
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। मैहर विधानसभा क्षेत्र हमेशा से ही सुर्खियों में रहा है। यहां के मौजूदा विधायक नारायण त्रिपाठी ने दो बार अलग-अलग पार्टी का दामन थामा और जीत हासिल की। नारायण त्रिपाठी ने पहले सपा छोडक़र कांग्रेस से चुनाव लड़ा, फिर कांग्रेस छोडक़र भाजपा से हाथ मिलाया और जीत हासिल की। इस बार विंध्य में भाजपा और कांग्रेस के अलावा मैहर से विधायक नारायण त्रिपाठी ने भी एक नई पार्टी बना कर यहां का राजनीतिक समीकरण बिगाड़ दिया है। त्रिपाठी ने अपने नए दल विंध्य जनता पार्टी के बैनर तले सभी 30 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है। माना जा रहा है कि नारायण त्रिपाठी की पार्टी भाजपा को बड़ा नुकसान कर सकती है। अब भाजपा के लिए 2018 का प्रदर्शन दोहराना चुनौती बन गया है। मैहर भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए नाक का सवाल बनी हुई है,पर इन दोनों ही राजनैतिक दल से इतर क्षेत्र के मौजूदा विधायक अलग ही राग अलाप रहे हैं। भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी अपने बयानों व पत्रों से जहां अक्सर केन्द्र व राज्य की भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा करते नजर आते हैं,तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा संगठन उनके मामले में कोई फैसला नहीं ले पा रही है। कांग्रेस के सूत्रों व जिम्मेदारों के दावे पर भरोसा करें तो अंत में नारायण त्रिपाठी कांग्रेस के साथ आएंगे। राजनीति में कब क्या हो जाए,कौन किसके साथ चला जाए यह कहना मुश्किल है लेकिन , वर्तमान समय में जैसे हालात हैं, वैसे में कांग्रेस व नारायण दोनों को मैहर में एक-दूसरे के साथ की जरूरत है। गोपाल शरण सिंह एवं नारायण त्रिपाठी दो ऐसे जनप्रतिनिधि हैं, जिन्हें मैहर की जनता ने लगातार तीन बार जिताया है। यह अलग बात है कि सिंह तीन बार लगातार एक ही पार्टी से विधायक निर्वाचित हुए हैं, तो नारायण त्रिपाठी को दो अलग-अलग पार्टियों से लगातार जीत मिली है। गोपाल शरण सिंह ने 1957,1962 और 1977 में मैहर का प्रतिनिधित्व किया है तो नारायण 2013, 2016 और 2018 से लगातार विधायक चुने जा रहे हैं। त्रिपाठी पहली बार 2013 में मैहर से विधायक चुने गए थे।
क्षेत्र की बड़ी समस्याएं
मैहर क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी की है। यहां पर तीन बड़ी फैक्ट्रियां होने के बावजूद भी स्थानीय युवकों को रोजगार नहीं दिया गया, जिसके कारण क्षेत्र के लोग पलायन करने को मजबूर है। इस बारे में क्षेत्रीय लोगों ने कई बार सत्ताधारी नेताओं को अवगत कराया, लेकिन कोई सुध नहीं ली गई। बार-बार पार्टी बदलने के बाद जीत का सेहरा पहनने वाले मौजूदा विधायक के सामने क्षेत्र में बेरोजगारी समस्या सबसे बड़ी है। अगर इसे दूर करने का ठोस प्रयास सामने नहीं आया तो उन्हें मतदाताओं के आक्रोश का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। इसके विपरीत कांग्रेस के पास भाजपा को टक्कर देने के लिए कई चेहरे हैं। यहां कांग्रेस-भाजपा दोनों को ही टक्कर देने की क्षमता बसपा रखती है। चाहे 2013 का चुनाव हो या इसके बाद का उपचुनाव, दोनों ही चुनावों में बसपा ने कांग्रेस और भाजपा को अच्छी-खासी टक्कर दी थी। मैहर में जिस गति से विकास कार्य हुआ है, उससे वहां की कुछ जनता काफी खुश है।
