छठवें वेतन आयोग का मिलेगा लाभ

  • हाईकोर्ट के फैसले से लाखों पेंशनर्स के लिए बड़ी खुशखबरी
  • 32 माह का एरियर छह प्रतिशत ब्याज के साथ मिलेगा

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। हाई कोर्ट से पेंशनरों को राहत मिली है। हाई कोर्ट ने इंदौर बेंच के आदेश के अनुरूप पेंशनर्स को छठवें वेतनमान के शेष 32 माह का छह प्रतिशत ब्याज के साथ भुगतान करने के निर्देश दिए। दरअसल, इंदौर बेंच ने 15 अप्रैल 2024 को इस मामले में फैसला दिया था। इसके बाद सरकार ने युगलपीठ के समक्ष अपील पेश की थी। हाई कोर्ट से अपील निरस्त होने के बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की है, जो कि लंबित है।
दरअसल, मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा सेवानिवृत्त प्राध्यापक संघ व अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर उक्त लाभ देने की मांग की गई थी। एसोसिएशन मध्य प्रदेश के पूर्व महामंत्री एचपी उरमलिया की ओर से याचिका में बताया गया कि प्रदेश के साढ़े चार लाख पेंशनर्स को छठवें पे कमीशन का 32 माह का लाभ नहीं दिया गया है। पूर्व में हाई कोर्ट ने वित्त विभाग को छह माह के भीतर भुगतान करने के आदेश दिए थे। शासन ने निर्धारित अवधि में भुगतान नहीं किया तो संगठन की ओर से शासन के विरूद्ध अवमानना याचिका दायर की गई। सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की अपील पर कोई स्थगन नहीं दिया है, इसलिए इन याचिकाओं को लंबित रखने का कोई औचित्य नहीं है। सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की अपील पर कोई स्थगन नहीं दिया है, इसलिए इन याचिकाओं को लंबित रखने का कोई औचित्य नहीं है।
 ई-अटेंडेंस पर मांगा जवाब
मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के लिए ई-अटेंडेंस अनिवार्यता के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। दरअसल, प्रदेश के अलग-अलग जिलों में पदस्थ शिक्षकों ने इसमें आने वाली समस्याओं को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता शिक्षकों की ओर से दलील दी गई कि ई-अटेंडेंस दर्ज कराने में कई बार नेटवर्क सहित अन्य समस्याएं आती हैं। वहीं शासन की ओर से तर्क दिया गया कि नेटवर्क की समस्या नहीं है क्योंकि उसी स्कूल में अधिकतर शिक्षक अटेंडेंस लगा रहे हैं। हाईकोर्ट ने शिक्षकों को हलफनामा पेश कर यह बताने कहा है कि किस-किस दिन उन्होंने ई-अटेंडेंस का प्रयास किया और तकनीकी कारणों से उपस्थिति दर्ज नहीं हुई। जस्टिस एमएस भट्टी की एकलपीठ ने मामले पर अगली सुनवाई 17 नवंबर को नियत की है। जबलपुर निवासी मुकेश सिंह वरकड़े सहित प्रदेश के अलग-अलग जिलों के 27 शिक्षकों ने याचिका दायर कर ई-अटेंडेंस को चुनौती दी है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने दलील दी कि शिक्षकों को ई अटेंडेंस के लिए बने व्हमारे शिक्षक एपच् के जरिए से उपस्थित दर्ज कराने में बहुत सी समस्याओं को सामना करना पड़ रहा है। कई शिक्षकों के पास अच्छा स्मार्टफोन नहीं है। प्रतिमाह डाटा पैक खरीदना, प्रतिदिन मोबाइल की बैटरी चार्ज रखना, स्कूल में नेटवर्क कनेक्टिविटी नहीं होने की भी समस्याएं हैं। एप को सर्वर की समस्या व चेहरा मिलान की भी समस्याएं हैं। मांग की गई कि या तो बायोमेट्रिक मशीन से या पूर्व की भांति कर्मचारी रजिस्टर में उपस्थित दर्ज कराई जाए।

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