
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। झाबुआ-रतलाम लोकसभा प्रदेश की ऐसी सीट है जिस पर तीन दशक तक दो भूरिया परिवारों का ही कब्जा रहा है। इन्ही में से एक कांतिलाल भूरिया फिर इस बार कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं, जबकि भाजपा ने इस बार अनीता चौहान का उतारकर गैर भूरिया की जीत को दोहराने का प्रयास किया है। यह ऐसी सीट है, जिस पर अधिकांश समय तक कांग्रेस का ही राज रहा है, लेकिन अब भाजपा भी यहां अपने लिए जमीन तैयार कर चुकी है। यही वजह है कि बीते चुनाव में भाजपा ने गैर भूरिया प्रत्याशी उतार कर जीत दर्ज की थी। इस बार के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को अपने परंपरागत वोटबैंक पर भरोसा है, लेकिन 40 साल बाद भाजपा ने आलीराजपुर क्षेत्र से टिकट देकर क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की कोशिश की है और महिला उम्मीदवार को टिकट देने का प्रयोग भी किया है। अब देखना है कि भाजपा के यह दोनों प्रयोग कितने कारगर रहते हैं। दरअसल भूरिया का सबसे मजबूत वोट बैंक भील समाज माना जाता है। यह लोग झाबुआ और उसके आसपास रहते हैं। यहां से ही कांग्रेस को हमेशा बढ़त मिलती रही है। उधर भाजपा ने इसकी काट के लिए ही इस बार आलीराजपुर क्षेत्र से आने वाली अनीता नागर चौहान को प्रत्याशी बनाया है। वे वन मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी हैं। इस लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटें आती है। उनमें से चार सीटें भाजपा के कब्जे में है, जबकि तीन सीट कांग्रेस के पास है। सैलाना सीट पर भारत आदिवासी पार्टी के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की। राजनीति में यह इलाका कांग्रेस का पर्याय रहा है। इंदिरा गांधी यहां खासी लोकप्रिय थी, इस सीट पर 17 लोकसभा चुनाव में से 13 में कांग्रेस को जीत मिली। 1970 के दक्षक में दो जीत प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और बीते दो चुनाव 2014 और 19 में भाजपा को जीत मिली। झाबुआ की राजनीति में भूरिया कुनबे का दबदबा रहा। दिलीप भूरिया हो या कांतिलाल भूरिया, दोनों ने कुल मिलाकर 30 साल झाबुआ लोकसभा क्षेत्र पर राज किया।
तीसरी बार महिला उम्मीदवार
इस सीट पर अभी तक तीन बार महिला उम्मीदवार को राजनीतिक दलों ने टिकट दिया है। कांग्रेस ने 1962 में पहली बार महिला प्रत्याशी को मैदान में उतारा था। तब जमुनादेवी चुनाव जीती थी। तब यह सीट चर्चा में आई थी। इस सीट पर 1962 में टिकट बदलते हुए अमर सिंह के स्थान पर जमुना देवी को उम्मीदवार बनाया था। 2004 में दिलीप सिंह भूरिया के बजाए रेलम सिंह चौहान को टिकट दिया, लेकिन वे चुनाव नहीं जीत पाई। अब भाजपा ने फिर महिला को टिकट दिया है।
भूरिया का दबदबा
इस सीट का एक इतिहास है कि1984 से 2014 तक सिर्फ भूरिया ही जीते है। चाहे वे कांतिलाल भूरिया हो या फिर दिलीपसिंह भूरिया। इस चुनाव में पहली बार ऐसा हो रहा है कि झाबुआ जिले के बाहर से भाजपा ने अपना प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारा है। अनीता चौहान आलीराजपुर जिले से हैं। वे तीसरी महिला प्रत्याशी हैं। पहले जमुनादेवी, रेलमसिंह चौहान भी भाग्य आजमा चुकी हैं ,लेकिन सिर्फ जमुनादेवी ही जीत दर्ज कर पाईं। 1962 में कांग्रेस ने उन्हें उम्मीदवार बनाया था। 1971 में वे निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में मैदान में उतरीं थी तो करारी शिकस्त खानी पड़ी थी। 1980 में जनता पार्टी ने उम्मीदवार बनाया। इस चुनाव में दिलीपसिंह भूरिया ने कांग्रेस के बैनर पर चुनाव लड़ा और बड़ी जीत हासिल की। दिलीपसिंह भूरिया कांग्रेस से छह चुनाव लड़े। 1977 में हारे, लेकिन 1980 से 1996 तक लगातार जीत कर दिल्ली पहुंचे और आदिवासियों के राष्ट्रीय नेता के रुप में उभरे। 1998 से 2009 तक कांतिलाल भूरिया जीतते रहे। उनकी जीत का सिलसिला 2014 में दिलीपसिंह भूरिया ने ही तोड़ा। 2019 में भाजपा ने रिटायर्ड सरकारी अधिकारी गुमानसिंह डामोर को मैदान में उतारा और एक बार फिर यह सीट अपने खाते में दर्ज की।
भूरिया भील तो चौहान भिलाला समाज से
लोकसभा आलीराजपुर, झाबुआ और रतलाम क्षेत्र में बंटी है। आलीराजपुर में नागर सिंह का होल्ड है, तो रतलाम में भाजपा का और झाबुआ में भूरिया का प्रभाव है। सारा जोड़-घटाव रतलाम की लीड पर है, क्योंकि जातिगत समीकरण के हिसाब से वोट मिले तो भूरिया मजबूत हैं। इसकी भरपाई की ताकत भाजपा के पास रतलाम में है। वहां भाआपा प्रत्याशी को कितने वोट मिलते हैं और सैलाना की क्या स्थिति रहती है, उस पर परिणाम निर्भर करेगा। भूरिया भाजपा के सरपंचों में सेंधमारी कर रहे हैं, ताकि जातिगत समीकरण के हिसाब से उन्हें वोट मिल सकें।
यह है जातीय समीकरण
इस सीट पर मुख्य रूप से ग्रामीण हैं, जो कुल आबादी का 82.63 प्रतिशत है जबकि, शहरी निवासी 17.37 प्रतिशत हैं। ऐतिहासिक रूप से, केवल दो भिलाला ही इस सीट से सांसद बने हैं। इस सीट में मुख्य रूप से लगभग प्रतिशत भील, 25 भिलाला , 10-12 प्रतिशत पटेलिया और शेष 20 प्रतिशत अन्य हैं। इनमें भील, भिलाला और पटेलिया अनुसूचित जनजाति वर्ग में आते हैं। जबकि, भील बहुसंख्यक होने के कारण अक्सर भील उम्मीदवारों से जीत सुनिश्चित करने की उम्मीद की जाती है। यह उल्लेखनीय है कि भिलाला उम्मीदवार भी अतीत में जीत हासिल कर चुके हैं। इनमें अलीराजपुर के भागीरथ भंवर और जमुनादेवी के नाम शामिल हैं।