
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। वारासिवनी विधानसभा सीट बालाघाट जिले में आती है। यह इलाका सुगंधित चावल उत्पादन के लिए मशहूर हैं। फिलहाल इस सीट पर निर्दलीय का कब्जा है और प्रदीप जायसवाल विधायक हैं। इस बार इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं। यानी वर्तमान विधायक प्रदीप जायसवाल का मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों से होगा। एक समय था जब वारासिवनी कांग्रेस का गढ़ था, लेकिन आज इस विधानसभा सीट पर निर्दलीय का कब्जा है। 2018 में वारासिवनी विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी ) के योगेंद्र निर्मल और कांग्रेस के संजय सिंह मेसानी के बीच मुकाबला था। लेकिन कांग्रेस के बागी और निर्दलीय प्रत्याशी प्रदीप जायसवाल ने यहां जीत दर्ज की। उन्होंने भाजपा के योगेंद्र निर्मल को हराया। उन्हें 57783 वोट मिले, जबकि भाजपा प्रत्याशी को 53921 वोट ही मिले। शिवराज सिंह चौहान के साले संजय मसानी को इस सीट पर बुरी हार मिली। उन्हें 11 हजार 785 वोट ही मिल पाए हैं। बहुजन समाज पार्टी यहां अच्छा प्रदर्शन करते दिखी। उन्हें 21,394 वोट मिले। 2013 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर डॉ योगेंद्र निर्मल (बीजेपी) ने 66806 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी को 17938 मतों के अंतर से हराया। दूसरा स्थान (48868) वोटों के साथ प्रदीप अमृतलाल जायसवाल (कांग्रेस) को मिला। तीसरा स्थान (18992) वोटों के साथ अजब लाल (बीएसपी) का रहा। (2103) वोटों के साथ नोटा को चौथा स्थान को मिला।
प्रदीप जायसवाल भाजपा और कांग्रेस दोनों ही सरकार में सत्ता में रहे हैं। सूत्रों की मानें तो प्रदीप जायसवाल इन दोनों में से किसी एक दल में जाकर टिकट हासिल करते हुए चुनाव लड़ने की मंशा रखते हैं। लेकिन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ कह चुके हैं कि प्रदीप जायसवाल के लिए कांग्रेस के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हैं। जबकि भाजपा में आने को लेकर स्थानीय कार्यकर्ताओं का खुला विरोध जायसवाल को झेलना पड़ रहा है। यही वजह है फिर एक बार जायसवाल को बतौर निर्दलीय प्रत्याशी ही चुनावी मैदान में उतरना पड़ सकता है। वहीं भाजपा में मजबूत दावेदार के तौर पर पूर्व विधायक डॉ. योगेन्द्र निर्मल का नाम लिया जा रहा है। जबकि दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी से चुनावी मैदान में उतरने कई चेहरे सामने आ रहे हैं। वारासिवनी- खैरलांजी विस क्षेत्र में कांग्रेस व भाजपा की सियासत निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल के आगामी कदम पर टिकी हुई है। भाजपा को समर्थन देकर उन्होंने क्षेत्र में कुछ बड़े पुल व सडक़ों के काम स्वीकृत करवा लिए हैं। लेकिन उनके कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा में शामिल होने की चर्चाओं से क्षेत्र का राजनीतिक परिदृश्य साफ नहीं है।
विधायक से जनता नाराज
विधायक प्रदीप जायसवाल कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीतते आ रहे थे, किन्तु बीते चुनाव में कांग्रेस से बागी होकर उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की है। वारासिवनी खैरलांजी में लोधी और पवार जाति के सबसे अधिक वोटर हैं, जो हार-जीत में निर्णायक होते हैं। लेकिन इस समय क्षेत्रीय जनता उनसे खासी नाराज है। वारासिवनी के मतदाताओं का रुझान है कि सरकार में परिवर्तन होना चाहिए। वर्तमान विधायक ने जो विकास किए हैं वे दिखते हैं, चलते नहीं। वर्तमान स्थिति को देखा जाए तो जनता सरकार और विधायक दोनों से त्रस्त हो चुकी है। इसलिए बदलाव जरूरी है। विधायक तो बन रहे हैं, लेकिन जनता की समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा। वर्तमान विधायक के कार्यकाल में विकास कार्य तो हुए हैं, किन्तु इस बार जो चुनाव होना है वह प्रत्याशी के चेहरे पर ही निर्भर रहेगा।
विकास के अपने-अपने दावे
विधानसभा क्षेत्र में विकास की बात पर विधायक प्रदीप जायसवाल का कहना है कि मैंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत ही समाजसेवा से की है। मेरे लिए क्षेत्र की जनता ही सर्वोपरि है और अपने क्षेत्रवासियों के हित के लिए मैं हमेशा तत्पर हूं। ये जनता का प्यार और आशीर्वाद ही है कि मैं चार बार से यहां विधायक हूं। मुझे उम्मीद है कि आने वाले चुनाव में भी मुझे जनता का आर्शीवाद मिलेगा। वहीं भाजपा नेता डॉ. योगेन्द्र निर्मल का कहना है कि मैं पूर्व में भी विधायक रहा हूं, उस समय भी क्षेत्र में बहुत से कार्य करवाए, किन्तु इस बार जो विधायक है ,उससे जनता खुश नही है। क्योंकि वे कभी इस पार्टी तो कभी उस पार्टी में जाते हैं। इस बार भाजपा से विधायक बना तो मेरे कार्यकाल के जो कार्य अधूरे पड़े हैं, उन्हें पूरा किया जाएगा।