नियमितकर्मियों के पद खाली होने के कारण… प्रभावित हो रहा काम

नियमितकर्मियों
  • नगरीय निकायों से मंत्रालय तक आउटसोर्स के भरोसे सरकार

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। नियमित कर्मचारियों के खाली पड़े पदों के कारण नगरीय निकायों से लेकर मंत्रालय तक 60 प्रतिशत कार्यालयी कामकाज आउटसोर्स कर्मचारी संभाल रहे हैं। निजी एजेंसियों के जरिए भर्ती हुए आउटसोर्स कर्मचारियों के समक्ष दोहरी दिक्कतें हैं। पहली, उन्हें निजी एजेंसियां कुशल श्रमिक के बराबर वेतन नहीं दे रही हैं और काम नियमित कर्मचारी से अधिक लिया जा रहा है। दूसरी परेशानी यह है कि अब सरकार ने नगरीय निकायों को निर्देश दिया है कि वे वित्तीय संकट से उबरने के लिए ऐसे आउटसोर्स कर्मचारियों को निकाल दें। इधर, बिजली कंपनियां, अस्पताल, मेडिकल कालेज, स्कूल-छात्रावास, नगरीय निकायों के सफाईकर्मी सहित लगभग हर विभाग में आउटसोर्स कर्मचारी हैं, यदि इन्हें बाहर कर दिया जाएगा तो – प्रतिदिन का कामकाज प्रभावित हो जाएगा। जल जीवन मिशन, पुलिस हाउसिंग बोर्ड, दुग्ध संघ, निगम-मंडल, सरकारी छात्रावास, निर्माण एजेंसियों व अन्य शासकीय कार्यालयों में बड़ी संख्या में आउटसोर्स कर्मी हैं। इन कर्मियों को पीएफ, ग्रेच्युटी जैसी सुविधाएं नहीं हैं। आउटसोर्स सिस्टम से त्वरित रोजगार संभव तो है लेकिन भविष्य सुरक्षित नहीं है। ऐसी कोई नीति भी नहीं कि उन्हें शासकीय नौकरी की भर्ती प्रक्रिया में कोई छूट दी जा सके। कर्मचारी संगठनों के मुताबिक बीते कई वर्षों से मप्र में मुख्य रूप से तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पद नहीं भरे जा रहे हैं। ऐसे में संविदा कर्मियों के बाद लगभग सभी विभागों में आउटसोर्स कर्मियों पर निर्भरता बढ़ती जा रही है। संविदा के अलावा हर विभाग में आउटसोर्स कर्मियों से काम चल रहा है।
आउटसोर्स कर्मचारी मप्र
सरकार के शासकीय और अर्धशासकीय विभागों के रीढ़ की हड्डी हो गए हैं। इनके बिना सरकार का कोई भी कार्यालय या संस्थान संचालित नहीं हो रहा, क्योंकि नियमित कर्मचारियों की संख्या घट गई है। ये कर्मचारी सरकार के गोपनीय व महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं, पर न तो सरकार इन्हें समय पर वेतन देती है और न ही बोनस, भते व अन्य सुविधाएं। इन्हें श्रम अधिनियम का लाभ भी नहीं दिया जा रहा है, उल्टा इन्हें निकालने की बात हो रही है। जबकि कोई कर्मचारी लगातार 240 दिन तक कार्य करता है तो स्थायी वर्गीकृत श्रेणी में आ जाता है। – अशोक पांडेय, प्रदेश अध्यक्ष मप्र कर्मचारी मंच।
ड्राइवर भी आउटसोर्स
शासन में लगभग 60 हजार वाहनों का उपयोग किया जा रहा है। इनमें से 80 प्रतिशत वाहन प्राइवेट एजेंसियों के हैं। इनमें वाहन चालक (ड्राइवर) भी आउटसोर्स ही हैं। मप्र शासकीय वाहन चालक संघ के अध्यक्ष मनोज टेकाम का कहना है कि स्टेट गैराज में 109 वाहन हैं जो मंत्रियों व अधिकारियों के यहां लगे हैं, हालांकि यह शासकीय वाहन है लेकिन इनमें भी अधिकांश वाहन चालक आउटसोर्स पर स्खें गए हैं। हाल ही में 18 और वाहन चालक आउटसोर्स पर रखे गए हैं।
कहां कितने आउटसोर्स कर्मचारी
विभाग कर्मचारी
विभागों में कंप्यूटर आपरेटर 2.50 लाख
चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग 1.50 लाख
पंचायत एवं ग्रामीण विकास 90,000
बिजली कंपनियां 60,000
नगर निगम व निकाय 25,000
व्यावसायिक शिक्षक 5,000

Related Articles