
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। बालाघाट विधानसभा सीट को पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन का गढ़ कहा जा सकता है। 1985 से 2018 तक गौरीशंकर बिसेन, बालाघाट सीट से 7 बार विधायक रह चुके हैं। इसके साथ ही बिसेन बालाघाट संसदीय सीट से दो बार सांसद भी चुने जा चुके हैं। बालाघाट सीट में बालाघाट और लालबर्रा दो ब्लॉक हैं। जल संपदा, वन संपदा और खनिज संपदा वाले बालाघाट में बेरोजगारी बड़ी समस्या है। स्थानीय लोग रोजगार की तलाश में पलायन को मजबूर हैं। गौरीशंकर बिसेन ने क्षेत्र के विकास के लिए कार्ययोजनाओं को अमलीजामा पहनाया है, लेकिन इसकी गति धीमी है। भरवेली जहां एशिया की सबसे बड़ी मैंगनीज की खदान है, उससे लगे गांव मूलभूत विकास को तरस रहे हैं। गोंडीटोला, मदारी टोला की सडक़ों के हाल बेहद बुरे हैं। वर्षा के मौसम में शहर तक पहुंचना बेहद कठिन हो जाता है। यहां खनिज संपदा से संबंधित उद्योग क्लस्टर बनाने के लिए 1600 करोड़ रुपयों की परियोजना स्थापित करने के लिए 250 एकड़ जमीन चिह्नित भी की गई , लेकिन उत्पादक इकाइयों ने यहां निवेश करने में रुचि नहीं दिखाई। भटेरा चौकी, सरेखा और गर्रा रेलवे क्रासिंग की यातायात व्यवस्था को सुचारू करने के लिए फ्लाईओवर का भूमिपूजन हो गया। टेंडर हो गया लेकिन निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। शहर में आंबेडकर चौक से गर्रा तक ट्रैफिक जाम लगना आम बात हो गई है। जो यहां की बड़ी समस्या है। कहा गया था कि नगर की माडल रोड के तर्ज पर गौरव पथ बनाया जाएगा, लेकिन नगर को यह सौगात भी नहीं मिली।
विकास के अपने-अपने दावे
विधायक गौरीशंकर बिसेन का कहना है कि बालाघाट मेडिकल कालेज के लिए 32 एकड़ भूमि का चयन कर लिया है। कालांतर में क्षेत्र में मेडिकल की शिक्षा के साथ अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं में बढ़ोतरी होगी। बालाघाट में सरेखा, भटेरा और गर्रा रेलवे ओवरब्रिज निर्माण जल्द पूरा होगा। इन तीनों ब्रिजों में एक गोदिंया-जबलपुर मार्ग पर 79 करोड़ रुपयों से, बालाघाट-कटंगी मार्ग का ब्रिज (लामटा ) 70 करोड़ रुपयों तथा इसी मार्ग पर एक रेलवे क्रासिंग पर 40 करोड़ की लागत से ब्रिज का निर्माण किया जाना है। बैनगंगा के पार 77 ग्राम पंचायतों के क्षेत्र में अच्छी सडक़ें और बेहतर कनेक्टिविटी है। वहीं कांग्रेस नेत्री अनुभा मुंजारे कहती है कि गौरीशंकर बिसेन इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व तीन दशक से कर रहे हैं। वह कैबिनेट मंत्री भी रहे और पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हैं लेकिन खनिज संपदा वाले बालाघाट के न तो ग्रामीण क्षेत्रों का विकास हो पाया न नगर का। बालाघाट विधान सभा क्षेत्र तीन हिस्सों में विभाजित है। पहला भाग शहर के 35 वार्डों का है। दूसरा बैनगंगा नदी के उस पार की 77 ग्राम पंचायतों का क्षेत्र है।
विधानसभा क्षेत्र के मुद्दे
बालाघाट शहर की सबसे बड़ी समस्या ट्रैफिक है। शहर में दो रेलवे क्रॉसिंग हैं। जिन पर रेलवे ओवर ब्रिज नहीं है। लिहाजा दिनभर यहां आधे-आधे घंटे का जाम लगता रहता है। बालाघाट शहर की सडक़ों की हालत भी ठीक नहीं है। कई इलाके ऐसे हैं, जहां बारिश में जलभराव की स्थिति बन जाती है। रोजगार भी बालाघाट की एक बड़ी समस्या है। शहर के आस-पास कोई बड़ा उद्योग या इंडस्ट्रियल एरिया न होने की वजह से युवाओं के लिए रोजगार की समस्या बनी हुई है। बालाघाट में धान की बंपर पैदावार होती है। रबी और खरीफ दोनों ही सीजन में किसान धान ही पैदा करते हैं। लेकिन सरकार सिर्फ एक सीजन में ही समर्थन मूल्य पर धान खरीदती है। इसके कारण किसानों को एक सीजन की धान कम कीमत पर बेचनी पड़ती है। क्षेत्र के मानपुर, पाथरशाही,सिहोरो, निवरगांव और कंजई जैसे करीब 100 गांव जल संकट की चपेट में हैं। यहां नल-जल योजना के अंतर्गत घर-घर में नल कनेक्शन दिया जाना था। सुमेर यादव ने बताया कि 200 करोड़ की परियोजना के बाद भी पानी के लिए लोग परेशान हैं।
राजनीतिक समीकरण
बालाघाट सीट पर गौरीशंकर बिसेन हमेशा जीते हैं। लेकिन बिसेन अगला विधानसभा चुनाव लड़ने के मूड में नहीं हैं। गौरीशंकर चाहते हैं कि उनकी बेटी मौसम को बीजेपी से प्रत्याशी बनाया जाए। मौसम लंबे समय से बालाघाट की राजनीति में सक्रिय हैं, तो वहीं अपने पिता शंकर बिसेन की राजनीतिक वारिस भी हैं। गौरीशंकर बिसेन अपने मन की बात तो बोल चुके हैं। लेकिन मौसम के लिए विधानसभा की राह उतनी आसान नहीं रहेगी। बालाघाट में कांग्रेस इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष सम्राट सिंह सरस्वार पर दांव लगा सकती है। सरस्वार की इलाके में बेहतर छवि से बीजेपी पर भारी पड़ने का अनुमान है, तो वहीं कांग्रेस की तरफ से विशाल बिसेन भी टिकट की आस में हैं।
बालाघाट का सियासी मिजाज
बालाघाट विधानसभा सीट बीजेपी का गढ़ रही है। यहां कांग्रेस की हालत नाजुक है। यहां पिछले दो विधानसभा चुनावों में कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही है। गौरीशंकर बिसेन को पूर्व सांसद कंकर मुंजारे की पत्नी अनुभा मुंजारे ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर टक्कर दी थी। साल 1998 और 2004 के विधानसभा चुनाव में गौरीशंकर बिसेन के सांसद बनने के बाद बालाघाट सीट पर कांग्रेस के अशोक सिंह सरस्वार ने जीत दर्ज की थी, तो वहीं साल 2003 से 2018 के बीच हुए चार विधानसभा चुनाव में गौरीशंकर बिसेन ने यहां से जीत दर्ज की।
जातिगत समीकरण: बालाघाट विधानसभा सीट पंवार जाति बाहुल्य सीट है। गौरीशंकर बिसेन पंवार समाज से ही आते हैं। लिहाजा जातिगत आधार पर भी उन्हें फायदा मिलता है। पंवार समाज के अलावा इस सीट पर लोधी और मरार समाज के वोट भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं।