभी तक अधूरा है। रुंधी ग्रोथ सेंटर बनकर तैयार है पर आज भी वहां पर कंपनियां इन्वेस्ट करने को तैयार नहीं है। इस तरह के मुद्दों को लेकर कांग्रेस हमेशा उग्र रहती है।
देवेंद्र वर्मा लगातार जीत रहे
भाजपा के देवेंद्र वर्मा 2008, 2013 और 2018 में यहां से जीतते आ रहे हैं। विधायक 2018 में देवेंद्र वर्मा  ने कांग्रेस के कुंदन मालवीय को हराकर यह सीट तीसरी बार जीती थी। इसके पहले यहां से भाजपा के ही हुकुमचंद यादव विधायक थे। उस समय यह सीट अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित थी और पिछले 4 वर्षों से यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इसके पूर्व विधायक देवेंद्र वर्मा कुछ समय के लिए अपने पिता पूर्व मंत्री किशोरी लाल वर्मा की मृत्यु के बाद खाली हुई सीट पंधाना से 2006 से लेकर 2008 तक विधायक रह चुके हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की गुड लिस्ट में विधायक देवेंद्र वर्मा हमेशा बने रहते हैं। वर्तमान विधानसभा की लोक लेखा समिति में वे सदस्य भी हैं, इसके अलावा विधानसभा में उत्कृष्ट कार्य करने वालों के चयन करने वाली चयन समिति में भी कार्य कर रहे हैं। विधायक विपक्ष के आरोपों को नकारते हुए वादों को पूरा करने के दावे कर रहे हैं।
सियासी समीकरण
पिछले चार दशक से भी ज्यादा समय से खंडवा विधानसभा सीट भाजपा का गढ़ रही है। वर्ष 1990 में भाजपा के हुकुमचंद यादव के चुनाव जीतने के बाद से ही यह भाजपा का गढ़ बना हुआ है। हालांकि इससे पहले भी वर्ष 1967 जनसंघ के में कृष्णराव और वर्ष 1977 में जनता पार्टी गोविंद प्रसाद गीते यहां से चुनाव जीते थे। वर्तमान में यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। दादाजी धूनीवाले और विश्व प्रसिद्ध गायक किशोर कुमार के शहर खंडवा में गत तीन बार से भाजपा के देवेंद्र वर्मा विधायक चुने जा हैं।  इस बार भी भाजपा की ओर से वर्मा को ही टिकट मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। पिछली बार कांग्रेस की ओर से कुंदन मालवीय ने ताल ठोकी थी। हालांकि उन्हें 19 हजार से ज्यादा वोटों से हार का सामना करना पड़ा था। खंडवा में जातिगत वोटों से ज्यादा विकास के मुद्दे चुनावों को प्रभावित करते हैं। इस बार के चुनावों में भी विकास ही मुद्दा बनने की उम्मीद है।
नेताओं के अपने-अपने दावे
क्षेत्र में विकास को लेकर विधायक देवेंद्र वर्मा का कहना है कि शासन की योजनाओं को प्रत्येक वर्ग तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। इससे हर वर्ग को लाभ मिल रहा हैं। कांग्रेस कोई चुनौती नहीं है। विकास सतत चलने वाली प्रक्रिया है। हम खंडवा में मेडिकल कॉलेज लेकर आए हैं। 500 करोड़ रुपए की सिंचाई परियोजना पर काम चल रहा है। मॉडल कॉलेज स्वीकृत कराया गया है। वहीं कांग्रेस के कुंदन मालवीय का कहना है कि भाजपा के पास लोगों के सामने ले जाने के लिए कुछ नहीं है। शासन की योजनाओं को भी भाजपा आगे नहीं बढ़ा पाई है। खंडवा में स्कूल नहीं बने, नर्मदा जल आने के बाद भी जल संकट है।
जातिगत समीकरण
खंडवा विधानसभा में बलाही, मुस्लिम और ब्राह्मणों के वोट निर्णायक माने जाते हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टी इस संतुलन को बनाए रखना चाहती है। खंडवा विधानसभा में करीब 2 लाख 65 हजार 071 मतदाता है। इनमें से 41 हजार बलाही समाज, 34 हजार मुस्लिम और 32 हजार ब्राह्मण वोटर हैं।

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