यस एमएलए: मुद्दों की कोई कमी नहीं

राजेंद्र शुक्ल

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। विंध्य क्षेत्र की रीवा विधानसभा सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता है। वर्तमान में राजेंद्र शुक्ल यहां के विधायक हैं। रीवा विधानसभा सीट पर मुद्दों की कोई कमी नहीं है। बिजली, पानी समेत कई ऐसे मुद्दें है, जिससे आम लोगों को दो-चार होना पड़ता है। लेकिन क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या है, नशाखोरी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार। नशे के रूप में कफ सीरप, इंजेक्शन व नशे की गोलियां गांव-गांव पहुंचाई जा रही हैं। अब तो बच्चे भी कफ सीरप पीने लगे हैं। लोगों का कहना है कि विकास जैसा पहले था, वैसा ही अब है। कोई खास बदलाव नहीं हुआ है। युवा अब भी बेरोजगारी का दंश झेल रहा है, तब भी झेलता था।
रीवा जिले में स्थित 8 विधानसभा क्षेत्रों में से रीवा एक सामान्य सीट है। आगामी विस चुनाव में विंध्य भाजपा के लिए काफी अहम है। क्योंकि, 2022 में नगरीय निकाय चुनाव में 10 हजार मतों से भाजपा चुनाव हार गई है, 45 वार्डों में सिर्फ 18 में भाजपा प्रत्याशी चुनाव जीते हैं। इन चुनाव परिणामों ने भाजपा की नींद उड़ाकर रखी है। ऐसे में रीवा विधानसभा सीट से प्रत्याशी के बदलाव की चर्चा व मांग तेज हो गई है। रीवा समेत विंध्य में प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बड़ी सभाएं आयोजित हो चुकी हैं। उधर, कांग्रेस रीवा सीट जीतने के लिए लगातार मशक्कत कर कई वरिष्ठ नेता भोपाल से दिल्ली तक अपने टिकट के लिए कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस के लिए प्रत्याशी का चयन अहम होगा, इसलिए पार्टी पूरे अध्ययन के बाद प्रत्याशी तय करेगी।
विकास के बड़े-बड़े दावे
विधायक राजेंद्र शुक्ल का दावा है कि विधानसभा कार्यवाही में उनकी शत-प्रतिशत उपस्थिति रही। वे विधानसभा में 95 से ज्यादा सवाल उठा चुके हैं। विधायक निधि का सर्वाधिक उपयोग क्षेत्र की सडक़ों के निर्माण व प्रकाश व्यवस्था पर खर्च किया। पात्र लोगों को स्वेच्छानुदान की राशि वितरित की गई। वह कहते हैं कि जिस तेजी से रीवा शहर से लेकर समूचे जिले का विकास हुआ है वह अभूतपूर्व है। यहां पर्यटन, मेडिकल व औद्योगिक क्षेत्र में निवेश, सडक़ों का जाल, फ्लायओवर, रीवा-सीधी टनल, रीवा अल्ट्रा मेगा सौर ऊर्जा परियोजना समेत अन्य क्षेत्रों में बेहतर कार्य हुआ है। एयरपोर्ट निर्माण से कनेक्टिविटी बढ़ेगी। नहरों का जाल बिछाया गया है। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी रहे अभय मिश्रा का कहना है कि रीवा को कांक्रीट का जंगल बनाया जा रहा है। इससे विकास नहीं होता। महंगाई, बेरोजगारी से राहत व स्वास्थ्य सुविधाएं देने में विधायक नाकाम साबित हुए हैं। यहां सरकारी जमीन की लूट हुई है। खुद का विकास किया है। दिखाने के लिए ढिंढोरा पीटा जा रहा है।
कांग्रेस में दावेदारों की कतार
