यस एमएलए- भक्तों की परेशानी न पड़ जाए कहीं भारी

एमएलए

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। भगवान महाकाल की वजह से प्रदेश की धर्मनगरी के नाम से प्रसिद्ध उज्जैन शहर की उत्तर विधानसभा सीट पर इस बार भक्तों को होने वाली परेशानी भाजपा के लिए भारी पड़ सकती है। यहां पर प्रशासन द्वारा किए जाने वाले मनमाने निर्णयों की वजह से स्थानीय से लेकर बाहरी भक्त तक बेहद परेशान रहते हैं। धर्म, अध्यात्म, शिक्षा के इतिहास को संजोकर रखने वाली यह सिंहस्थ नगरी प्रमुख राजनीतिज्ञों के केंद्र में भी रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हों या पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ, दोनों ही महाकाल की शरण में आकर ही चुनावी जीत की कमाना करते रहते हैं। सियासी तौर पर शहर में दो विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें उत्तर विधानसभा सीट के तहत ही ज्योतिर्लिंग महाकाल, हरसिद्धि, मंगलनाथ, कालभैरव और अधिकांश प्रमुख मंदिर स्थित हैं। मोक्षदायिनी शिप्रा का प्रमुख भाग भी इसी विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है। धार्मिक धरोहर से समृद्ध इस क्षेत्र में भाजपा का दबदबा रहा है। उज्जैन उत्तर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने अंतिम बार 1998 में जीत हासिल की थी। इसके बाद 2003, 2008, 2013, 2018 के चुनाव में भाजपा लगातार विजयी रही। इस सीट पर लगातार पारस जैन विधायक बनते आ रहे हैं। इस बीच वे प्रदेश सरकार में 2005 से 2018 तक विभिन्न विभागों के मंत्री भी रहे। इसके बाद भी इस क्षेत्र में अब भी समस्याएं बरकरार हैं। यह बात अलग है कि इस बीच इलाके में अलग-अलग योजनाओं के तहत कई कार्य भी हुए हैं। महाकाल मंदिर क्षेत्र का विस्तार, अन्य धार्मिक क्षेत्रों का विकास, सडक़ चौड़ीकरण, स्कूल, कालेज के निर्माण आदि विकास कार्य हुए हैं। श्री महाकाल महालोक के रूप में आस्थावानों की कामना पूरी हुई है, लेकिन जिस तरह से लोक में स्थापित मूर्तियां क्षतिग्रस्त हुई हैं, उससे लोगों में रोष देखा जा सकता है। इसका असर स्थानीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में पडऩे की संभावना है। इसके अलावा महाकाल मंदिर में अच्छी दर्शन व्यवस्था, अन्य धार्मिक स्थलों पर अधूरे कामों का पूरा होना और मोक्षदायिनी शिप्रा में नालों का गंदा पानी मिलने से रोकना जैसी जनभावनाएं, अपेक्षाएं अब तक पूरी नहीं हो सकी हैं। यही वजह है कि इस बार कांग्रेस इन मुद्दों के सहारे भाजपा के इस गढ़ को ध्वस्त करने की योजना बना रही है। फिलहाल यह मुद्दे कितने प्रभावी होंगे यह तो चुनाव परिणाम आने पर ही पता चल सकेगा, लेकिन माना जा रह है कि इस बार इस सीट पर बेहद रोचक मुकाबला दिखेगा। भाजपा की तरफ से तो मौजूदा विधायक पारस जैन को ही प्रत्याशी बनाया जाना लगभग तय माना जा रहा है, जबकि कांग्रेस में अभी से टिकट को लेकर सिर फुटब्बल के हालात बनते दिख रहे हैं। कांग्रेस की ओर से इस बार अभी से अल्पसंख्यक मुस्लिम चेहरा नूरी खान की दावेदारी बनी हुई है, जबकि पिछला चुनाव हार चुके राजेन्द्र भारती भी इस बार टिकट के लिए ताल ठोक रहे हैं। पार्टी में नूरी की दावेदारी को लेकर कलह सामने आ चुकी है। पार्टी में इसी तरह की स्थिति बीते चुनाव में भी बन चुकी है, जिसका नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ा था।
यह मुद्दे बन सकते हैं परेशानी की वजह
भाजपा के लिए इस बार जो मामले परेशानी की बड़ी वजह बन सकते हैं , उनमें महाकाल मंदिर में सशुल्क दर्शन व्यवस्था को लेकर नाराजगी।  महाकाल महालोक में 28 मई को आंधी के दौरान सप्त ऋषियों की मूर्तियां गिरकर खंडित होना। शिप्रा नदी पर करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी रामघाट जैसे क्षेत्र में नालों का पानी मिलना।  सीवरेज प्रोजेक्ट के तहत सडक़ों की बेतरतीब खुदाई। पाइप लाइन ठीक से और समय पर नहीं डल पाना। महाकाल सवारी मार्ग सहित अन्य मार्गों का चौड़ीकरण के लिए अधिग्रहित की गई जमीन का मुआवजा नहीं मिलना। पुराने शहर की बदहाल यातायात व्यवस्था और महाकाल महालोक बनने के बाद श्रद्धालुओं की संख्या बढऩे से रोजाना जाम की स्थिति बनना, बस टर्मिनल, सामाजिक न्याय परिसर में 1500 बैठक क्षमता का सभागार सहित कई और निर्माण कार्य अब भी अधूरे हैं।
यह हैं उपलब्धियां
इस विधानसभा क्षेत्र में कई उपलब्धियां भी विकास के मामलों में हैं।  इनमें प्रमुख रुप से महाकाल मंदिर क्षेत्र का विस्तार और श्री महाकाल महालोक का निर्माण होना। महालोक के दूसरे चरण का काम भी अब शुरु हो चुका है। क्षेत्र के प्रमुख मार्ग, विभिन्न कालोनियों में सडक़ मार्ग का बेहतर निर्माण होना। स्मार्ट क्लास युक्त सीएम राइज स्कूल की शुरुआत। तीन अन्य शासकीय स्कूलों को स्मार्ट स्कूल में तब्दील होना।  इसके साथ ही शासकीय आयुर्वेदिक धन्वंतरि अस्पताल में नवीन भवन का निर्माण। चरक अस्पताल का निर्माण। अंतरराष्ट्रीय स्तर के जिम्नेशियम हाल का निर्माण। इनडोर स्विमिंग पूल का निर्माण होना शामिल है।
निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार सबके सामनेे
उधर, कांग्रेस का आरोप है कि विधानसभा क्षेत्र के नागरिक स्वार्थी, अक्षम नेतृत्व का खामियाजा भुगत रहे हैं। शिप्रा नदी शुद्धीकरण पर केवल बात हो रही है। हकीकत यह है कि आज भी इसमें नालों का गंदा पानी मिल रहा है। महाकाल महालोक में हुए निर्माण कार्यों का भ्रष्टाचार अब सबके सामने हैं। जनप्रतिनिधि झूठ बोलकर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं।
यह है जातीय गणित
अगर विधानसभा क्षेत्र के जातीय गणित पर नजर डालें तो, यहां पर 65 हजार मुस्लिम मतदाता हैं। इनमें बोहरा मुस्लिमों की संख्या करीब 13 हजार है। जबकि हिंदू मतदाताओं की संख्या करीब एक लाख से अधिक है। हिंदू मतदाताओं में ब्राह्म्ण 25 हजार, माली 20 हजार, बलाई 10 हजार , जैन 15 हजार बलाई 6 और प्रजापति समाज के मतदाताओं की संख्या 8 हजार है।

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