गड़बड़झाला: बीस पंचायतों में बगैर अनुमति करा डाले 15 करोड़ के काम

गड़बड़झाला

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। अफसरों व नेताओं का गठजोड़ ऐसा है कि उसके लिए नियम कानून कोई मायने नहीं रखते हैं। यही वजह है,कि सरकारी कामों में होने वाले गड़बड़झाले के मामलों में या तो कार्रवाई होती नहीं है या फिर होती है तो महज दिखावे के लिए। इसका ताजा उदाहरण है शिवपुरी जिला। इस जिले की एक जनपद में अफसरों व सरपंचों ने मिलकर कागजों में ही 15 करोड़ के काम बगैर अनुमति के करा डाले। यह काम रोजगार गारंटी योजना के तहत कराना बताए गए हैं। जानकारी के मुताबिक  बदरवास जनपद की बीस पंचायतों में यह काम करना बताया गया है। इसका पता तब चला जब सरकार के दर्पण पोर्टल पर प्रविष्टियां की गईं। माना जा रहा है कि इस मामले में बदरवास जनपद के सीईओ अरविंद शर्मा की भूमिका प्रारंभिक रूप से संदिग्ध बनी हुई है। अहम बात यह है कि इस मामले का खुलासा हुए तीन माह का समय हो चुका है , लेकिन अब तक किसी भी जिम्मेदार पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
न तकनीकी स्वीकृति ली और न ही प्रशासकीय
नरेगा में स्थानीय मांग के अनुसार कन्वर्जेन्स के तहत विकास कार्य कराने के प्रावधान हैं। इन कार्यों हेतु तकनीकी एवं प्रशासकीय स्वीकृति लेना जरूरी है। यह अनुमति  कलेक्टर एवं जिला पंचायत के सीईओ द्वारा दी जाती है।  बदरवास ब्लाक में इस व्यवस्था के उलट जाकर 14 करोड़ 58 लाख 72 हजार के कुल 107 विकास कार्य जनपद सीईओ के स्तर पर ही गुपचुप स्वीकृत कर भुगतान भी कर दिया गया। अवैध रूप से जिन पंचायतों में काम कराना बताया गया है उनमें  ग्राम पंचायत मड़वासा में 1 करोड़ 87 लाख, ग्राम पंचायत रिजोदी में 3 करोड़ 21 लाख, मांगरोल में 48.39 लाख, बामौर खुर्द में 12.96 लाख, बारोद में 15.71 लाख, विजयपुरा में 29.47 लाख, देहरादा गणेश में 35.84 लाख, बूढ़ा डोंगर में 23.20 लाख, सड़बूड़ में 1 करोड़ 52 लाख, ढकरौरा में 73.97 लाख, बरखेड़ा खुर्द में 44.87 लाख, बरोदिया में 29.58 लाख, तिलातिली में 1 करोड़ 50 लाख, सुमेला में 36.14 लाख, लालपुर में 74.65 लाख, कुटवारा में 12 लाख, रिजोदी में 3 करोड़ 21 लाख के सम्मिलित रूप से 107 कार्य शामिल हैं।  
जांच के नाम पर दिखावा
तीन माह पहले हुए इस फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद जांच के लिए 2 जनवरी को जिला पंचायत के सीईओ द्वारा संबधित पंचायतों में हुए कामों और जनपद सीईओ अरविंद शर्मा के विरुद्ध एक जांच दल बनाया गया था। इसमें भी खास बात यह है कि जांच दल ने तो प्रतिवेदन दिया है, उसमें कहा गया है कि संबधित पंचायतों में नरेगा कन्वर्जेन्स के तहत कोई भी काम होना मौके पर नहीं पाया गया है। हद तो यह हो गई कि किसी भी पंचायत ने जांच के लिए रिकॉर्ड तक नहीं दिया है। यही नहीं इस मामले में जब जिला पंचायत सीईओ उमराव सिंह मरावी द्वारा जनपद सीईओ को नोटिस देकर बुलाया गया तो आए ही नहीं आये। उधर, सरंपचों ने भी नोटिस लेने से इंकार कर दिया। यह नोटिस 1 मार्च को जारी किए गए थे। नोटिस में धारा 40 के तहत सरपंचों को पद से हटाने के प्रावधान के तहत कारवाई का उल्लेख है।

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