प्रदेश के टाईगर रिजर्व में हाथी से कर सकेंगे सैर

  • बढ़ाई जाएगी हाथियों की संख्या

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में पर्यटकों को लुभाने के लिए अब वन विभाग नया कदम उठाने जा रहा है। इसके तहत अब पर्यटकों को हाथी से भी सैर करने की सुविधा दिए जाने की तैयारी है। अभी तक विभाग द्वारा टाईगर रिर्जवों में बाघों की निगरानी का ही काम हाथी से किया जाता है। इस नई सुविधा से पर्यटक जंगल के उन दुर्गम स्थानों तक का भी भ्रमण कर सकेंगे, जहां अभी वाहनों से जाना संभव नहीं होता है। दरअसल अभी टाईगर रिजर्व में  पर्यटकों को जिप्सी से ले जाया जाता है। प्रदेश में पर्यटकों को सहूलियत देने वाला यह निर्णय सोमवार को हुई राज्य वन्यप्राणी बोर्ड की बैठक में लिया गया। इतना ही नहीं, बैठक में हाथियों की संख्या को बढ़ाने का भी निर्णय लिया गया। इसके लिए कर्नाटक समेत दूसरे राज्यों से हाथियों को लाने की पहल राज्य सरकार करेगी। हालांकि पर्यटकों को हाथियों पर बैठकर बाघ भ्रमण वाले क्षेत्रों में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। बोर्ड की पहली बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, वन मंत्री नागर सिंह चौहान समेत आमंत्रित सदस्य व वन विभाग के अधिकारी मौजूद थे, जिन प्रस्तावों पर सहमति बनी है, उन पर जल्दी ही वन विभाग काम शुरू करेगा।
टाइगर रिजर्व क्षेत्र में होंगे रेस्क्यू स्क्वॉयड
प्रदेश भर में वन्यप्राणियों की नतीजा यह है कि ये वन क्षेत्रों से निकलकर आबादी तक पहुंच रहे हैं। कई बार खेतों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। कई बार तो आम लोग भी हाथियों की चपेट में आ जाते हैं और जनहानि होती है। हाल ही में शहडोल व अनूपपुर में हाथियों व बाघों के दखल से लोगों को नुकसान उठाना पड़ा था। ऐसी स्थितियों को देखते हुए बोर्ड ने प्रत्येक जिलों में वन्यप्राणी रेस्क्यू स्क्वॉयड बनाने का निर्णय लिया है। अभी टाइगर रिजर्व वाले जिलों में ही यह स्क्वॉयड काम कर रहे हैं।
सर्प विशेषज्ञ भी किए जाएंगे तैयार
प्रत्येक जिलों में सांपों के काटने से मौत का आंकड़ा साल दर साल बढ़ता जा रहा है। इसे देखते हुए प्रत्येक जिले में तहसील, ब्लॉक व जिला स्तर पर सर्प दंश की घटनाओं को रोकने के लिए सांप पकडऩे वाले विशेषज्ञ तैयार किए जाएंगे। सरकार इन्हें प्रशिक्षण दिलाएगी। साथ ही इनके नाम व मोबाइल नंबर शहर से लेकर पंचायतों तक में उपलब्ध कराए जाएंगे। अभी नगरीय निकायों द्वारा भोपाल, इंदौर, जबलपुर व ग्वालियर जैसे मुख्य शहरों में ही विशेष तैयार करते हैं।
यह भी हुए फैसले
– कान्हा टाइगर रिजर्व में नक्सलियों से निपटने के लिए नक्सली विरोधी कैंप का निर्माण किया जाएगा। ऐसी गतिविधियों के लिए और भी जहां जरूरत होगी, वहां निर्माण किए जाएंगे।
– सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से मेलघाट के बीच बाघ कॉरिडोर में तय शर्तों के आधार पर निर्माण किए जा सकेंगे।
– घडिय़ाल वन्यजीव जगत का अहम हिस्सा है, युवा पीढ़ी इस जीव से परिचित रहे ताकि संरक्षण में मदद मिल सके इसके लिए कुछ घडिय़ालों को जगह-जगह डिस्प्ले में रखा जाएगा।

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