भाजपा घर-घर पहुंचने लगी तो कांग्रेस भगदड़ में उलझी

मप्र में मिशन 29 का घमासान

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। लोकसभा चुनावों का बिगुल बज चुका है। मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों के लिए चार चरणों में चुनाव होंगे। चुनाव आयोग, प्रशासन के साथ पार्टियों ने भी तैयारियां तेज कर दी है। चुनावी तैयारी में भाजपा सभी पार्टियों से काफी आगे है। कांग्रेस की बात करें तो वह पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की भगदड़ में उलझी हुई है। जहां भाजपा ने प्रदेश की सभी सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है, वहीं कांग्रेस को अभी 18 सीटों पर प्रत्याशियों का चयन करना बाकी है।
गौरतलब है कि मप्र में भाजपा प्रदेश की सभी 29 सीटों को जीतने का दावा कर रही है। पार्टी प्रत्याशियों की घोषणा कर मैदानी मोर्चा संभाल चुकी है। वहीं कांग्रेस पार्टी में मची भगदड़ रोकने और अपने प्रत्याशियों को तलाशने ही व्यस्त दिख रही है। वहीं समाजवादी पार्टी को कांग्रेस ने एक सीट दी है, जहां सपा की कोई तैयारी फिलहाल नजर नहीं आ रही। लोकसभा चुनाव में भाजपा पिछले एक दशक से कांग्रेस से काफी आगे रही है। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 29 में से 27 सीटों पर विजय हासिल की थी। कांग्रेस केवल छिंदवाड़ा और झाबुआ सीट ही बचा पाई थी। वहीं 2019 में हुए चुनावों में भाजपा ने 28 सीटें जीती थी और कांग्रेस को महज एक सीट पर समेट दिया था। इस चुनाव में मोदी लहर के चलते कांग्रेस के उस समय दिग्गज नेता माने जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अपनी परम्परागत सीट गुना से एक लाख से अधिक मतों से चुनाव हार गए थे। केवल छिंदवाड़ा सीट पर ही कांग्रेस को विजय मिल पाई थी ,पर यहां भी जीत का अंतर घटकर महज 37 हजार का हो गया था। इस बार भाजपा मिशन 29 के लक्ष्य को लेकर चल रही है। यही वजह है कि उसने समय से पूर्व ही अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं।
18 सीटों के लिए कल मंथन
प्रदेश की सभी 29 सीटों पर जहां भाजपा के प्रत्याशी चुनाव प्रचार में जुट गए हैं, वहीं दिल्ली में 18 मार्च को कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होगी। जिसमें लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी पर मंथन होगा। मप्र में बचे हुए 18 सीटों पर ऐलान हो सकता है। सीईसी की मीटिंग के बाद उम्मीदवारों के नामों पर अंतिम मुहर लगेगी। मप्र में अब तक कांग्रेस ने 10 कैंडिडेट का ऐलान किया है। प्रदेश में कांग्रेस 28 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इंडी गठबंधन के तहत खजुराहो लोकसभा सीट पर समाजवादी पार्टी इलेक्शन लड़ेगी। कांग्रेस मध्य प्रदेश के खंडवा, गुना, राजगढ़, झाबुआ में चौकाने वाले उम्मीदवार उतार सकती है। कई जगह कहा जा रहा है कि भाजपा को टक्कर देने वाले प्रत्याशी नहीं मिल रहे हैं। कहीं दावेदार ही आगे नहीं आ रहे। हालांकि कांग्रेस का कहना है कि पार्टी की तैयारियां चल रही हैं। पार्टी की ओर से नाम तय हो गए हैं, उनके ऐलान के लिए सही समय का इंतजार किया जा रहा है। पार्टी के बड़े नेता ही नजर नहीं आ रहे। कमलनाथ छिंदवाड़ा तक सीमित हो गए हैं। दिग्विजय सिंह बीते कुछ दिनों से नजर नहीं आ रहे हैं। जीतू पटवारी पार्टी को एक करने में व्यस्त हैं। कुल मिलाकर कांग्रेस बिखरी हुई है और लोकसभा चुनाव को लेकर फिलहाल मैदान में नजर नहीं आ रही।
भाजपा का 50-50 फॉर्मूला
मिशन 29 के तहत भाजपा ने प्रत्याशी चयन में 50-50 का फॉर्मूला अपनाया है। यानी आधी सीटों पर नए और आधी पर पुराने चेहरों पर दांव लगाया है। दरअसल, भाजपा इस बार काफी सधे हुए कदमों के साथ आगे बढ़ रही है। विधानसभा चुनाव में उसने जिस तरह चौंकाने वाले फैसले लिए थे ,उसके उलट लोकसभा चुनाव में कोई चौंकाने वाला बड़ा नाम नहीं दिया है। 29 सीटों पर जिन नेताओं को उतारा है वे पार्टी का जाना पहचाना चेहरा हैं। उसने 14 सीटों पर नए चेहरे उतारे हैं। इनमें भी पांच सीटें वे है जहां के सांसद विधानसभा चुनाव जीत कर पहले ही सांसदी से इस्तीफा दे चुके हैं। वहीं 15 सांसदों पर फिर से भरोसा जताया है। इसमें दो सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते और गणेश सिंह ऐसे नाम है जो विधानसभा चुनाव हार गए थे, पर उन्हें लोकसभा चुनाव में फिर मौका दिया गया है। कांग्रेस ने छिदवाड़ा, सतना, सीधी, धार, खरगौन, मंडला, टीकमगढ़, देवास, भिंड और बैतूल सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। इनमें पहले चरण में सीधी, शहडोल, जबलपुर मंडला, बालाघाट और छिंदवाड़ा में 19 अप्रेल को मतदान होना है। इन छह सीटों पर चार दिन बाद नामांकन भरने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इनमें जबलपुर, शहडोल और बालाघाट में कांग्रेस अभी प्रत्याशियों का ऐलान नहीं कर पाई है। फिलहाल पतझड़ से परेशान है कांग्रेस विधानसभा चुनाव में मिली अप्रत्याशित हार से कांग्रेस के बाद कांग्रेस में मानो पतझड़ का मौसम शुरू हो गया है। कांग्रेस के सुरेश पचौरी, अंतर सिंह आर्य, संजय शुक्ला, विशाल पटेल, अरुणोदय चौबे समेत कई बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। भाजपा का दावा है कि वह तीन महीनों में कांग्रेस के छह हजार नेता-कार्यकर्ताओं को भाजपा में शामिल करा चुकी है। इनमें कई नेता ऐसे भी थे जिन पर पार्टी लोकसभा चुनाव में दांव लगाने की सोच रही थी पर इन नेताओं के पार्टी छोड़ने के बाद उसे प्रत्याशी चयन पर नए सिरे से विचार करना पड़ रहा है।

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