क्या भाई साब का बाघ बसाने का ड्रीम अब होगा पूरा

 भाई साब

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र के दिग्गज नेताओं में दशकों से शुमार भाई साब का कद जिस तरह से तेजी से बड़ रहा है, उससे माना जा रहा है कि अब उनका अपने पिता के नाम से बने माधव नेशनल पार्क में बाघ एक बार फिर से बसाने का सपना पूरा हो सकता है। इसके लिए उनके द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है। दरअसल इस नेशनल पार्क में पहले बाघ थे , लेकिन तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय करीब ढाई दशक पहले खनन माफिया के फायदे के लिए यहां के बाघों को दूसरे नेशनल पार्क में विस्थापित कर दिया था। इसके बाद से ही भाई साहब द्वारा फिर से बाघों को इस पार्क में लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। कांग्रेस शासन में लगातार असफल रहने के बाद अब उन्हें लगता है कि भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार में उनका यह सपना पूरा हो सकता है। इसके लिए उनके द्वारा केन्द्रीय मंत्री बनने के बाद केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय को पत्र लिखा गया है। इस पत्र में उनके द्वारा 25 साल पहले माधव नेशनल पार्क से विस्थापित किए गए बाघों को दोबारा बसाने के साथ ही उक्त पार्क में उन्हें बचाने के लिए जरूरी कदम उठाने का भी आग्रह किया है। खास बात यह है कि भाईसाब के इस पत्र के साथ ही माधव नेशनल पार्क प्रबंधन ने 108 करोड़ रुपये का एक प्रस्ताव भी वाइल्ड लाइफ मुख्यालय को भेजा है। यह प्रस्ताव पार्क के कुछ हिस्सों में और पार्क के बीच से गुजरने वाली सड़क के किनारे फेंसिंग को लेकर है। अभी तेंदुआ सहित हैं कई वन्य प्राणी पार्क में हैं। गौरतलब है कि करीब 25 साल पहले तक बाघ भी मौजूद थे, जिन्हें तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय बाघों को दूसरे नेशनल पार्क को में विस्थापित कर दिया था। इसके बाद से यह पार्क पूरी तरह से बाघ विहीन बना हुआ है। फिलहाल पार्क में तेंदुआ, भालू समेत कई तरह के वन्य प्राणी हैं। हालांकि, पूर्व में भी भाई साब द्वारा  प्रदेश वाइल्डलाइफ मुख्यालय को माधव नेशनल पार्क में बाघों को बसाने के आग्रह वाला पत्र लिख गया था , तब बोर्ड ने उनके प्रस्ताव पर असहमति जताई थी। इसकी वजह थी, इससे एक अरब का बोझ आना।
यह है अभी मुश्किल: बाघों के लिए अभी भी माधव नेशनल पार्क को मुफीद नहीं माना जा रहा है। यदि माधव नेशनल पार्क को बाघों के लिए उपयुक्त बनाना होगा तो जगह-जगह घास के मैदान और पानी के लिए तालाब बनाने होंगे। इसके साथ ही शाकाहारी वन्य प्राणियों को भी यहां लाकर बसाना पड़ेगा, ताकि बाघों को शिकार के लिए भटकना न पड़े। बहरहाल उनकी मंशा तो इस पार्क में शेर और चीता बसाने की भी है, लेकिन इस पार्क को उनके लिए उपयुक्त नहीं माना गया है।

Related Articles