
भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। बुंदेलखंड का पन्ना जिला अपने नायाब हीरों के लिए देशभर में मशहूर है। जिले की पन्ना विधानसभा सीट पर वर्तमान में भाजपा का कब्जा है। पन्ना विधानसभा में वर्तमान समय में बृजेन्द्र प्रताप सिंह 2018 में भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गये थे, वे अभी प्रदेश सरकार मे खनिज मंत्री है। इसके बाद भी इस इलाके में रोजगार की बड़ी समस्या है। यही वजह है कि यहां के लोगों के लिए हर साल रोजगार की तलाश में पलायन करना पड़ता है। इस बार उन्हें कांग्रेस की कड़ी चुनौति का सामना करना पड़ सकता है। कांग्रेस लगतार उनके खिलाफ मोर्चा खोले रहती है। इस पर विधायक का कहना है कि 46 करोड़ की लागत से 25 किमी लंबा सिंहपुर-कलिंजर मार्ग का निर्माण कराया गया है। 1500 करोड़ से 250 केवी का आटोमैटिक पावर स्टेशन प्रस्तावित है। 86 करोड़ की लागत से पन्ना कृषि महाविद्यालय का निर्माण प्रस्तावित है।1200 करोड़ की लागत से रुंझ मझगांव जल परियोजना प्रस्तावित है। इसका पानी अजयगढ़ के साथ पन्ना और बनौर भी पहुंचेगा। वही लोगों का कहना है कि देश की बड़ी जल परियोजनाओं में से एक केन-बेतवा लिंक परियोजना में पन्ना जिले की पांच हजार हेक्टेयर भूमि पर निर्माण कार्य होना है। इतने बड़े रकबे से विस्थापित लोगों के लिए सरकार की कोई तैयारी नजर नहीं आती। इस परियोजना का फायदा उत्तर प्रदेश के 10 जिलों के किसानों को भी होगा। हालांकि इसे लेकर पन्ना के कुडऩ, गहादरा, कटेहरी, बिलेहटा, कोनी, मझौली, मरहा और खमरी गांव में उदासी छाई है। कुडऩ के राम प्रकाश पटेल का कहना है कि सरकार ने जमीन और घर देने का वादा तो कर दिया, लेकिन ग्रामीणों के हाथ अब तक कुछ नहीं आया है। विधायक का कहना है कि परियोजना के बैकवाटर का उपयोग पन्ना के किसान कर सकेंगे।जंगल, बाघ और खनिज संपदा से भरपूर पन्ना विधानसभा क्षेत्र दुनिया भर के पर्यटकों को भले ही लुभाता हो, लेकिन क्षेत्र में समस्याएं इसकी स्थिति को अनाकर्षक बनाती हैं। बड़ी आबादी पलायन को मजबूर है। हीरों के लिए भी प्रसिद्ध इस क्षेत्र में निजी जमीनों से खनन पर प्रतिबंध है। चीप पत्थर काटकर पहले हजारों लोग अपना जीवन यापन कर लेते थे, लेकिन अब स्थितियां अलग हैं। रानीपुर, खजरी कुड़ा, बड़ौदा, पांटा और ढलान चौकी जैसे 40 गांवों में पत्थर खदानें लगभग 10 हजार लोगों के जीविकोपार्जन का बड़ा साधन थीं, लेकिन अब इनके लिए पट्टा नहीं दिया जा रहा। पेयजल संकट भी शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में है। पांटा गांव के सुरती लाल कहते हैं कि राजस्व विभाग की उदासीनता के चलते पत्थर खदानों पर वन विभाग ने अपना अधिकार जमा लिया। कांग्रेस नेता शिवजीत सिंह बताते हैं कि 40 वर्षों से काबिज लोगों को भी राजस्व विभाग पट्टे नहीं दिलवा सका। खदानें बंद हो जाने से लोग बेरोजगार हो गए। ग्रामीण क्षेत्रों के आदिवासी रोजगार के लिए दिल्ली मुंबई जा रहे हैं।
समस्याओं की भरमार
