यस एमएलए: बिसाहूलाल की राह आसान नहीं…

बिसाहूलाल

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। अनूपपुर सीट पर आदिवासी अनुसूचित जनजाति मतदाताओं की मजबूत पकड़ हैं।  अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित अनूपपुर विधानसभा सीट पर  इस बार चुनाव रोचक होने वाला है। इसकी वजह यह है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ेंगे। भाजपा को उम्मीद है कि विकास के दम पर वह यह सीट जीत लेगी। अनूपपुर जिला 15 अगस्त 2003 को अस्तित्व में आया। 20 साल में शहर का विस्तार होता गया। स्टेशन के दोनों ओर बसे शहर की आबादी भी बढ़ी तो ओवरब्रिज की जरूरत महसूस हुई। यह बहुप्रतीक्षित मांग पूरी हुई लेकिन लोग निर्माण कार्य में देरी से लोग नाराज हैं। विपक्ष का प्रतिकार सौ काम भी नहीं हुए विधायक ने अभी तक एक हजार से ज्यादा घोषणाएं कर दी हैं लेकिन काम सौ भी नहीं हुए। चचाई पावर प्लांट के विस्तार का मामला पांच साल से अटका है। 2018 के विधानसभा चुनाव में इसकी घोषणा हुई थी। अब फिर चुनाव आ गए। हर बार का लालीपाप बन गया है ये मुद्दा। स्थानीय लोगों का कहना है की अनूपपुर विधानसभा क्षेत्र में एक तरह से बिसाहूलाल का ही क्षेत्र है, यहां सभी विकास के काम  बिसाहूलाल के नेतृत्व में ही हुए है। यही कारण है, कि 15 साल तक शिव सरकार में भी उनकी कुर्सी पर  कोई खतरा नहीं रहा और वह हमेशा अपने चेहरे के दम पर चुनाव जीतते रहे। अनूपपुर विधानसभा सीट से बिसाहूलाल सन 1980 में पहली बार विधायक चुनकर आए थे। अब तक के उनके प्रदर्शन पर गौर करें, तो वह इस सीट से कुल 9 बार चुनाव लड़ चुके हैं और इस दौरान उन्होंने 6 चुनाव जीते और 3 चुनाव में उनको हार नसीब हुई।  अब भाजपा से जहां रामलाल रोतेल तो वहीं कांग्रेस से विश्वनाथ सिंह की दावेदारी बनी हुई है।
विकास के अपने-अपने दावे
मुद्दे, दावों, दलबदल जैसे विषयों पर चर्चा में यह निचोड़ निकलता है कि लोग सरकार से नाराज नहीं हैं, उन्हें शिकायत है सरकारी मशीनरी से और इसे घेरे रहकर अपने काम कराने वाले सत्ता समर्थकों से। इनकी वजह भी वे सब गिनाते हैं। वहीं विधायक और मंत्री बिसाहूलाल का कहना है कि ओवरब्रिज का निर्माण तीव्र गति से चल रहा है। बारिश से पहले शुरू हो जाएगा। 200 बिस्तरों का अस्पताल बन रहा है। लड़कियों का कालेज स्वीकृत करवा दिया है। जल्दी ही मुख्यमंत्री चचाई प्लांट में 660 मेगावाट की इकाई का भूमिपूजन करने आ रहे हैं। एक हजार से ज्यादा काम हुए हैं। हर गांव-शहर में बिजली, सडक़ और पानी की व्यवस्था की गई है। पार्टी ने टिकट दिया तो जरूर जीतूंगा। प्रदेश में फिर शिवराज सिंह की सरकार बनेगी। अमरकंटक तिराहे पर दवा दुकान के बाहर खड़े देवेंद्र पीजीडीसीए कर चुके हैं लेकिन, कोई काम नहीं मिल रहा। माखन को आशा थी कि चचाई पावर प्लांट की क्षमता बढक़र 660 मेगावाट की जाएगी तो कोई न कोई काम मिल ही जाएगा। वहीं कांग्रेस नेता और उपचुनाव में प्रत्याशी रहे विश्वनाथ सिंह का कहना है कि विधायक ने अभी तक एक हजार से ज्यादा घोषणाएं कर दी हैं लेकिन काम सौ भी नहीं हुए। चचाई पावर प्लांट के विस्तार का मामला पांच साल से अटका है। 2018 के विधानसभा चुनाव में इसकी घोषणा हुई थी। अब फिर चुनाव आ गए। हर बार का लालीपाप बन गया है ये मुद्दा।
विधानसभा सीट का जातिगत समीकरण
अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित अनूपपुर विधानसभा सीट पर अनुसूचित जनजाति वर्ग के मतदाताओं की मजबूत पकड़ है और अनुसूचित जनजाति वर्ग के मतदाता ही यहां जीत और हार तय करते हैं। अनूपपुर विधानसभा में कुल 1 लाख 69 हजार 70 मतदाता है जिनमें से 86,731 पुरुष, 82,336 महिला और 3 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल हैं। अनूपपुर विधानसभा सीट पर अनुसूचित जाति वर्ग के मतदाताओं की संख्या करीब 25 हजार से ज्यादा है।
अनूपपुर विस के मुद्दे
अनुपपुर विधानसभा क्षेत्र में जो मुद्दे चुनाव में गर्मा सकते हैं वे हैं-चचाई पावर प्लांट में 660 मेगावाट की नई यूनिट की स्थापना न होना, जिला अस्पताल भवन और ओवरब्रिज निर्माण कार्य में लेटलतीफी,  जिला मुख्यालय पर व्यवस्थित बस स्टैंड की कमी,  जिला अस्पताल में डाक्टरों की कमी, हृदय रोग, दांत, नाक-कान-गला, रेडियोलाजिस्ट सहित अन्य विशेषज्ञ डाक्टर का न होना, कृषि महाविद्यालय स्थापना की मांग पूरी न होना और बड़े बांध न होने से सिंचाई समस्या।
अनूपपुर विधानसभा सीट का इतिहास
साल 1977 में पहली बार अनुपपुर विधानसभा सीट पर चुनाव हुए थे तब से अब तक अनूपपुर में 11 बार चुनाव हो चुके हैं इन चुनावों में 6 बार कांग्रेस और 5 बार बीजेपी ने चुनावों में जीत दर्ज की है। साल 2018 के चुनाव में बिसाहूलाल को 62770 वोट मिले थे, जबकि रामलाल रौतेल को 51209 प्राप्त हुए थे।  2013  के चुनावों में रामलाल रौतेल को 57438 वोट हासिल हुए थे और बिसाहूलाल को 45693 वोट मिले थे।  साल 2008 में बिसाहुलाल को 39814 वोट मिले थे और रामलाल रौतेल को  38665 वोट प्राप्त हुए थे। वहीं 2003 में रामलाल रौतेल को 47926 और बिसाहूलाल को 43079 वोट हासिल हुए थे। साल 2018 में कुल आठ उम्मीदवारों में कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही जंग थी। नोटा में 2730 वोट मिले थे, लेकिन बाकी किसी दल के उम्मीदवार को दो हजार मत भी नहीं मिले थे।

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