
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज है। विधानसभा सीटों में कई सीटें ऐसी हैं , जहां दावेदारों की लंबी कतार सामने आ रही है। दावेदार चुनाव क्षेत्रों में सक्रिय हो चुके हैं। बड़वानी जिले की चार विधानसभा सीटों में से बड़वानी विधानसभा सीट भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बनी हुई हैं। यहां आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर दोनों ही प्रमुख पार्टी कांग्रेस-भाजपा अपनी तैयारी में जुटी है। जबकि जयस और आम आदमी पार्टी की भी हवा चल रही है। बड़वानी सीट पर भाजपा का दबदबा रहा है। यहां कांग्रेस के लिए 2018 के परिणाम के मद्देनजर इस बार भी समन्वय बैठाना बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। बड़वानी विधानसभा में भाजपा का दबदबा रहा है। यहां वर्तमान में प्रदेश के कैबिनेट मंत्री प्रेम सिंह पटेल विधायक है। वर्ष 2013 के चुनाव में हार के बाद 2018 के चुनाव में उन्होंने बड़ी जीत दर्ज की थी। उसके पूर्व 1993 से लगातार 2013 तकवे विधायक रहे। वहीं, कांग्रेस हर बार उम्मीदवार बदलती रही है। करीब ढाई दशक बाद 2013 में कांग्रेस के रमेश पटेल ने यहां से जीत दर्ज की थी। वहीं गत 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा व निर्दलीय प्रत्याशी राजन मंडलोई के बीच सीधा मुकाबला हुआ। कांग्रेस को तीसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा।
विकास के अपने-अपने दावे
क्षेत्र में विकास को लेकर विधायक और कैबिनेट मंत्री प्रेमसिंह पटेल का कहना है कि 1993 से 2003 तक अवश्य बड़वानी क्षेत्र में विकास नहीं हुआ, लेकिन उसके बाद हमने यहां की तस्वीर बदल दी। बेहतर स्कूल हैं, अच्छे छात्रावास और अस्पताल है। जहां-जहां पुराने पुल थे, उन्हें नया बनाया जा रहा है। क्षेत्र में सडक़ और पुल का काम तेजी से चल रहा है। बिजली भी बहुत से गांवों तक पहुंच गई है। बचे गांव भी जल्द रोशन होंगे। वहीं कांग्रेस नेता रमेश पटेल का कहना है कि यह क्षेत्र परिवारवाद की राजनीति का गढ़ है। विधायक प्रेमसिंह पटेल के परिवार के ज्यादातर सदस्य जिले के प्रमुख पदों पर काबिज हैं, लेकिन यहां न जल परियोजनाओं का लाभ मिल रहा है, न रोजगार को लेकर कोई काम हो रहा है। शहरी क्षेत्र से बाहर निकलते ही हाल बुरे हैं। वहीं बीते चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी रहे राजन मंडलाई का कहना है कि भाजपा विधायक यहां से लगातार पांच बार निर्वाचित हुए है। अब वे प्रदेश में मंत्री भी है। राज्यसभा सांसद और सांसद होने के बाद भी विकास की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। पहाड़ी क्षेत्र में लोग एक ही फसल ले पाते हैं। पानी, रोजगार कुछ नहीं है। इतने सालों में क्षेत्र में कुछ नहीं हुआ।
बिजली, पानी और सडक़ की समस्या
सतपुड़ा और विध्याचल पर्वत श्रृंखलाओं के बीच बसे बड़वानी में बड़ा क्षेत्र पेयजल, बिजली और सडक़ जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए रोज संघर्ष करता है। यहां सतपुड़ा की पहाड़ी पर एक ही पत्थर पर निर्मित भगवान ऋषभदेव की 52 गज की प्रतिमा दुनियाभर के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है और जिनके नाम पर ही इस क्षेत्र का नाम बावनगजा कहलाता है, इसके बाद भी वहां का पहुंच मार्ग अब तक सुविधाजनक नहीं बन सका है। सामाजिक कार्यकता मनीष शर्मा कहते हैं कि उद्योग नहीं होने की वजह से हर वर्ष बड़ी संख्या में आदिवासी यहां से गुजरात और विधानसभा क्षेत्र का सबसे अधिक महाराष्ट्र की ओर पलायन करते हैं। आबादी वाला क्षेत्र पाटी पहाडिय़ों में सिकलसेल एनिमिया की बीमारी परेशान करती है। पेयजल बड़ी समस्या है। यहां पर सर्वे और जागरूकता अभियान कागजों पर होना तो करना सामान्य सी बात मानी जाती है। पटेल क्षेत्र में बेहद मजबूत नजर आते हैं, लेकिन अब भी क्षेत्र के दर्जनों गांव, शहरी क्षेत्र से गांवों का रुख करते टोले, मजरे ऐसे हैं, जहां बिजली हो तस्वीर साफ होने लगती है।
मजदूरों का पलायन रोकना है चुनौती
क्षेत्र से हर साल हो रहे हजारों मजदूरों का पलायन रोकना यहां की सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। पिछले कई सालों से काम के अभाव में यहां के मजदूर गुजरात और महाराष्ट्र पलायन कर जाते है। रोजगार के अभाव में इनकी मजदूरी हो गई है कि इन्हें यहां से जाना पड़ता है। रोजगार मूलक योजनाओं के क्रियांवयन के लिए किसी भी जनप्रतिनिधि ने अब तक कोई सकारात्मक प्रयास नहीं किए है। उसी का कारण है कि यहां के गरीब आदिवासियों को दूसरे प्रदेशों का रूख करना पड़ रहा है। लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए इन्हें प्रयास करने होंगे। क्षेत्र में उच्च शिक्षा के मामले में कोई बड़े कॉलेज नहीं हैं। तकनीकी, एग्रीकल्चर और मेडिकल की पढ़ाई केे लिए आदिवासी बहुल इलाके के विद्यार्थियों को बाहर जाना पड़ता है। वहीं उद्योगों के अभाव में यहां के मजदूरों को बाहर काम के लिए जाना मजबूरी हो गया है। इन क्षेत्रों में कार्य हो तो लोगों का बहुत फायदा होगा।
क्षेत्र के मुद्दे
पहाड़ी इलाके में बिजली, पानी और सडक़ अब तक नहीं पहुंची है। रोजगार नहीं होने से क्षेत्र में पलायन सबसे बड़ी समस्या है। सर्वसुविधायुक्त अस्पताल हैं, लेकिन विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी है। डूब क्षेत्र में प्राचीन मंदिरों का विस्थापन नहीं होने से लोगों में नाराजगी है। इंजीनियरिंग, कृषि और मेडिकल कालेजों की मांग वर्षों से अधूरी है। कृषि क्षेत्र होने के बाद भी क्षेत्र में एक भी कोल्ड स्टोरेज या फूड प्रोसेसिंग यूनिट नहीं है। खूबसूरत वादियों, पर्वत श्रृंखलाओं और वर्षाकाल में झरनों से ओत-प्रोत प्राकृतिक सौंदर्य बड़वानी में जगह-जगह नजर आता है। पर्यटन के लिहाज से यह अपार संभवाना वाला क्षेत्र है, लेकिन इस ओर न जनप्रतिनिधि ध्यान देते हैं, न ही विभागीय अधिकारी। बावनगजा जैसे धार्मिक पर्यटन क्षेत्र जहां हर वर्ष हजारों लोग पहुंचते हैं, उसका पहुंच मार्ग भी अब तक बेहतर नहीं किया जा सका है। बड़वानी रियासतकाल में शिक्षा का बड़ा केंद्र था। आसपास की कई तहसीलों से 11 हजार से अधिक विद्यार्थी पढ़ाई के लिए जिले के इस इकलौते कालेज में आते हैं।