- लोक निर्माण विभाग की कारस्तानी

गौरव चौहान
मप्र में मानसून की बारिश से काफी सडक़ें जर्जर हो गई हैं। इन सडक़ों पर जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। सरकार का दिशा-निर्देश है कि जर्जर सडक़ों को जल्द से जल्द दुरूस्त किया जाए। लेकिन सरकार के दिशा निर्देश को दरकिनार करते हुए लोक निर्माण विभाग ने जर्जर सडक़ों की जगह चकाचक सडक़ों पर व्हाइट टॉपिंग की योजना बनाई है। इस नवाचार पर प्रदेश भर में करीब 350 करोड़ रुपए खर्च करने की तैयारी है। जिन सडक़ों पर व्हाइट टॉपिंग करना है, उसकी सूची जारी कर दी गई है। ताज्जुब तो यह है कि ऐसी सडक़ों पर व्हाइट टॉपिंग की जाएगी, जो पहले से चकाचक है। इन सडक़ों के कई वर्षों तक खराब होने की आशंका नहीं है। सवाल उठ रहा है कि आखिर पीडब्ल्यूडी व्हाइट टॉपिंग के लिए उन सडक़ों का चयन क्यों नहीं करती, जो खराब है और उन पर चलना दूभर है। व्हाइट टॉपिंग के लिए सडक़ बनाने वाली एजेंसी मौजूदा सडक़ पर गिट्टी व सीमेंट की लेयर बिछाएगी। पीडब्ल्यूडी का तर्क है कि इससे सडक़ को बार-बार बनाने की जरूरत नहीं होगी। कम से कम इसकी मियाद 15 से 20 वर्ष की होगी। आम लोग पूछ रहे हैं कि जो सडक़ें चकाचक है, उनमें एक भी गड्ढे नहीं हैं, कई तो नई करोड़ों रुपए की लागत से बनी है। ऐसी सडक़ों के मेंटनेंस की जरूरत फिलहाल नहीं हैं, तो इन सडक़ों पर व्हाइट टॉपिंग क्यों होगी? इसके बजाय उन सडक़ों पर व्हाइट टॉपिंग कराई जाए, जो अपेक्षाकृत कुछ खराब है, या जो किसी कारण से बार-बार क्षतिग्रस्त हो रही है। इससे आम लोगों को सुविधा होगी और पैसे का भी सदुपयोग होगा।
इंदौर-उज्जैन सिक्स लेन रोड के लिए काटे जाएंगे तीन हजार पेड़
इंदौर-उज्जैन के बीच बनने वाले सिक्स लेन रोड के लिए तीन हजार पेड़ काटे जाएंगे। इसकी तैयारी शुरू हो गई है। सिक्स लेन निर्माण में बाधक बिजली के खंभे और ट्रांसफॉर्मर को भी शिफ्ट किया जाना है। इसकी प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। सिक्स लेन निर्माण का ठेका लेने वाली एजेंसी ने पेड़ों की गिनती का काम पूरा कर दिया है। अगले महीने से कटाई और पोल शिफ्टिंग का काम होगा। दोनों लेन साढ़े 12-12 मीटर चौड़ी रहेंगी। 55 किलोमीटर का सफर 35 से 40 मिनट में पूरा हो सकेगा। अभी 60 से 70 मिनट लगते हैं। अफसरों के मुताबिक सिक्स लेन रोड के लिए बाधक 3000 पेड़ काटे जाएंगे। इन्हें एमपीआरडीसी ने ही लगाया था। सडक़ चौड़ीकरण के बाद नए सिरे से पौधारोपण होगा। मामले में संबंधित कलेक्टरों के जरिए पेड़ काटने और पोल शिफ्टिंग की अनुमति मांगी गई है। सिक्स लेन की लंबाई 46 किमी रहेगी। इसे तीन हिस्सों में बनाया जाएगा। पहला चरण 14 किमी का रहेगा। बाद में 16-16 किमी की सडक़ बनेंगी।
भोपाल की 14 सडक़ों के लिए 119 करोड़
भोपाल शहर की ऐसी 14 सडक़ों का चयन किया गया है। इनमें से एक सडक़ 4.90 किमी की पत्रकार भवन से बिरला मंदिर, विधानसभा, मंत्रालय, सतपुड़ा व विन्ध्याचल के सामने से होते हुए भोपाल हाट बाजार तथा ठंडी सडक़, व्यापम चौराहा फोरलेन मार्ग तक आती है। इसके लिए पीडब्ल्यूडी ने 19 करोड़ रुपए से अधिक का टेंडर जारी किया है। यह महज एक नमूना है, इस तरह की और भी सडक़ है। ऐसी सभी 14 सडक़ों के लिए 119 करोड़ रुपए खर्चों होंगे। ऐसा नहीं है कि अकेले भोपाल की चुनिंदा सडक़ोंं को व्हाइट टॉपिंग टापिंग कराया जाएगा, बल्कि प्रदेश की अन्य सडक़ों की भी यहीं स्थिति है। पीडब्ल्यूडी ने खराब सडक़ों की अपेक्षा बेहतर सडक़ों पर ही नया निर्माण कराने के नाम पर शासन को करोड़ों का चूना लगाने की तैयारी कर ली है।
मेंटेनेंस कराने पर 600-800 करोड़ खर्च की संभावना
प्रदेश में बारिश के दौरान काफी सडक़ों की स्थिति खराब हो गई है। इन सडक़ों पर जगह-जगह बड़े- बड़े गड्ढे हो गए हैं। इनमें से हालांकि ज्यादातर सडक़ों के लिए पीडब्ल्यूडी ने मेंटनेंस के लिए करीब 400 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। कुछ इंजीनियरों ने तो मेंटनेंस के बगैर कागजों में मेंटनेंस कर दिया, अब उन्हें नोटिस देकर कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। इनका मेंटेनेंस कराने पर 600-800 करोड़ रुपए खर्च होने की संभावना है। पीडब्ल्यूडी ने प्रदेश में ऐसी 55 सडक़ों की व्हाइट टॉपिंग यानि सीमेंट कांक्रीट से निर्मित कराने का प्लान बनाया है। विशेषज्ञ कहते हैं कि व्हाइट टॉपिंग जर्जर व खराब सडक़ होने से सरकार को साल दर साल अतिरिक्त राशि खर्च नहीं करना पड़ेगा। सडक़ भी अच्छी हो जाएगी। अभी बहुतायद सडक़ें ऐसी हैं, जो काफी खस्ताहाल है। अकेले भोपाल शहरों में ही ऐसी कई सडक़े हैं, पर प्लान अच्छी सडक़ों का बना है। तर्क यह भी है कि व्हाइट टॉपिंग के लिए सडक़ का बेस होना जरूरी है। पीडब्ल्यूडी के ही एक सीनियर इंजीनियर नाम न देने की शर्त पर कहते हैं कि जर्जर सडक़ का बेस भी तो अच्छा है, उस पर करोड़ों रुपए खर्च करके सडक़ बनाई गई है। पर यह प्लान समझ से परे हो गया है कि जो सडक़ चकाचक है, उस पर व्हाइट टॉपिंग करके अच्छी बनाया जाए।