यस एमएलए: एक बार फिर गोविंद पर जनता का भरोसा

गोविंद सिंह

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम।  सागर जिले की सुरखी विधानसभा सीट पर 17वीं बार विधायक बनने की होड़ शुरू हो गई है। अब तक हुए 16 विधानसभा चुनावों में बाहरी प्रत्याशियों को लेकर सुरखी का इतिहास बरकरार है। सुरखी विधानसभा सागर जिले में इकलौता ऐसा क्षेत्र है, जहां विधानसभा गठित होने के बाद से अब तक कभी भी स्थानीय व्यक्ति विधायक नहीं रहा है। यहां से पहले विधायक पं. ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी से लेकर विट्टल  भाई पटेल, लक्ष्मीनारायण यादव, भूपेंद्र सिंह, गोविंद सिंह राजपूत और पारुल साहू तक बाहरी प्रत्याशी ही विधायक रहे हैं। ऐसा नहीं है कि अब तक स्थानीय व्यक्ति चुनाव मैदान में नहीं उतरा, लेकिन ये लोग समाजवादी पार्टी, बसपा और निर्दलीय तक ही पहुंच पाए और उन्हें बुरी तरह से शिकस्त भी खानी पड़ी। कोरोना काल का डेढ़ वर्ष छोड़ दें तो इसके बाद क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है। करीब पांच हजार करोड़ रुपये के निर्माण कार्य हो रहे हैं। इससे जनता भी खुश है, अब तकलीफ है तो कंठ तर करने की। इस क्षेत्र में जलसंकट बड़ी परेशानी है। खासकर ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं को हैंडपंप और कुओं से सिर पर घड़ा रखकर पानी लाना पड़ रहा है। कुछ जगह ट्रैक्टर पर टंकियां बांधकर चार-पांच किमी दूर से पानी लाना पड़ रहा है। ऐसे ही सिंचाई के लिए भी पानी की समस्या है। क्षेत्र की दूसरी बड़ी समस्या बेरोजगारी है।
सुरखी विधानसभा क्षेत्र का एक और इतिहास भी है। यहां कभी कोई विधायक लगातार तीन बार नहीं जीता। हालांकि गोविंद सिंह लगातार तो नहीं लेकिन 2018 में तीसरी बार और 2020 में चौथी बार सुरखी क्षेत्र के विधायक बने। इससे पहले भूपेंद्र सिंह, लक्ष्मीनारायण यादव, विट्टल भाई और बीबी राय दो-दो बार विधायक रहे हैं। वहीं लक्ष्मीनारायण यादव इकलौते ऐसे विधायक रहे हैं, जो चुने दो बार गए, लेकिन एक बार भी कार्यकाल पूरा नहीं कर सके।
विकास के अपने-अपने दावे
क्षेत्र में विकास को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के अपने-अपने दावे हैं। सडक़, स्टेडियम, ओपन जिम, स्कूल- कालेज और प्रशासनिक भवनों के निर्माण को लेकर गोविंद सिंह राजपूत के प्रयास दिखाई देते हैं। क्षेत्र का हर गांव पक्की सडक़ से जुड़ा है। जैसीनगर में जनआस्था का प्रमुख केंद्र बड़ा महादेव मंदिर नया स्वरूप ले रहा है। राहतगढ़ में भी शिव मंदिर का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। दोनों जगह सीएम राइज स्कूल हैं। जैसीनगर और बिलहरा में ओपन जिम, बस स्टैंड, ठेलों पर व्यापार करने वालों के लिए पक्का हाट बाजार, तहसील- उप तहसील भवन सहित अन्य कार्य किए जा रहे हैं। क्षेत्र में 150 टंकियां भी तैयार हैं, बस पानी का इंतजार है। पानी मढिय़ा बांध से लाने की तैयारी है। मंत्री और स्थानीय विधायक गोविंद सिंह राजपूत का कहना है कि टंकिया बन गई हैं, घर-घर नल लग गए। अब परीक्षण शुरू करने जा रहे हैं। संभवत: जुलाई से घरों में पानी पहुंचने लगेगा। हर गांव सडक़ से जुड़ गया है। हमने रोजगार मेले लगाए, इनमें शामिल हुई निजी कंपनियों ने हजारों युवाओं को रोजगार दिया है। करीब पांच हजार करोड़ रुपये की लागत से सभी जरूरी काम चल रहे है। क्षेत्र की जनता का मैं सेवक हूं। उनकी जरूरतों को पूरा करने से कभी पीछे नहीं हटूंगा। 2022 के उपचुनाव में निकटतम प्रतिद्वंदी रही पारुल साहू केसरी का कहना है कि जब मैं विधायक थी, तब जो काम स्वीकृत कराए थे, वही हुए हैं। कोई भी नया काम नहीं हुआ है। सिचाई परियोजनाएं स्वीकृति के बाद भी अब तक शुरू नहीं हो पाई हैं। नल-जल योजना का काम धरातल पर नहीं उतरा है। हमारे द्वारा स्वीकृत कराए गए कार्यों को ही पुनरीक्षित कराकर श्रेय लिया जा रहा है। युवा बेरोजगार हैं, क्षेत्र में अब तक कोई उद्योग नहीं लगाया जा सका है।
