
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। महिदपुर उज्जैन जिलेे में स्थित एक नगर पंचायत और नगरपालिका है। यहां इसी नाम की तहसील का मुख्यालय भी है। महिदपुर के संस्थापक राजा महेडा भील थे । उन्होंने इस नगर को बसाया उनके नाम के आधार पर ही महिदपुर का नाम रखा गया। जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा कृषि और इससे संबंधित क्षेत्रों में कार्यरत है, जो प्रत्यक्ष रूप से या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि उत्पाद का प्रमुख केन्द्र है। इस सीट पर वर्तमान में बहादुर सिंह चौहान विधायक हैं। यह सीट भाजपा का गढ़ है। भाजपा की मजबूती का आंकलन इसी से किया जा सकता है, कि पिछले दो बार से यहां कांग्रेस प्रत्याशी की जमानत तक नहीं बच पा रही है। इस सीट पर इस बार औबेसी की पार्टी की भी नजर है। महिदपुर विधानसभा अनारक्षित सीट है। यह विधानसभा भाजपा का गढ़ रही है। इस बार भी विधानसभा चुनाव में भाजपा की स्थिति काफी मजबूत बताई जा रही है। वहीं कांग्रेस में गुटबाजी इतनी हावी है कि पिछले दो चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशी की यहां जमानत जब्त हो चुकी है। 2003 में बहादुर सिंह कांग्रेस प्रत्याशी प्रताप सिंह गुर की जमानत जब्त करा चुके हैं। इसके बाद 2013 व 2018 के चुनावों में भी चौहान ने ही भाजपा की जीत का परचम लहराया। पिछले 20 सालों में 4 बार चुनाव लडक़र 3 बार विधायक बनने वाले बहादुर सिंह चौहान की टक्कर का कोई भी प्रत्याशी नहीं है। यहां तक कि आसपास की सौंधिया बाहुल्य क्षेत्र की विधानसभा में भी उनका दबदबा है। रही बात कांग्रेस की तो 2 बार कांग्रेस प्रत्याशी की जमानत जब्त होने के बाद अब 2023 में भी कांग्रेस के पास कोई मजबूत उम्मीदवार नहीं है। गुटबाजी इतनी है कि कांग्रेस का चुनाव जीतना बहुत मुश्किल है।
विकास के अपने-अपने दावे
विधानसभा क्षेत्र में विकास की बात पर विधायक बहादुर सिंह चौहान का कहना है कि महिदपुर विधानसभा में घर-घर पानी, खेत-खेत पानी का नारा दिया है। इंदौख, हरबाखेड़ी, श्यामाकोट और डूंगरिया में 800 करोड़ के डैम के साथ ही 400 करोड़ लागत से गांव-गांव पाइप लाइन बिछाने का काम जारी है। भरपूर पानी से क्षेत्र के किसान समृद्ध बनेगा और उनकी आय दुगनी होगी। वहीं कांग्रेस नेता दिनेश जैन बोस का कहना है कि महिदपुर विधानसभा को भयमुक्त करना पहली प्राथमिकता रहेगी। विधायक दबाव और भय की राजनीति करते हैं। इसे खत्म करने का प्रयास किया जाएगा। साथ ही विधानसभा के हर पांच गांवों के बीच बहने वाली नदी पर छोटे स्टॉपडेम बनाए जाएंगे, ताकि किसान खुशहाल हो सकें। वहीं महिदपुर विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं का कहना है कि विधायक ने जनता के लिए काम किया है। हर घर पानी-हर गांव खेत पानी की योजना से किसानों की आय बढ़ेगी। जब से बहादुर सिंह चौहान विधायक बने हैं , तब से हमारे शहर में अमन-चैन है। पहले आए दिन सांप्रदायिक तनाव बना रहता था। पहले हमारे गांव तक पहुंचने का रास्ता कच्चा था। विधायक चौहान के प्रयासों से कई गांवों में रोड बन चुके हैं। महिदपुर तहसील में सबसे अधिक आवास योजना का लाभ मिला है । हमारे जैसे छोटे व्यापारियों को इसका सीधा फायदा हुआ है।
दावेदार
भाजपा की तरफ से वर्तमान विधायक बहादुर सिंह चौहान दावेदार हैं, तो कांग्रेस की ओर से विजयसिंह गौतम का नाम चर्चा में है। गौरतलब है की इस साल विधानसभा चुनावों को जीतने के लिए कमर कस चुकी कांग्रेस अब प्रत्येक सीट पर सोच समझकर प्रत्याशी उतारने के मूड में है। पहले कांग्रेस से कल्पना परुलेकर विधायक थीं, लेकिन अब यहां कोई दमदार प्रत्याशी नजर नहीं आता। हालांकि दिनेश बॉस ने सम्भावनाएं दिखाई थी लेकिन, अब वे भी बैकफुट पर चले गए है। उज्जैन जिले के ग्रामीण जिला अध्यक्ष कमल पटेल जरूर यहां से दावेदारी जता रहे है लेकिन वे काम से चुस्त कम सुस्त ज्यादा है। लोकप्रियता के साथ ही उनकी दृढ़ छवि के चलते कांग्रेस विजय सिंह गौतम को भाजपा विधायक बहादुरसिंह चौहान के सामने मैदान में उतार सकती है। कुल मिलाकर कांग्रेस का यह दांव भाजपा पर भारी पड़ सकता है। महिदपुर के कांग्रेसी कार्यकर्ता भी विजयसिंह गौतम जैसे मजबूत उम्मीदवार की मांग कर रहे है। वही विजयसिंह गौतम कई दशकों से कांग्रेस पार्टी की बिना पद की इच्छा लिए सेवा कर रह रहे है,ऐसे में इन चुनावों में उन्हें इसका लाभ मिलता दिखाई दे रहा है।
जातिगत समीकरण
महिदपुर राजपूत बाहुल्य है। तथा एससी, मुस्लिम, ओबीसी और ब्राह्मणों में भी कांग्रेस को पसंद करने वाला बड़ा वर्ग है। महिदपुर विधानसभा क्षेत्र सौंधिया राजपूत बाहुल्य क्षेत्र है। यहां अनुसूचित जाति और सौंधिया राजपूत मिलकर विधायक बनाते हैं। यही कारण रहा कि पिछले 4 विधानसभा चुनावों में यहां से तीन बार सौंधिया समाज का उम्मीदवार चुनाव जीता है। इसके साथ ही ब्राह्मण, ठाकुर और अन्य समाज एकजुट नहीं होने के कारण वोट बंट जाते हैं।