
- केंद्र ने 608 में से दिए महज 140 करोड़ रुपए …
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में आदिवासी छात्रों की छात्रवृत्ति रुक गई है। बताया जा रहा है की करीब 7 लाख से अधिक छात्रों के पैसे केंद्र सरकार के पास अटकी हुई है। यह स्थिति जनजातीय कार्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण उत्पन्न हुई है। अधिकारियों के इस लापरवाही का नतीजा अब प्रदेश के आदिवासी छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि केंद्र ने मप्र को सिर्फ पोस्ट मीट्रिक छात्रवृत्ति का 140 करोड़ रुपए ही जारी किया है। जबकि छात्रवृत्ति का 468 करोड़ रुपए अभी तक केंद्र सरकार से नहीं मिला है, जबकि ये वित्तीय वर्ष खत्म होने जा रहा है। गौरतलब है की प्रदेश सरकार की प्राथमिकता में आदिवासी समाज है। इस समाज के लिए सरकार के खजाने हमेशा खुले रहते हैं। लेकिन प्रदेश के आदिवासी और अनुसूचित जाति वर्ग के छात्र-छात्राओं के साथ केंद्र और राज्य दोनों के भेदभाव की इस खबर ने सभी को चौका दिया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 का करीब 7 लाख से ज्यादा छात्र-छात्राओं को मिलने वाली छात्रवृत्ति का 468 करोड़ रुपए अभी तक केंद्र सरकार से नहीं मिला है, जबकि ये वित्तीय वर्ष खत्म होने जा रहा है। केंद्र ने मप्र को सिर्फ पोस्ट मीट्रिक छात्रवृत्ति का 140 करोड़ रुपए ही जारी किया है। उधर, समेकित छात्रवृत्ति और वृहद निर्माण कार्यों को कराने विभाग के पास पैसे की कमी नहीं है, लेकिन छात्र-छात्राओं के मामले में कंजूसी बरती जा रही है।
500 करोड़ के बजट का प्रावधान
वित्त विभाग केंद्र सरकार से मिलने वाले फंड की मॉनिटरिंग करता है। इसके तहत इस साल 11वीं एवं 12वीं सहित महाविद्यालयीन छात्रों के लिए छात्रवृत्ति प्रदान करने 500 करोड़ रुपए का बजट का प्रावधान किया गया था। इसमें से राज्य सरकार ने अपने बजट से 125 करोड़ रुपए तो जारी कर दिए, लेकिन केंद्र से मिलने वाले 375 करोड़ रुपए की राशि अभी तक नहीं मिली है। वहीं 9वीं एवं 10वीं के छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति देने 125 करोड़ के बजट प्रावधान में से राज्य सरकार ने 31.25 करोड़ की राशि रखी और केंद्र से मिलने वाले 93.75 करोड़ रुपए अभी तक नहीं मिल सके हैं, जिससे करीब 7 लाख से अधिक छात्र-छात्राएं -छात्राएं छात्रवृत्ति के लाभ से वंचित हैं। वैसे केंद्र से विशेष पिछड़ी जनजातियों का विकास के लिए मिलने वाले 100 करोड़ तथा जनजाति संस्कृति का संवर्धन अनुसंधान और ट्रेनिंग का भी 10 करोड़ रुपए मप्र को नहीं दिया है। आईटीडीपी, विशेष पिछड़ी बस्तियों के विकास, माडा पॉकेट तथा क्लस्टर में स्थानीय विकास कार्यक्रम के लिए मिलने वाली 259 करोड़ रुपए भी नहीं मिल सके हैं।
दो योजनाओं का ही पैसा रिलीज
केंद्र ने केवल दो योजनाओं में ही मप्र को पैसा रिलीज किया है। पोस्ट मीट्रिक छात्रवृत्ति के अलावा अनुसूचित जनजाति उपयोजना क्षेत्र में विभिन्न विकास कार्यों के लिए 150 करोड़ के स्थान पर 70 करोड़ 33 लाख रुपए ही जारी किए हैं। उधर, अत्याचार निवारण में भी पैसा नहीं मिला। आदिवासी विभाग द्वारा संचालित विभिन्न आश्रम, छात्रावासों, कन्या परिसर, एकलव्य विद्यालय आदि में करीब 1.50 लाख छात्र-छात्राएं अध्ययन करते हैं। इसके अलावा आदिवासी क्षेत्रों में 1109 हाई स्कूल और 898 उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालयों में करीब 5 लाख से अधिक छात्रों को छात्रवृत्ति का भुगतान किया जाना है। वैसे ओबीसी वर्ग के छात्र-छात्राओं को भी दो साल से छात्रवृत्ति नहीं मिली है। राज्य सरकार ने वृहद निर्माण कार्य के लिए धार, छिंदवाड़ा, अलीराजपुर तथा नर्मदापुरम में भवन निर्माण, बाउंड्रीवाल निर्माण तथा अतिरिक्त कक्षों का निर्माण कराने 22 मार्च को 2 करोड़ से अधिक का आवंटन किया। साथ ही मजदूरी और किराए के भवनों में रहने वाले छात्रों को पैसे की व्यवस्था की। इसके अलावा समेकित छात्रवृत्ति योजना में 22 मार्च को ही 6 करोड़ से अधिक की राशि लोक शिक्षण संचालनालय को जारी की गई।