राजनीतिक समीकरण
सुरखी विधानसभा सीट पर दलबदल होने के बाद पूरे बुंदेलखंड में इसका असर पड़ा है। दरअसल सुरखी पर जब तक भूपेंद्र सिंह चुनाव लड़े तब तक ये भाजपा की झोली में रही। इसके बाद गोविंद राजपूत यहां से चुनाव जीतते रहे। भाजपा के लिए सुरखी पर कब्जा जमाना बेहद मुश्किल रहा, लेकिन राजपूत के बीजेपी में आने के बाद अब कांग्रेस के पास कोई चेहरा नहीं बचा है। इधर राजपूत ने भाजपा में अपनी अच्छी पैठ बना ली है। इसलिए अगली बार भी टिकट गोविंद राजपूत को मिलेगा इसमें कोई दो राय नहीं है।
जातिगत समीकरण
सुरखी में करीब 2 लाख से ज्यादा मतदाता हैं। सीट के जातिगत समीकरण को देखें तो इस सीट पर राजूपत, ब्राह्मण और ओबीसी वर्ग का प्रभाव रहा है। चुनाव के नतीजों में ये वर्ग निर्णायक साबित होते हैं।
16 में से 9 बार रहे कांग्रेस विधायक
सुरखी में 16 में से नौ चुनाव कांग्रेस ने जीते हैं। इस क्षेत्र से भाजपा विधायक और परिवहन एवं राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने एक उपचुनाव सहित चार बार जीत दर्ज की है। 2020 में वे ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हो गए। उपचुनाव में 40 हजार से अधिक मतों से जीते व मंत्री बने। यहां से 1951 में पं. ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी कांग्रेस, 1957 में बीबी राय कांग्रेस, 1962 में बीबी प्रेमनारायण राय कांग्रेस, 1967 में एनपी राय भारतीय जनसंघ, 1972 में गया प्रसाद कबीरपंथी कांग्रेस, 1977 में  लक्ष्मीनारायण यादव जनता पार्टी , 1980 में  विट्टल भाई पटेल कांग्रेस, 1985 में विट्टल भाई पटेल कांग्रेस, 1990 में लक्ष्मीनारायण यादव जनतादल, 1993 में भूपेंद्र सिंह भाजपा, 1998 में भूपेंद्र सिंह भाजपा, 2003 में गोविंद सिंह राजपूत कांग्रेस, 2008 में  गोविंद सिंह राजपूत कांग्रेस,  2013 में पारूल साहू केसरी भाजपा, 2018 में गोविंद सिंह राजपूत कांग्रेस और 2020 में गोविंद सिंह राजपूत भाजपा से चुनाव जीते है।
 दल-बदल और सांसद-मंत्री बनने का रहा है संयोग
कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आए गोविंद सिंह राजपूत के मंत्री बनने से सुरखी विधानसभा सीट फिर से सुर्खियों में है। इस सीट का गजब संयोग वाला इतिहास रहा है। यहां से जिन नेताओं ने चुनाव लड़ा है उनके साथ दल बदलने के साथ ही सांसद और मंत्री बनने का सौभाग्य जुड़ा रहा। गोविंद राजपूत ने कांग्रेस के टिकट पर 1998 से 6 विधानसभा चुनाव सुरखी सीट से लड़े। इनमें से दो चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। इस विधानसभा चुनाव में जीत मिलने के राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने से मंत्री पद भी मिल गया और अब भाजपा में आने पर पहली बार में ही मंत्री बनाए गए। लक्ष्मीनारायण यादव इसी सीट से सन 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते और मंत्री बने। इसके बाद जनता दल और कांग्रेस से होते हुए वे भाजपा में आए 2014 के लोकसभा चुनाव में सागर लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर सांसद बने। भूपेंद्र सिंह सुरखी से तीन विधानसभा चुनाव लड़े ,उन्होंने 1993 में कांग्रेस नेता विठ्ठल भाई पटेल को हराकर इस सीट पर भाजपा को पहली बार जीत दिलाई थी। इसके बाद उन्होंने 1998 के चुनाव में गोविंद राजपूत को हराया और 2003 के चुनाव में उनसे चुनाव हार गए। इसके बाद भूपेंद्र सुरखी सीट छोडक़र खुरई चले गए और 2009 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर सांसद बने। सांसद रहते खुरई से 2013 में विधानसभा चुनाव जीते और पिछली सरकार में गृहमंत्री बने।

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