
- प्रदेश में सालों से चल रहा है राप्रसे संवर्ग के एक चौथाई पद रिक्त
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में बीते आठ साल यानी की 2016 के बाद से अधिकारियों तथा कर्मचारियों को प्रमोशन का लाभ ही नहीं दिया जा रहा है। इस वजह से प्रदेश में इस अवधि में करीब सवा लाख कर्मचारियों को बगैर पदोन्नति के ही सेवानिवृत्त होने पर मजबूर होना पड़ा है। इसकी वजह से राज्य सेवा के भी अफसर भी प्रभावित हुए हैं। हालत यह बन चुकी है कि इस सेवा के स्वीकृत पदों में से एक चौथाई पद सालों से रिक्त पड़े हुए हैं और इन पदों की संख्या साल दर साल बढ़ती ही जा रही है। इसकी वजह से मौजूदा अफसरों पर काम का बोझ बढ़ता ही जा रहा है। प्रदेश के इन अफसरों को इन सालों में न तो पदोन्नति मिली और न ही उनका कैडर रिव्यू किया गया है। इसकी वजह से तहसीलदार से डिप्टी कलेक्टर के पद पर पदोन्नति अटक गई है। अगर सरकारी आंकड़ों को देखे तो प्रदेश में राज्य प्रशासनिक सेवा के कुल 874 पद हैं, इनमें से 200 से अधिक पद रिक्त बने हुए हैं। राज्य प्रशासनिक सेवा संघ के अध्यक्ष राजेश कुमार गुप्ता के मुताबिक, 7 साल में प्रदेश में 5 नए जिले बने हैं, इसके अलावा नई तहसील और राजस्व अनुभाग भी बनाए गए हैं। कई विभागों के कामकाज में भी बदलाव आए हैं, जिसके चलते राज्य प्रशासनिक सेवा में 80 से 100 नए पद बढ़ाए जाने की जरूरत है। मौजूदा स्थिति में अधिकारियों पर कई अतिरिक्त प्रभार हैं।
15 अफसरों को मिला वरिष्ठ प्रवर श्रेणी वेतनमान: राज्य शासन ने मंगलवार को राज्य प्रशासनिक सेवा के 15 अफसरों को पदोन्नत करते हुए वरिष्ठ प्रवर श्रेणी वेतनमान देने के आदेश जारी कर दिए। जीएडी के आदेश के अनुसार, 1998 से लेकर 2008 बैच तक के अफसरों को इसका फायदा मिलेगा। 2014-19 बैच तक के 28 अफसरों को क्रमोन्नति देते हुए कनिष्ठ श्रेणी से वरिष्ठ श्रेणी वेतनमान में पदोन्नत किया गया है।
2018 से नहीं भरे गए पद
वर्ष 2013 और 2018 में कैडर रिव्यू हुआ था, 2013 में लगभग 78 पद और 2018 के कैडर रिव्यू में 99 पद बढ़ाए गए थे। गुप्ता का कहना है कि दूसरे राज्यों में 15 साल में नायब तहसीलदार से डिप्टी कलेक्टर बन जाते हैं, लेकिन मप्र में 19 से 20 साल लग रहे हैं। डिप्टी कलेक्टर के 50 फीसदी पद प्रमोशन और 50 फीसदी डायरेक्ट भर्ती से लेने का प्रावधान है, लेकिन प्रमोशन के बजाए प्रभारी डिप्टी कलेक्टर बनाया जा रहा है। राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों को जिला पंचायत सीईओ और जिलों में एडीएम के पद पर भी पोस्टिंग नहीं मिल पा रही है। इन पदों पर ज्यादातर आईएएस तैनात हैं या पद खाली होने से दूसरे अफसरों पर प्रभार है।