
- पुराने जिले में जो जाति एससी में थी बना दिया ओबीसी
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। विधानसभा चुनाव के पहले लोगों को रिझाने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बाद एक तीन नए जिले बनाने की घोषणा की थी। फटाफट गठन की अधिसूचना जारी होने के साथ नए जिले बन भी गए, पर लगभग दो वर्ष बाद भी यह सिर्फ नाम के लिए ही हैं।
अधिकतर कामों के लिए अभी लोगों को मूल जिले (पुराने मुख्यालय) में जाना पड़ रहा है। नए जिलों में जिला अस्पताल, महिला थाना, अजाक थाना तक नहीं खुल पाया है। रीवा जिले से अलग कर मऊगंज, सतना जिले से अलग कर मैहर और छिंदवाड़ा से अलग कर पांढर्णा को जिला बनाया गया था। मैहर और मऊगंज जिला बनने में बड़ी दिक्कत यह भी आ रही है कि जो जाति मूल जिले में अनुसूचित जाति (एससी) श्रेणी में थी, उसे नए जिले में ओबीसी कर दिया गया है। यानी, पिता या दादा भले ही एससी थे, नए जन्म लेने वाले बच्चे ओबीसी श्रेणी में आ रहे हैं। उदाहरण के तौर पर प्रजापति समाज सतना और रीवा में एससी था, वह मैहर और मऊगंज में ओबीसी में आ गया है। कारण, अधिसूचना ही जारी नहीं हो पाई है। मनगवां (रीवा) से विधायक नरेंद्र प्रजापति ने इस संबंध में विधानसभा में प्रश्न भी उठाया था। ऐसी ही अन्य समस्याओं को लेकर भी क्षेत्रीय विधायकों ने विधानसभा में प्रश्न उठाए थे।
मैहर: मैहर जिला विधानसभा चुनाव से दो माह पूर्व गठित हुआ यानी लगभग दो वर्ष पूरे होने को हैं। जिले में राजस्व, खनिज, पुलिस, आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारियों की पदस्थापना हुई, पर अभी कलेक्टर कार्यालय ही नहीं बना है। कई विभागों से संबंधित कार्यों के लिए 50 किमी दूर सतना ही जाना पड़ रहा है।
पांढुर्ना: यह मध्य प्रदेश का 55वां जिला बना। यहां कृषि उपज मंडी की ऊपरी मंजिल में कलेक्टर कार्यालय संचालित है। पुलिस थाना परिसर में ही एसपी, एसडीओपी कार्यालय भी चल रहा है। स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा, नापतौल, खनिज, पीएचई, स्वास्थ्य विभाग, जिला पंचायत, नगरीय निकाय, जिला महिला बाल विकास विभाग, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी सहित कई कार्यालय अभी तक नहीं बने हैं।
लोगों को इस तरह की हो रही परेशानी
नए जिलों में जिला अस्पताल नहीं होने से गंभीर बीमारियों के उपचार के लिए पुराने जिले या मेडिकल कालेज जाना पड़ता है। जिला पंचायत अभी मूल जिले में ही हैं, इस कारण पंचायत से जुड़े कार्यों के लिए भी लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय नहीं होने से वाहनों के पंजीयन, ड्राइविंग लाइसेंस के लिए भी मूल जिले में जाना पड़ता है। जिले बनाने का निर्णय उन सीटों पर जीत पाने के लिए क्षेत्र की जनता को खुश करने का होता है। नए जिले बनाना ही था तो जिला पुनर्गठन आयोग बनाकर उसका अध्ययन कराना चाहिए था। नए जिले बनाने में जनता के अरबों रुपये खर्च हो जाते हैं।
अभी तक कहां क्या हुआ
मऊगंज: जिले में राजस्व, पुलिस विभाग के समस्त अधिकारियों की पदस्थापना की गई है। राजस्व प्रकरणों की सुनवाई भी प्रारंभ हो गई है। स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा, तापतौल, खनिज, पीडब्ल्यूडी, पीएचई, स्वास्थ्य, जिला पंचायत, नगरीय निकाय, जिला महिला बाल विकास, आरटीओ, जिला आबकारी, वन, आयुष, ऊर्जा, पशुपालन, कृषि, डाक, आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) का संचालन रीवा जिले से किया जाता है।
