
- विदेशी प्रतिनिधि मंडल ने की प्रदेश की तैयारियों की तारीफ , सुविधाओं से भी नजर आए संतुष्ट …
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के ग्वालियर-चंबल अंचल के श्योपुर की कूनो सेंचुरी में अफ्रीकी चीतों के आगमन का इंतजार जल्द समाप्त होने के आसार तेजी से बन रहे हैं। जिस तरह की तैयारियां की जा रही है उससे माना जा रहा है कि इसी साल अफ्रीकी चीते इस सेंचुरी में आ सकते हैं। यह बात अलग
है कि उनके आने के बाद कई माह तक उनके दीदार के लिए पर्यटकों को इंतजार करना पड़ेगा। इसकी वजह है हाल ही में साउथ अफ्रीका और नामीबिया से कूनों में चीतों की बसाहट की तैयारियां देखने आए एक्सपर्ट के दल द्वारा चीतों के बाड़े के इर्दगिर्द पर्यटन गतिविधियों को पूरी तरह से बंद रखने की सिफारिश करना।
दरअसल उनके द्वारा अपनी सिफरिशों में कहा गया है कि लाए जाने वाले चीतों को प्राकृतिक बातावरण उपलब्ध कराने के लिए चीतों को रखे जाने वाले बाड़े के आसपास पर्यटकों को प्रवेश और पर्यटन संबधी किसी प्रस्ताव को भी मंजूरी न दी जाए। पार्क में इन चीतों के लिए 5 वर्ग किलोमीटरके एनक्लोजर (बाड़ा) में रखने की
तैयारी है। इसकी वजह से सेंचुरी में आने वाले सैलानी भी चीतों को नहीं निहार सकेंगे। यही नहीं इस दल ने कहा है कि चीतों के बाड़े की फैसिंग को ग्रीन मेट से भी कवर किया जाए , जिससे की उन्हें दूर से फैसिंग नजर नहीं आए। अगर ग्रीन मेट नहीं लगाई जाएगी तो फिर चीते फैसिंग को पार करने का प्रयास करेंगे। वन
विभाग के अफसरों का कहना है कि पर्यटक तब तक चीतों को रेस लगाते नहीं देख सकेंगे , जब तक उन्हें बाड़े से बाहर निकालकर खुले जंगल में नहीं छोड़ा जाता है। इसमें कुछ महीने लग सकते हैं। दरअसल यहां लाए जाने के बाद कुछ महिनों तक शुरूआत में चीतों को बाड़े में रखा जाएगा। इस दौरान किसी तरह का शोर-शराबा
न हो, इसे ध्यान में रखकर पर्यटकों की एंट्री बाड़े के आसपास प्रतिबंधित रहेगी। यदि पर्यटकों को अनुमति दी गई तो गाडिय़ों के पहुंचने से शोर होगा और इसे एक्सपर्ट चीतों के परिवेश में दखल मानेंगे।
कूनो नेशनल पाक की दल ने की तारीफ
अफ्रीकी दल ने कूनो नेशनल पार्क का जायजा लेने के बाद किए गए प्रबंधों की तारीफ की है। इस दल ने चीतों के भोजन की जानकारी ली और खुले मैदान देखने के बाद व्यवस्थाओं का जायजा भी लिया। इस दौरान दल के सदस्यों ने कूनो में चीता के भोजन के लिए मौजूद वन्यजीवों की जानकारी ली, वहीं खुले वनक्षेत्र का जायजा लिया। दल के सदस्यों ने कहा कि चीता प्रोजेक्ट के लिए यह अनुकूल जगह है।गत मंगलवार को श्योपुर पहुंची टीम बीते दो दिनों से कूनो का भ्रमण कर रही है। वहीं गुरुवार को तीसरे दिन भी टीम ने वनक्षेत्र का भ्रमण किया। इस दौरान 5 वर्ग किलोमीटर में बनाए गए चीता के विशेष बाड़े तो निरीक्षण किया ही, साथ ही पार्क में घूमकर चीतों के लिए खुले मैदान, घास आदि की स्थिति का भी जायजा लिया। इसके साथ ही वन्य प्राणियों की संख्या भी जानी और चीतों के भोजन के रूप में विचरण करने वाले वन्यजीवों की जानकारी लेकर वापस लौट गई है। इस दौरान दल ने मप्र और कूनो के अधिकारियों के साथ बैठक में प्रोजेक्ट को अंतिम रूप देने के लिए भी तमाम बिन्दुओं पर चर्चा की। गौरतलब है कि कूनो में अफ्रीकी चीता बसाने के लिए चल रही प्रक्रिया के तहत दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से कूनो में तैयारियां का जायजा लेने के लिए बीते हμते एक दल आय था जिसमें नामीबिया के विशेषज्ञ डॉ. जारी मार्कर, दक्षिण अफ्रीका से विंसेंट, डॉ. एड्रिन के साथ ही डब्ल्यूडब्ल्यूआई देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. वायवी झाला और विपिन शामिल थे।
नौ मई को ही लौटी थी हमारी टीम
चीता प्रोजेक्ट के अंतर्गत एक पांच सदस्यीय टीम 29 मई को एक टीम दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया के दौरे पर गई थी जो 9 जून को लौटी थी। इस टीम में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के डीआइजीएफ राजेंद्र गरवाड़, कूनो नेशनल पार्क के डीएफओ पीके वर्मा, भारतीय वन्यजीव संस्थान से डॉ.विपिन, कूनो नेशनल पार्क के एसडीओ फॉरेस्ट अमृतांशु सिंह और पशु चिकित्सक डॉ.ओंकार अचल शामिल थे। इस टीम ने अफ्रीका में ट्रैनिंग लेकर वहां के चीतों के व्यवहार व रहन सहन की जानकारी ली।
यह है कूनो पार्क के चयन की वजह
कूनो नेशनल पार्क में चीतों के लिए सुरक्षा, शिकार और आवास के लिए अपने क्षेत्रफल् की वजह से पूरी तरह से उपयुक्त है। चीते के रहने के लिए 10 से 20 वर्ग किमी एरिया और उनके प्रसार के लिए पर्याप्त जगह होना चाहिए। यह सभी चीजें कूनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में मौजूद है।
चीतों की यह है खासियत
यह चीते एक छोटी सी छलांग में 80 से 130 किमी प्रति घंटे की रμतार में दौड़ सकता है। इसी स्पीड से 460 मीटर तक लगातार दौड़ सकता है। खास बात यह है कि 3 सेकंड में ही 103 की रμतार पकड़ लेता है। चीता एक बार में 23 फीट की एक लंबी छलांग लगा सकता है। वह दौड़ते वक्त आधे से अधिक समय हवा में रहता है।