केन्द्र से मदद बंद हुई तो राज्य सरकार ने योजना पर लगाया ताला

 राज्य सरकार


भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में वैसे तो किसानों की योजनाओं में अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक अनुदान दिया जाता है, लेकिन अब खाली खजाने की वजह से किसानों की योजनाओं पर भी प्रदेश सरकार द्वारा कैंची चलाई जाने लगी है। यही वजह है कि अब प्रदेश में किसानों के हित की संचालित कई योजनाएं धीरे-धीरे बंद की जा रही हैं। इनमें बीजोपचार और मुफ्त में दी जाने वाली कीटनाशक दवाओं की योजना भी शामिल है। इन्हीं बंद होने वाली योजनाओं में से एक है बीज उपचार की योजना।
इस योजना में केन्द्र सरकार से मदद मिलनी बंद हुई तो प्रदेश सरकार ने उस पर ताला ही लगा दिया। इसके साथ ही सरकार ने निशुल्क में कल्चर और थाइरम जैसी कीटनाशक दवाएं उपलब्ध कराना भी बंद कर दिया है। इसके तहत किसानों को बीज उपचार के लिए निशुल्क कल्चर और थाइरम जैसी कीटनाशक दवाएं प्रदान की जाती थीं। इन कीटनाशक दवाओं का उपयोग किसानों द्वारा फसल उत्पादन में वृद्धि के लिए चूहा नियंत्रण और निंदाई नियंत्रण में किया जाता था। यह सामग्री किसानों को मार्केटिंग सोसायटी के माध्यम से निशुल्क उपलब्ध कराई जाती थी लेकिन पिछले 2 साल से किसानों को न तो कीटनाशक मिला है और न ही अन्य तरह की दवाएं। इस वजह से अब किसानों को अपने पैसे से ही बीज उपचार और फसल उपचार करना पड़ रहा है।
फसल उपचार का रकबा गिरा
सरकार ने वर्ष 2016-17 में 30.46 लाख हेक्टेयर में फसल उपचार कराया था जो धीरे-धीरे घटकर 26.78 लाख हेक्टेयर रह गया है। यही स्थिति चूहा नियंत्रण और निंदाई नियंत्रण की है। वर्तमान में चूहा नियंत्रण 20.75 लाख हेक्टेयर और निंदाई नियंत्रण 16.82 लाख हेक्टेयर रह गया है। जो कि 27 और 30 लाख हेक्टेयर में हुआ करता था।
कृषि विभाग का तर्क
सरकार द्वारा अब प्रदेश के किसानों को सर्टिफाइड बीज उपलब्ध कराया जा रहा है, जिसकी वजह से अब इन योजनाओं का कोई महत्व नहीं रह गया है। पहले जरूर किसानों को इससे फायदा मिलता था। किसान अब अपने तरीके से बीज उपचार और फसल उपचार करने लगे हैं। अब इनसे कोई फर्क नहीं पड़ता।
साल दर साल इस तरह आई कमी
वर्ष बीज उपचार
2016-17 140.78
2017-18 130.74
2018-19 131.31
2019-20 136.10
2020-21 101.06
स्रोत- कृषि विभाग
रकबा लाख हेक्टेयर में

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