विधानसभा क्षेत्र में समस्याओं की कोई कमी नहीं है। पन्ना नेशनल पार्क प्रबंधन जंगल की सुरक्षा में नाकाम साबित हुआ है। झिवना बीट में आधा किमी क्षेत्र का जंगल साफ कर दिया गया है। पन्ना-कटनी मार्ग पर अमझिरिया के महाराज सिंह ने बताया कि हमारे गांव सहित आदिवासी बाहुल्य गांव झलाई, मनकी कटरिया में भी जलसंकट है। पन्ना से छतरपुर मार्ग पर पहाड़ पर स्थित भैरव घाटी का संकरा मार्ग सडक़ दुर्घटनाओं का सबब बन रहा है। वन विभाग की जमीन लेकर सडक़ को चौड़ा नहीं करवाया गया। अजयगढ़ के रीतेश सिंह बताते हैं कि शाहनगर, पवई और अजयगढ़ में पाइपलाइन बिछाई गई थी। पाइपलाइन अजयगढ़ में ही तैयार की गई और इसमें गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखा। अजयगढ़ से बनौरी को जोडऩे वाली नहर के निर्माण में भी गुणवत्ताहीन कार्य हो रहा है। सतना से पन्ना मार्ग पर शहर सीमा आरंभ होते ही रेत के भंडार नजर आने लगते हैं। इसी मार्ग पर मिले पूर्व सरपंच राम किशोर बताते हैं कि स्थानीय विधायक और खनन मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह के संरक्षण में अवैध रेत खनन हो रहा है। बीरा, चंदौरा, रायबरेली, भानपुर, सहित सात स्थानों से बिना रोक-टोक रेत निकाली जा रही है।
विकास के अपने-अपने दावे
विधानसभा क्षेत्र में विकास को लेकर विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि झिवना बीट जैसे कई क्षेत्रों को वन ग्राम से राजस्व ग्राम में तब्दील कर दिया है। भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद बहुत से गैर मुस्लिम बांग्लादेशी पन्ना के पहाड़ी खेड़ा रोड के आसपास बस गए थे। इनके 10-12 गांवों के पुर्नस्थापन के लिए राजस्व विभाग काम रहा है। बमीठा से सतना के लिए वाया पन्ना 2100 करोड़ की लागत से सडक़ का निर्माण किया जाना है, जिससे भैरव घाटी में होने वाली दुर्घटनाओं पर रोक लगेगी। वहीं कांग्रेस नेता शिवजीत सिंह भैया राजा का कहना है कि क्षेत्र में भीषण गर्मी में शहर में दो दिन में एक बार पीने के पानी की आपूर्ति हो रही है। शहरी क्षेत्र की प्यास बुझाने वाले धर्म सागर, निरपद सागर और लोकपाल सागर के गहरीकरण से पेयजल आपूर्ति निर्बाध की जा सकती थी, लेकिन इन तालाबों के निकट बन रहे रेलवे ट्रैक के लिए दूर से मिट्टी मंगाई गई। पत्थर की खदानें बंद करने से बहुत से नागरिक मजदूरी करने दूसरे राज्यों में जाने को मजबूर हैं।
सियासी समीकरण
पन्ना विधानसभा वैसे भी परमपरागत भाजपा की सीट रही है। अधिकांश बार भाजपा से विधायक बनें है। बीच-बीच में कांग्रेस को भी विधायक बनाने का मौका मिला है। आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा की तरफ से बृजेन्द्र प्रताप सिंह ही बड़े दावेदार हैं। क्योंकि पन्ना विधानसभा मे भाजपा का वोट बैंक अधिक है, इसलिए वह पन्ना विधानसभा को नहीं छोड़ेगें। बृजेन्द्र प्रताप सिंह पूर्व में पवई से भी दो बार वर्ष 2003 तथा 2008 में विधायक रह चुके है। लेकिन 2013 में कांग्रेस पार्टी के पूर्व मंत्री मुकेश नायक से चुनाव हार गए थे और 2018 में उनकी पवई से टिकट बदलकर पन्ना से चुनाव लड़ाया गया था और वह कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी शिवजीत सिंह से लगभग 20 हजार वोटों से चुनाव जीते थे।