पार्टी बदलने में माहिर हैं नारायण
मैहर की राजनीति का केन्द्र बिन्दु बने विधायक नारायण त्रिपाठी अक्सर अपने स्टाइलिश कपड़ों को लेकर चर्चा में रहते हैं, ठीक वैसे ही वे पार्टियां बदलने के लिए भी चर्चा में रहते हैं। अब तक मैहर विधानसभा क्षेत्र का तीन अलग -अलग पार्टियों से वे प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। पहली बार नारायण त्रिपाठी 2003 में सपा से विधायक चुने गए थे, उसके बाद 2013 में कांग्रेस से, 2014 के लोकसभा चुनाव में वे भाजपा के साथ आ गए। विधानसभा से इस्तीफा देकर 2016 का उपचुनाव भाजपा से लड़ा और चुनाव भी जीते, एक बार फिर भाजपा ने 2018 में उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया और नारायण ने तब के कांग्रेस प्रत्याशी और अब के भाजपा नेता श्रीकांत चतुर्वेदी को मात्र 2984 मतों से हराया था।
कांग्रेस का दबदबा
मैहर विधानसभा सीट पर भले ही पिछले दो चुनावों में भाजपा जीत रही हो, लेकिन यहां भाजपा को पहली सफलता पार्टी के गठन के 23 साल और 6 चुनाव बाद मिली थी। 1997 में मैहर से जनता पार्टी से नारायण सिंह विजयी हुए थे, उसके बाद 1980 से 2008 तक हुए 7 चुनावों में से पार्टी को 6 चुनावों में पराजय ही मिली थी। 2008 में पहली बार मैहर में भाजपा की टिकट पर मोतीलाल तिवारी विधायक चुने गए थे। 1980 से 2003 तक भाजपा उम्मीदवारों को मैहर में दूसरा, तीसरा और चौथा स्थान ही मिलता रहा है। 1993 व 2003 में भाजपा उम्मीदवारों का चौथा स्थान मिला था। बहरहाल यदि मैहर के चुनावी इतिहास पर नजर डाली जाए तो 1952 से 2018 तक लगभग साढे 6 दशक में 16 चुनाव हुए हैं जिसमें से 9 बार कांग्रेस को विजय मिली है, जबकि धार्मिक नगरी मैहर में अब तक सिर्फ तीन बार भाजपा को जीत का मौका मिला है।
विकास के अपने-अपने दावे
मैहर में विकास को लेकर भाजपा और कांग्रेस के अपने-अपने दावे हैं। विधायक नारायण त्रिपाठी का कहना है कि मैहर नगर और विधानसभा क्षेत्र में कई विकास कार्य पूरे हो चुके हैं और कई काम चल रहे हैं। चुनाव के दौरान जितनी भी घोषणाएं की गईं, वे तकरीबन पूरी हो चुकी हैं। मैहर मां शारदा देवी की नगरी है, यहां की जनता न्याय का साथ देती है। इनका असर आगामी दिनों में दिखेगा। वहीं कांग्रेस नेता मनीष पटेल का कहना है कि विधायक विकास कार्य की बात करते रहते हैं, लेकिन क्षेत्र में अभी तक कोई ऐसा विकास कार्य नहीं किया गया है।
दावेदार बहुत
पार्टी के वर्तमान विधायक को यदि छोड़ दिया जाए तो भाजपा में भी टिकट के दावेदार बहुत हैं, लेकिन उनकी जीत की गारंटी नहीं है। बहरहाल चुनाव तक नारायण त्रिपाठी भाजपा के साथ नहीं रहते हैं तो भाजपा को यहां नया विकल्प देखना होगा। फिलहाल एक पूर्व विधायक समेत कांग्रेस से भाजपा में आए श्रीकांत चतुर्वेदी की टिकट की दावेदारी बनी हुई है। इस बीच भाजपा के एक बड़े नेता को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी की जा रही है।