
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में हाल ही में जिन चार सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम आए है, उनको लेकर अब कांग्रेस में समीक्षा का दौर चल रहा है। इस बीच सबसे चौंकाने वाला खुलासा हुआ है खंडवा सीट के तहत आने वाले अल्पसंख्यक मतदाताओं को लेकर। दरअसल कांग्रेस मानकर चल रही थी कि इस सीट पर मौजूद ढाई लाख अल्पसंख्यक मतदाता उसके पक्ष में मतदान करेंगे, लेकिन उनका यह अनुमान पूरी तरह से गलत साबित हुआ। इसकी वजह से कांग्रेस प्रत्याशी राजनारायण पूरनी को हार का सामना करना पड़ा है। हार की समीक्षा में कांग्रेस को जो जानकारी मिली है उससे कांग्रेस खेमा अंचभित है।
दरअसल मतदान के जो आंकड़े सामने आए हैं उनमें ढाई लाख मतदाताओं में से महज 45 फीसदी अल्पसंख्यकों ने ही मतदान किया है। इसकी वजह से महज सवा लाख अल्पसंख्यक मतदाताओं ने ही मतदान में भाग लिया है, जबकि यह ऐसा वर्ग है जो सर्वाधिक मतदान करता है। ऐसे में कांग्रेस को समझ नहीं आ रहा है कि उनका मतदान कम क्यों हुआ है। यही नहीं जिन इलाकों में उनकी संख्या अधिक है और मतदान अधिक हुआ है, फिर भी उसकी तुलना में मत कम मिले हैं, जिससे सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिर अल्पसंख्यकों के वोट कौन ले उड़ा है। उधर इन उपचुनाव वाली चार सीटों में से तीन पर मिली हार के बाद कांग्रेस की अतंर्कलह एक बार फिर सार्वजनिक हो गई है। हार की समीक्षा के दौरान जब पार्टी प्रत्याशी रहे नेताओं की प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और एआईसीसी के सचिव सुधांशु त्रिपाठी और सीपी मित्तल से मुलाकात हुई तो उनका गुस्सा फूट पड़ा। इस दौरान जोबट से कांग्रेस प्रत्याशी रहे महेश पटेल ने तो अपनी हार का ठीकरा पूरी तरह से भूरिया परिवार पर ही फोड़ दिया। पटेल का आरोप है कि प्रचार के अंतिम तीन दिनों में उन्हें मदद ही नहीं मिली जिससे मैं चुनाव हार गया। उनका कहना है कि वे 6105 वोटों से हारे हैं, जबकि उनके यहां 5603 वोट नोटा पर डल गए। इतने वोट तो पृथ्वीपुर व रैगांव विधानसभा में मिलाकर भी नोटा पर नहीं डले हैं। इसके बाद उनके द्वारा कांतिलाल भूरिया, विक्रांत और दीपक भूरिया की भूमिका की जांच तक की मांग कर दी गई। उनका आरोप है कि जोबट में सरकार ने सारे संसाधन झोंक दिए थे, जबकि हमारे नेता उपचुनाव के दौरान ही उनके इलाके में मौजूद मंत्रियों से नजदीकियां बढ़ाने में लगे हुए थे, इसका मतलब क्या है। इसी तरह से पृथ्वीपुर से चुनाव हारे नितेंद्र सिंह राठौर ने अपनी हार की वजह बूथ कैप्चरिंग को बताया है। उनका कहना है कि कहा कि विधानसभा क्षेत्र के 306 बूथ में से 70 पर उप्र से आए लोगों द्वारा बूथ कैप्चरिंग की गई। उनका कहना है कि हम सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग की वजह से चुनाव हारे हैं।
यह मिली प्रभारियों से रिपोर्ट
पीसीसी चीफ कमलनाथ ने शाम को खंडवा लोकसभा के अंतर्गत आने वाले खरगौन, देवास, खंडवा, बुरहानपुर जिले के अध्यक्ष और तीनों विधानसभा में निवाड़ी और टीकमगढ़ जिले के अंतर्गत पृथ्वीपुर विधानसभा क्षेत्र और रैगांव (सतना जिला) और जोबट (अलीराजपुर जिला) के अध्यक्षों और खंडवा के प्रभारी मुकेश नायक, पृथ्वीपुर के प्रभारी प्रवीण पाठक और जोबट के प्रभारी रवि जोशी उपस्थित से रिपोर्ट ली। खंडवा लोकसभा में हार की जो वजह बताई गई है उसमें कहा गया है कि यहां पर प्रचार के लिए प्रत्याशी को कम समय मिलना बड़ा कारण रहा है। इसके अलावा अल्पसंख्यकों द्वारा मतदान में रुचि न लेना भी दूसरा बड़ा कारण है। इसी तरह से पृथ्वीपुर में 30 बूथों पर 90 प्रतिशत से ज्यादा वोटिंग को हार की वजह बताया गया है। इन पर बूथ कैप्चरिंग को हार की वजह बताया गया है। जोबट सीट पर हार की वजह भाबरा ब्लाक में पार्टी के वर्चस्व के बाद भी चार हजार मतों से पीछे रहने की वजह और पार्टी नेताओं द्वारा प्रत्याशी के पक्ष में काम नहीं करने को बताया गया है।