
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का महाकौशल में पहले के मुकाबले खराब प्रदर्शन था, बालाघाट जिले की सिवनी विधानसभा सीट ऐसी है, जिसे कांग्रेस 1990 से लगातार हार रही है। हालांकि लगातार हारने वाली सीटों पर कांग्रेस मजबूत और जिताऊ चेहरे की तलाश में है। सिवनी विधानसभा भी लगातार हारने वाली सीटों में शामिल है। जहां कांग्रेस लगभग 33 सालों से नहीं जीत पाई है। 1985 में कांग्रेस के आखिरी विधायक रमेश चंद्र जैन रहे उसके बाद से कांग्रेस लगातार हार का मुंह देखते आ रही है। सिवनी विस सीट में कुर्मी व बागरी जाति का जोर बहुत ज्यादा है और ये दोनों वर्ग भाजपा के साथ रहते हैं। यहां ये दोनों ही जातियों के मतदाता परिणाम प्रभावित करने में अहम भूमिका निभाते हैं।
भाजपा का सिवनी जिले में जमीनी कार्यकर्ता निष्ठावान है और पार्टी जिसे भी चुनाव में उतारती है उसके समर्थन में जुट जाते हैं। लेकिन भाजपा के सिवनी जिले के वरिष्ठ नेता व बाहरी नेताओं के हस्तक्षेप से यहां भाजपाई राजनीति प्रभावित होती है। सिवनी विधानसभा सीट भाजपा का गढ़ रही है। वर्तमान विधायक दिनेश राय मुनमुन सिवनी जिले के लखनादौन से आते हैं। उन्होंने वर्ष 2008 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप से पहली बार सिवनी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था और भाजपा प्रत्याशी नरेश दिवाकर से हार गए थे। इसके बाद भी सिवनी विधानसभा क्षेत्र में लगातार संपर्क में रहे। 2013 में उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और 25 हजार मतों से जीत हासिल की। इसके बाद दिनेश राय ने 2018 में चुनाव के ठीक पहले भाजपा का दामन थामा और पुन: चुनाव जीतकर अपना दबदबा कायम रखा। इस सीट पर कांग्रेस 30 साल से जीत की राह नहीं ढूंढ सकी है, इसलिए आगामी विधानसभा चुनाव में यह सीट जीतने की कोशिश करेगी। यहां से भाजपा के नरेश दिवाकर दो बार और नीता पटेरिया एक बार विधायक रह चुकी हैं।
रोजगार के साधन नहीं
सिवनी में सबसे बड़ी समस्या रोजगार की है। सिवनी क्षेत्र कृषि प्रधान है, जहां रोजगार के साधन नहीं है। क्षेत्र के विकास के लिए योजना व बेरोजगारों को रोजगार की जरूरत है। लोगों का कहना है कि सिवनी में ऐसा विधायक होना चाहिए जो सोशल मीडिया की बजाय सामाजिक क्षेत्र में एक्टिव रहे और विकास करे। विधायक आम जनता की मूलभूत समस्याओं पर ध्यान दे और समय पर निराकरण भी करवाए। वहीं विधायक दिनेश राय, मुनमुन का कहना है कि सिवनी विधानसभा में इंजीनियरिंग कालेज, कृषि महाविद्यालय खुलवाना है। सिंचाई से अभी कई क्षेत्र छूटे हुए हैं सिंचाई की सुविधा मुहैया कराना है। बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए उद्योगों को स्थापित कराने के प्रयास आगे किए जायेंगे। जनता की आवश्यकता पूर्ण करने का प्रयास किया जाएगा। वहीं कांग्रेस जिलाध्यक्ष राजकुमार खुराना का कहना है कि विधानसभा चुनाव को लेकर बूथ लेवल पर कार्यकर्ता तैयार हैं। भाजपा सरकार की नाकामियां सबके सामने है। कांग्रेस का 15 माह का कार्यकाल जनता देख चुकी है। इस विस चुनाव को लेकर कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह है। हम 30 साल का सूखा सिवनी विधानसभा से समाप्त करेंगे और सिवनी में कांग्रेस का विधायक होगा।
सिवनी का समीकरण
1990 में कांग्रेस के दिग्गज नेता ठाकुर हरवंश सिंह से हार की शुरुआत हुई। कांग्रेस उसके बाद से कभी भी सिवनी विधानसभा में अपनी जीत का परचम नहीं लहरा सकी। 1993 में भाजपा के महेश शुक्ला से आशुतोष वर्मा हारे, वर्ष 1998 में पुन: आशुतोष वर्मा को भाजपा के नरेश दिवाकर से मुंह की खानी पड़ी। तो वर्ष 2003 में वर्तमान कांग्रेस जिला अध्यक्ष राजकुमार खुराना का मुकाबला भाजपा के विधायक नरेश दिवाकर से हुआ , लेकिन उस मुकाबले में भी कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार खुराना को हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2008 में कांग्रेस प्रत्याशी प्रसन्न चंद मालू पर कांग्रेस ने विश्वास जताया लेकिन ,भाजपा की उम्मीदवार नीता पटेरिया के सामने कांग्रेस की उम्मीदें धराशायी हो गईं और नीता पटेरिया ने जीत हासिल कर ली। वर्ष 2013 में कांग्रेस ने एक बार फिर वर्तमान जिलाध्यक्ष राजकुमार खुराना को अवसर देते हुए चुनाव लड़ाया, लेकिन दूसरी बार भी कांग्रेस की किस्मत ने धोखा दे दिया। मजे कि बात यह है की दूसरी बार विधानसभा चुनाव लड़े राजकुमार खुराना को निर्दलीय प्रत्याशी दिनेश राय के सामने शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस तीसरे स्थान पहुंच गई। हालांकि इस चुनाव में भाजपा की विजय श्रृंखला टूट गई और दो बार के विधायक रहे नरेश दिवाकर को भी हार नसीब हुई। वर्ष 2018 में दिनेश राय ने भाजपा से हाथ मिलाया और वह भाजपा के प्रत्याशी बने, उनका मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी मोहन चंदेल से हुआ। मोहन चंदेल ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए अब तक के प्रत्याशियों में सबसे अधिक वोट लिया। इस बार अनुमान लगाया जा रहा था की कांग्रेस चुनाव में बाजी मार कर जीत हासिल करते हुए अपने 18 साल के वनवास को खत्म कर लेगी , लेकिन पार्टी की गुटबाजी और आपसी विवाद के चलते पार्टी कार्यकर्ताओं को एक जुट करने में असफल रही और कांग्रेस को एक बार फिर हार का सामना करना पड़ा। 2018 का विधानसभा चुनाव राजकुमार खुराना जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में लड़ा गया था। 90 के दशक से कांग्रेस सिवनी विधानसभा में हारती आ रही आ रही है , लेकिन कांग्रेस के दिग्गज नेता भी पार्टी कि डूबती नैय्या को पार नहीं लगा पाए।