भाजपा से राजेंद्र शुक्ला इस बार भी विस चुनाव के लिए भी मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। उधर,कांग्रेस से कविता पांडेय, राजेंद्रशर्मा, महापौर अजय मिश्रा के रूप में कई दावेदारों के सामने आने से अनिश्चय की स्थिति बनी होना है। वहीं सपा से अजय शुक्ला, रामायण सिंह, बसपा से जेपी कुशवाहा एवं आप से दीपक पटेल दावेदार माने जा रहे हैं। दरअसल, रीवा विधानसभा क्षेत्र में अन्य राजनीतिक दलों के पास मजबूत विकल्प न होने की वजह से भाजपा निरंतर जीती है। लेकिन, आसमान छूती महंगाई, शिक्षित बेरोजगारी सहित अन्य मुद्दों को लेकर अब लोगों में गुस्सा भी बढ़ रहा है। हालांकि, भ्रष्टाचारियों और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई से जनता संतुष्ट भी हैं। कांग्रेस की रीवा विस के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति मजबूत है। साथ ही 2023 में विंध्य में आम आदमी की पार्टी ने भी दस्तक दे दी है। नगरीय निकाय चुनाव में शहरी क्षेत्र में पहली बार ही आठ हजार मत हासिल कर लिए हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव में आप से सबसे अधिक नुकसान भाजपा को है।
राजेंद्र शुक्ल लगातार जीत रहे
पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक राजेंद्र शुक्ल लगातार जीत रहे हैं। 2018 में उन्होंने कांग्रेस के अभय मिश्रा को हराया था। 2013 के चुनाव में राजेंद्र शुक्ल ने बीएसपी उम्मीदवार कृष्ण कुमार गुप्ता पर एकतरफा जीत दर्ज करते हुए करीब 37 हजार वोटों से चुनाव जीता था। बीएसपी को बीजेपी से आधे वोट भी हासिल नहीं हो पाए और दोनों दलों के बीच 30 फीसदी वोटों का अंतर रहा। कांग्रेस 17 फीसदी वोटों के साथ तीसरे पायदान पर रही। वहीं साल 2008 के चुनाव में बीजेपी के राजेंद्र शुक्ल का मुकाबला बीएसपी के मुजीब खान से था। जो करीब 26 हजार वोटों से चुनाव हार गए थे । राजेंद्र शुक्ल ने इस चुनाव में कांग्रेस, सीपीआई और बीएसपी के उम्मीदवारों को शिकस्त दी थी। रीवा विधानसभा के मतदाताओं की संख्या देखें , तो  यहां 3 लाख 10 हजार से अधिक हैं। जिसमें एक लाख 49 हजार महिला मतदाता है और 1 लाख 61 हजार पुरुष मतदाता है।
रीवा की जनता का मूड
रीवा विधानसभा सीट पर मुद्दों की कोई कमी नहीं है। बिजली, पानी समेत कई ऐसे मुद्दें है, जिससे आम नागरिकों को दो-चार होना पड़ता है। जब हमने लोगों से बात की तो विधायक और विकास को लेकर मिलाजुला जवाब मिला। यहां मतदाओं का कहना है कि जिस तरह से यहां विधायक एजेंडा बनाकर रखे है। उसके हिसाब से यहां कोई काम नहीं हुआ। विकास की बात करें तो यहां विकास की सख्त आवश्यकता है। मतदाता का कहना है कि रीवा अपने आप में एक बड़ा नाम है और अपने नाम के अनुसार विकास कर रहा है। इसमें किसी जनप्रतिनिधि का कोई हिस्सा नहीं है। रीवा शहर में प्रवेश करते ही एक के बाद एक तीन फ्लायओवरों पर रात में स्ट्रीट लाइट की रोशनी संभागीय मुख्यालय की सुंदरता को निखारती है। हाईवे के दोनों तरफ बड़े-बड़े व्यावसायिक काम्प्लेक्स, उनमें संचालित नामी कंपनियों के आउटलेट्स और होटल शहरी विकास का आभास कराते हैं, परंतु रीवा विधानसभा क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग रोजगार के लिए पलायन करने को मजबूर हैं।

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