
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। सागर शहर बुंदेलखंड का एकमात्र संभागीय मुख्यालय है। विधानसभा क्रमांक 41 सागर पूरी तरह से शहरी विधानसभा है। सीमावर्ती कुछ गांव विधानसभा का हिस्सा जरूर है। सागर एक मैदानी इलाका है। जिसमे निचले इलाके में जंगल और पहाड़ हैं। यहां बेबस नदी पर बने राजघाट बांध के माध्यम से पेयजल आपूर्ति होती है। गेहूं, सोयाबीन और तिलहन इस क्षेत्र की प्रमुख फसलें हैं। सब्जी उत्पादन और पशुपालन भी यहां का प्रमुख व्यावसाय है। बलुआ पत्थर, चूना पत्थर, लौह अयस्क और अभ्रक यहां पाए जाने वाले प्रमुख खनिज है।
सागर विधानसभा सीट भाजपा के अभेद किले में शामिल है। इस विधानसभा सीट पर पिछले 30 सालों से भाजपा काबिज है। यहां अभी विधायक शैलेंद्र जैन हैं, जो यहां से 2008, 2013 और 2018 में जीते हैं। शैलेंद्र जैन के पहले इस सीट पर सुधा जैन विधायक थीं। वो 1993, 1998 और 2003 में इस सीट पर जीत दर्ज करने में सफल हुई थी। वो मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री भी रह चुकी हैं, लेकिन 2008 में उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया। सागर विधानसभा में यूं तो मुद्दों की कमी नहीं है। आज भी यहां की जनता को बुनियादी सुविधाओं से जूझना पड़ता है। जिले के गांव तो आज भी अभावों के टापूओं पर बसे हैं। एक वरिष्ठ मतदाता दौलत राम गोरी ने कहा कि सागर का विकास नहीं हुआ है। यहां केवल सामुदायिक भवन बनाए गए हैं, रोजगार सहित अन्य मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया गया। शहरी क्षेत्र की बात करें तो सागर की पहचान माने जाने वाले सागर तालाब में भी गंदे नाले मिलने से अपने अस्तित्व को खोता जा रहा है। एक मतदाता ने कहा कि सागर तालाब की सफाई आज के समय में एक बड़ी समस्या है। सफाई का कोई निश्चित हल नहीं निकलने से तालाब आज अपना अस्तित्व खोता जा रहा है।
38 साल से जैन समाज का कब्जा: सागर विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो पिछले 38 साल से सागर विधानसभा के मतदाता जैन समाज के नेता को अपना विधायक बनाते आ रहे हैं। अब तक सागर की जनता ने 8 बार जैन नेता को अपना विधायक चुना है। दो बार कांग्रेस और 6 बार भाजपा के जैन उम्मीदवार चुनाव जीते है। जबकि सागर में जैन मतदाताओं की अपेक्षा अनुसूचित जाति और ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है।
सियासी समीकरण
2008 में भाजपा ने अपने तत्कालीन जिलाध्यक्ष शैलेन्द्र जैन को सागर तीन बार से विधायक सुधा जैन का टिकट काटकर टिकट दिया। कांग्रेस ने भी जैन रूझान वाली सीट पर अपने पूर्व विधायक प्रकाश जैन को उम्मीदवार बनाया। भाजपा के शैलेन्द्र जैन 46 हजार 53 मत हासिल किये, जो कुल मतदान का 34 प्रतिशत था। वहीं कांग्रेस के प्रकाश जैन को 25 हजार 149 वोट हासिल हुए। इस तरह करीब 21 हजार मतों से शैलेन्द्र जैन ने जीत हासिल की। विधानसभा चुनाव 2013 में सागर सीट पर भाजपा ने फिर शैलेन्द्र जैन पर भरोसा जताया। वहीं कांग्रेस ने इस बार ब्राह्मण उम्मीदवार पर भरोसा जताते हुए सुशील तिवारी को टिकट दिया। शैलेन्द्र जैन 64 हजार 351 वोट हासिल कर जीत दर्ज की। वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंदी सुशील तिवारी ने 56 हजार 128 वोट हासिल किए। इस तरह शैलेन्द्र जैन ने अपने प्रतिद्वंदी को 8223 मतों के अंतर से हराकर लगातार दूसरी बार जीत हासिल की। विधानसभा चुनाव 2018 में जब कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला था। तब तीसरी बार भाजपा ने अपने दो बार के विधायक शैलेन्द्र जैन पर भरोसा जताया। पूरे प्रदेश में जहां भाजपा को कठिन चुनौती का सामना करना पड़ा। वहीं कांग्रेस द्वारा जैन उम्मीदवार उतारे जाने के बाद भी तीसरी बार बड़े अंतर से जीत हासिल की। शैलेन्द्र जैन को 67 हजार 227 मत मिले। जो कुल मतदान का 50.96 प्रतिशत था।
जातीय समीकरण
सागर के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां ठाकुर और जैन समुदाय का अच्छा खासा प्रभाव है। पिछले चुनावों में देखा गया है कि जैन समुदाय भाजपा के पक्ष में खड़ा रहा है। इसके अलावा यादव, मुस्लिम, ओबीसी और पिछड़ा वर्ग का वोट भी यहां निर्णायक होता है। शहर और सागर जिला मुख्य रूप से अनुसूचित जाति वर्ग का जिला है। ऐतिहासिक रूप से ये इलाका काफी समृद्ध माना जाता है। एरन के पास के पुरातात्विक स्थल से गुप्त काल के कई शिलालेख का पता चलता है। शहर के बीचों बीच विशाल लाखा बंजारा झील है। कहा जाता है कि इसी वजह से शहर का नाम सागर पड़ा है। सागर 1660 में उड़ान सिह द्वारा स्थापित किया गया। ब्रिटिश काल में 1867 में सागर नगर पालिका में गठन किया गया। सागर शहर की पहचान डॉ हरीसिंह गौर द्वारा 1946 में स्थापित सागर विश्वविद्यालय के कारण पूरे देश में है। इस विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया गया है।
सागर के 2023 के दावेदार
सागर विधानसभा चुनाव 2023 के लिए शैलेन्द्र जैन जहां अपने कराए विकास कार्यों पर चौथी बार टिकट हासिल करने के लिए दावेदारी कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ जैन समुदाय के अन्य नेता टिकट की दौड़ में शामिल है। दूसरी तरफ सागर से ब्राह्मण दावेदारों में सुशील तिवारी, जिनकी पत्नी संगीता तिवारी सागर से महापौर चुनी गयी है। इसके अलावा स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय के संस्थापक अनिल तिवारी के अलावा युवा नेता श्याम तिवारी और अर्पित पांडे प्रमुख दावेदार है। इसके अलावा जैन समुदाय से नैवी जैन,कपिल मलैया, मुकेश जैन ढाना, अनिल जैन नैनधरा और महिला मोर्चा की नेता नेहा जैन के नाम प्रमुख दावेदारों में है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस से सुनील जैन, निधि जैन, चक्रेश सिंघई के अलावा ब्राह्मणों में अंकलेश्वर दुबे उर्फ अन्नी ,अमित दुबे, पुरूषोत्तम चौबे, मुकुल पुरोहित के अलावा कई दावेदार हैं।