
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। दतिया जिले की भांडेर विधानसभा सीट ऐसी सीट है, जिस पर अभी से चुनाव में कश्मकश के कयास लगाए जाने लगे हैं। यह ऐसी सीट है, जो अभी से कांग्रेस के पक्ष में बताई जा रही है, लेकिन चुनावी परिणाम क्या होंगे यह तो मतगणना के बाद ही पता चल सकेगा, लेकिन इस सीट पर बेहद कड़ा मुकाबला होना तय माना जा रहा हैै। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट की बेहद अहम बात यह है कि यहां पर हार जीत का फैसला ब्राह्म्ण मतदाता करते हैं। इस भाजपा की परंपरागत सीट पर पहली बार 2018 में कांग्रेस की रक्षा संतराम सिरोनिया ने जीत हासिल की थी, लेकिन बाद में वे श्रीमंत के कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल हो गई थीं। इसके बाद वे उपचुनाव में भाजपा के टिकट पर उतरी और जीत दर्ज की। यह जीत बेहद कम मतों से मिली थी। उनके मुकाबले में कांग्रेस ने भी दलबदल कर आए बसपा के पूर्व नेता फूल सिंह बरैया को मैदान में उतारा था। सिरोनिया ने कांग्रेस प्रत्याशी फूल सिंह बरैया को 171 वोटों से हराया था। उनकी इस जीत में कांग्रेस के बागी हुए महेन्द्र बौद्ध का बसपा से चुनाव लडऩा बेहद अहम रहा था। इसके साथ ही इस सीट पर सिरोनिया दूसरी ऐसी विधायक बनी है जो यहां से लगातार दूसरी बार जीती हैं। वे एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा में रहते विजय हासिल कर चुकी हैं। इतने कम मतों से जीत मिलने की वजह से इस बार उनके टिकट को लेकर संशय की स्थिति बनती दिख रही है। उधर, भाजपा सेे पूर्व विधायक कमलापत आर्य की दावेदारी बनी हुई है।
2008 और 2013 में क्या थे इस सीट पर नतीजे
बीजेपी के घनश्याम पिरौनियां ने 2013 के चुनाव में 36878 वोटों के साथ जीत हासिल की थी। दूसरे स्थान पर कांग्रेस के अरुण कुमार थे, जिनको 29227 वोट मिले थे। हालांकि बीजेपी को 3 जीत तो हासिल हुई है, लेकिन तीनों ही बार उसके उम्मीदवार अलग-अलग रहे। 2008 के चुनाव में भी बीजेपी ने जीत हासिल की थी। तब आशा राम अहिरवार बीजेपी के टिकट से विधानसभा पहुंचे थे। वहीं लोकजनशक्ति पार्टी के फूल सिंह 16363 वोट के साथ दूसरे स्थान पर थे। इसके पहले 2003 में बीजेपी के कमलापत आर्य ने जीत हासिल की थी। 2008 के चुनाव में भी बीजेपी ने जीत हासिल की थी। आशा राम अहिरवार बीजेपी के टिकट से विधानसभा पहुंचे थे। वहीं लोकजनशक्ति पार्टी के फूल सिंह 16363 वोट के साथ दूसरे स्थान पर थे। इसके पहले 2003 में बीजेपी के कमलापत आर्य ने जीत हासिल की थी। इस सीट पर सबसे बड़ी व सबसे कम मतों से जीत का रिकार्ड भी रक्षा संतराम सिरौनिया के नाम है। 2018 के आम चुनाव में उनके द्वारा भाजपा की रजनी प्रजापति पर 39896 मतों से विजय प्राप्त की गई थी। इसी तरह से 2020 के उपचुनाव में उनके नाम सबसे कम मतों से जीत का रिकॉर्ड भी दर्ज हो चुका है।
मतदाताओं की राय
मतदाताओं को कहना है कि क्षेत्र में शासकीय स्तर पर बहुत ज्यादा विकास कार्य नहीं किए गए हैं। विकास कार्यों के बारे में भी कुछ नहीं पता । 2018 में कांग्रेस और 2020 के उपचुनाव के बाद भाजपा में चले जाना, यह स्थिति ठीक नहीं है । न कांग्रेस सरकार में कुछ हुआ और न ही अब। बहुत ज्यादा विकास की जरूरत है । क्षेत्र में कई योजनाओं का क्रियान्वयन भी ठीक से नहीं हो सका है। बस स्टैंड, शमशान घाट सहित आमजन के उपयोग वाली कई अन्य चीजों पर शासन-प्रशासन का कोई ध्यान नहीं।
जातिगत समीकरण
भांडेर विधानसभा क्षेत्र में जातिगत आंकड़े चुनाव में महत्वपूर्ण हैं। विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति का वोट 30.3 प्रतिशत, यादव 16.50 प्रतिशत, दांगी 15.10 प्रतिशत, ठाकुर, क्षत्रिय 4 प्रतिशत, मुस्लिम और ब्राह्मण 9.50 प्रतिशत अन्य समाज के 16 से 20 प्रतिशत मतदाता हैं। भांडेर में यादव, दांगी, गुर्जर, किरार, कुर्मी, पटेल, लोधी, साहू, ब्राह्मण, मुस्लिम, वैश्य, ठाकुर, जाटव, परिहार, सेन, प्रजापति जैसी प्रमुख जातियों के मतदाता हैं। अजा वर्ग के लिए आरक्षित इस सीट पर ब्राह्मण, ठाकुर, वैश्य वोट किस ओर मूव कर रहे हैं, इस पर निर्भर रहता है।
किसका क्या कहना है
भाजपा विधायक रक्षा सिरोनिया का कहना है कि 2018 में इस सीट से मतदाताओं ने कांग्रेस को विजयी बनाया और जब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोडक़र भाजपा में हम गए तो इस क्षेत्र के मतदाताओं ने दूसरी बार भी अपना आशीर्वाद दिया। इस बार भी हमारी पूरी तैयारी है, क्योंकि हमने क्षेत्र कां विकास किया है। उधर, कांग्रेस नेता फूल सिंह बरैया का कहना है कि हमने प्रयास तो पूरा किया था, लेकिन जीत नहीं हो सकी, यह जनता जनार्दन की बात है। मतदाताओं ने एक बार मुझे विधायक बनाया है। इस बार बाजी हाथ से निकल गई, तो कोई बड़ी बात नहीं है। जहां तक वोट का सवाल है तो वह उसी दल के पास जाएगा जिसने पिछले सालों में अच्छा काम किया होगा।