
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। टीकमगढ़ जिले में विधानसभा की कुल 3 सीटें हैं, ये सीटें है- टीकमगढ़, जतारा और खरगापुर। वर्तमान की अगर बात करें तो ये तीनों सीटें भाजपा के पास हैं। 2018 में जतारा विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हरिशंकर खटीक, लोकतांत्रिक जनता दल के डॉ. विक्रम चौधरी और महान दल के बीच त्रिकोणीय मुकाबला था। भाजपा उम्मीदवार ने 36715 मतों से महान दल के प्रत्याशी आरआर बंसल को हराकर जीत दर्ज की थी। बता दें इस सीट पर कांग्रेस ने चुनाव नहीं लड़ा था। कांग्रेस ने यह सीट लोकतांत्रिक जनता दल के लिए छोड़ी थी। इस बार विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट के साथ ही भाजपा विधायक को भितरघात का डर सताने लगा है। चुनाव को लेकर नेता अपने समर्थकों को एकजुट करने में लग गए हैं। विगतदिनों पूर्व मंत्री और टीकमगढ़ जिले के जतारा से भाजपा विधायक हरिशंकर खटीक का एक वीडियो सामने आया था। जिसमें वे अयोध्या की सरयू नदी में खड़े होकर पार्टी कार्यकर्ताओं को आगामी चुनाव में छल-कपट नहीं करने और चुनाव में धोखा नहीं देने की शपथ दिला रहे हैं। वीडियो में भाजपा नेता एवं दो बार जल उपभोक्ता सिंचाई समिति के अध्यक्ष रहे रूपेश तिवारी भी विधायक के साथ दिखे। तिवारी ने भी चुनाव में धोखा नहीं देने और साथ रहने का संकल्प लिया। वायरल वीडियो के संबंध में जतारा विधायक हरिशंकर खटीक का कहना है कि अयोध्या तीर्थ में पवित्र सरयू नदी में खड़े होकर अपने क्षेत्र की सुख समृद्धि के लिए प्रार्थना की है। मैंने हाथ में जल लेकर स्वयं किसी के साथ छल कपट नहीं करने और दूसरों से भी मेरे साथ छल कपट नहीं करने का संकल्प लिया। इसमें बुराई क्या है। साथ ही यह भी सवाल उठ रहा है कि अपने लोगों पर विधायक हरिशंकर खटीक को भरोसा क्यों नहीं हो रहा है। लोग कह रहे हैं कि अविश्वास के चलते ही वह अपने कार्यकर्ताओं को सरयू नदी में कसम दे रहे हैं। विधायक अपने समर्थकों से कह रहे हैं कि हे सरयू मैया, अपने जीवन में अच्छे-अच्छे आदमियों से जुड़े। समर्थकों ने कसम में यह भी कहा कि हे सरयू मैया हम आपके साथ चुनाव में कोई छल छंद नहीं करेंगे। इस दौरान वहां मौजूद लोग वीडियो भी बना रहे थे। 2013 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर अहिरवार दिनेश कुमार (कांग्रेस) ने 51149 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी खटीक को 233 मतों के अंतर से हराया था। तीसरा स्थान (15516) वोटों के साथ संतोष (एमडी) का रहा था। जबकि (3310) वोटों के साथ बीएसपी को चौथा स्थान को मिला था। बता दें कि जतारा सीट पर 1998, 2003 और 2008 में भाजपा लगातार जीतते आई थी, लेकिन पिछले चुनाव में कांग्रेस ने बाजी पलट दी और जीत दर्ज करने में सफल रही। जतारा से भाजपा प्रत्याशी हरिशंकर खटीक ने 2018 में अपनी पिछली हार का बदला ले लिया। उन्होंने 63 हजार से अधिक मतों से जीत दर्ज कर सभी को चौंका दिया।
नगर पंचायत पर भी रहा कब्जा
हरीशंकर खटीक का इस सीट पर पूर्व में बड़ा प्रभाव रहा है। यही वजह है कि पूर्व में पलेरा नगर पंचायत में अध्यक्ष पद पर उनके परिवार के सदस्य ही लगातार जीतते रहे हैं। खटीक इलाके में लगतार सक्रिय रहते हैं। यही वजह है कि उनकी इलाके में पकड़ मजबूत मानी जाती है। वे वर्तमान में प्रदेश संगठन में महामंत्री भी हैं।
क्या कहता है चुनावी इतिहास
1990 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने यहां जीत हासिल की थी। भाजपा के सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने कांग्रेस जगदीश प्रसाद अहीर को 1505 वोटों से हराया था। 1993 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अखंड सिंह ने जीत हासिल की। उन्होने भाजपा के सुनील नायक को 8275 वोटों से हराया था। 1998 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने वापसी करते हुए चुनाव जीता। भाजपा प्रत्याशी सुनील नायक ने कांग्रेस के कम्मोद प्रसाद केवट को 17831 मतों से हराकर जीत हासिल की। 2003 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के सुनील नायक ने एक बार फिर जीत का परचम लहराया। उन्होने इस बार कांग्रेस की डाक्टर सरोज अहीर का हराया। नायक ने इस बार 14613 मतों से जीत हासिल की। 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने हरीशंकर खटीक को यहां से अपना उम्मीदवार बनाया। हरीशंकर खटीक 847 वोटों से चुनाव जीतने में कामयाब रहे। खटीक को शिवराज मंत्रीमंडल में राज्य मंत्री बनाया गया।
इतिहास और सियासी गणित
1990 से लेकर 2018 तक हुए कुल 7 चुनाव का गणित देखा जाये, तो यहां भाजपा का पलड़ा भारी रहा है। भाजपा ने कुल 7 चुनाव में 5 चुनाव जीते हैं,जबकि 2 चुनाव जीतने में कांग्रेस कामयाब रही है। जतारा विधानसभा सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता है। 2018 का विधानसभा चुनाव भाजपा के हरीशंकर खटीक ने लगभग 36 हजार वोटों से जीता था। कांग्रेस ने 2018 में अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था। कांग्रेस ने एलजेडी को समर्थन दिया था।
क्या कहते हैं समीकरण: 1990 से 2018 तक हुए कुल 7 चुनाव का गणित बताता है कि ये सीट भाजपा के लिए सुरक्षित सीट रही है। हालांकि कांग्रेस के लिहाज से देखा जाये तो पार्टी ने 2 बार यहां से जीत हासिल की। क्या भाजपा एक बार फिर यहां जीत हासिल कर पायेगी या फिर कांग्रेस नई रणनीति के साथ यहां मैदान में उतरकर जनता को अपने पक्ष में कर पायेगी ये बड़ा सवाल है।