लोक परिवहन सेवाओं के लिए करना होगा और इंतजार

लोक परिवहन सेवा

– अभी केवल इंदौर व उज्जैन संभाग में पूरा हुआ है सर्वे का काम

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। लोक परिवहन सेवाओं को जमीन पर उतारने से जुड़े पहले चरण के सर्वे का काम परिवहन विभाग ने इंदौर व उज्जैन संभाग में लगभग पूरा कर लिया है। अब यहां चिह्नित किए गए मार्गों को फाइनल किया जा रहा है। उधर आठ परिवहन कंपनियों के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मार्गों पर रिहर्सल पूरी होते व कंपनियों के अस्तित्व में आते ही टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। ऐसे में प्रदेश में पब्लिक प्रायवेट पाटर्नरशिप (पीपीपी) मोड पर चलने वाली बसों में सफर करने के लिए लोगों को अभी इंतजार करना होगा। परिवहन विभाग की ओर से बसों के संचालन को लेकर राज्य स्तरीय होल्डिंग कंपनी के गठन की प्रक्रिया जारी है। साथ ही संभावित रूटों का सर्वे किया जा रहा है। सर्वे में उन प्रमुख रूटों की पहचान की जा रही है, जहां यात्रियों का दबाव अधिक है और निजी परिवहन की पहुंच सीमित है। रूट सर्वे के आधार पर बसों का संचालन चरण-वार किया जाएगा। इंदौर व उज्जैन संभाग में बसों के रूट को चिह्नित करने के लिए अगले चरण के सर्वे का काम जबलपुर व सागर संभागों के जिलों में शुरू होगा। यह मई के अंत तक शुरू हो जाएगा। इसके लिए एजेंसी तय कर दी है। इन संभागों में सर्वे का फोकस सबसे पहले परिवहन सेवा विहीन क्षेत्रों पर होगा। सरकार ने तय किया है कि जिन रूट पर डिमांड होगी, वहीं बसें चलाई जाएंगी। बिना डिमांड के बसों का संचालन नहीं होगा, ताकि बसें चलाने पर घाटा नहीं हो। यही वजह है कि अभी संभावित रूटों का सर्वे किया जा रहा है। परिवहन मंत्री राव उदय प्रताप सिंह का कहना है कि मुख्यमंत्री सुगम परिवहन सेवा योजना के अंतर्गत बसों के संचालन की प्रक्रिया अभी प्रारंभिक स्टेज में है। रूटों का सर्व किया जा रहा है। कहां, कैसे बसे चलाई जाएं?
2026 में ही शुरू हो पाएगा बसों का संचालन
अधिकारियों का कहना है कि कमेटी के गठन और सर्वे की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही बस ऑपरेटर्स को एंगेज करने के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी। अनुमान है कि नए साल यानी वर्ष 2026 में ही बसों का संचालन शुरू हो पाएगा। मप्र सरकार ने प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों में आम नगारिकों को सस्ती व सुरक्षित परिवहन सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पीपीपी मॉडल पर बसें चलाने का निर्णय लिया है। इसके लिए डॉ. मोहन यादव कैबिनेट ने गत एक अप्रैल को मुख्यमंत्री सुगम परिवहन सेवा योजना को मंजूरी दी थी। योजना के प्रस्ताव के अनुसार सरकार खुद बसों का संचालन नहीं करेगी, बल्कि इसके लिए बस ऑपरेटर्स को एंगेज किया जाएगा। बस चलाने वाली कंपनियों को घाटे से बचाने के लिए सरकार सवारियों के साथ कार्गो के लिए भी बसों का इस्तेमाल करेगी। यानी बसों के जरिए सामान एक से दूसरे स्थान तक भेजा जा सकेगा।
यात्रियों को मिलेगी कई प्रकार की सुविधाएं
लोक परिवहन सेवाओं की बसों में सफर करने वाले यात्रियों को कई तरह की सेवाएं मिलेंगी। आईटी टेक्नोलॉजी सॉल्युशन के जरिए यात्रियों के लिए ई-टिकट, मोबाइल एप जिससे बसों की ट्रेकिंग, आक्युपेंसी एवं यात्रा प्लानिंग हो सकेगी। यात्रियों के लिए कैशलेस, टेपऑन-टेपऑफ सुविधा, एप के माध्यम से पैसेंजर इंन्फोर्मेशन सिस्टम आदि उपलब्ध कराया जाएगा। यात्रियों की लास्ट माइल कनेक्टिविटी एवं मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट उपलब्ध कराने के लिए ट्रेवल एप तैयार किया जाएगा, जिसमें बस, ऑटो, टैक्सी, ई-स्कूटर, मेट्रो आदि संकलित की जा सकेंगी। नई परिवहन योजना में बसों का संचालन भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, सागर व रीवा संभाग में किया जाएगा। योजना में यात्री बसों के संचालन की त्रिस्तरीय मॉनिटरिंग की जाएगी। इसके लिए प्रदेश मुख्यालय स्तर पर एक राज्य स्तरीय होल्डिंग कंपनी बनाई जाएगी। प्रदेश के सात संभागों (भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, सागर और रीवा) में 7 क्षेत्रीय सहायक कंपनियां भी गठित की जाएंगी। प्रदेश के सभी जिलों में जिला स्तरीय यात्री परिवहन समिति गठित की जाएगी। बसों के संचालन की निगरानी के लिए आईटी का उपयोग किया जाएगा। बसों में कैमरे लगाए जाएंगे। टिकट के बिना कोई भी बस में नहीं बैठ पाएगा। टिकट काटने वाली एजेंसी अलग होगी। टिकट लेने के बाद सॉफ्टवेयर के जरिए टिकट चेक होगा और सीट की नंबरिंग हो जाएगी। राज्य स्तरीय होल्डिंग कंपनी के कार्यालय और क्षेत्रीय कंपनी के कार्यालयों में कंट्रोल एवं कमांड सेंटर की स्थापना की जाएगी।
अलग-अलग चरणों में किए जा रहे काम
परिवहन विभाग अब तक सीमित क्षेत्रों में ही सर्वे करा रहा था, अब इसका दायरा बढ़ा दिया है। कंपनी एक्ट के तहत कंपनियों के गठन की प्रक्रिया का जिम्मा अलग अफसरों को सौंपा है। निष्क्रिय पड़े सडक़ परिवहन निगम की संपत्तियों को नए सिरे से खंगाला जा रहा है, ताकि मुख्यमंत्री सुगम लोक परिवहन सेवाओं के तहत उपयोगी बनाया जा सके। कंपनियों के लिए ऑर्गनाइजेशन स्ट्रक्चर का खाका तैयार करेंगे। सुझाव लेने संबंधी प्रक्रिया लगातार जारी है, ताकि नई व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाया जा सके। सर्वे में बस ऑपरेटरों से फीडबैक लिया जा रहा है, यात्रियों से उनकी राय पूछी जा रही है ताकि जिन मार्गों को चिह्नित किया जा रहा है या किया जाना है उन पर वस्तु स्थिति साफ हो सके। इसी पूरी व्यवस्था में जिला स्तरीय समितियों का गठन होना है, इसकी तैयारी शुरू कर दी है। सिटी ट्रांसपोर्ट कंपनियों की चल-अचल संपति, नई गठित की जाने वाली कंपनियों को दी जाएगी। इस दिशा में भी काम शुरू किया है। मौजूदा सिटी बस कंपनियों के कार्यालय भवन का उपयोग नवीन सहायक कंपनियां करेंगी।

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