वाट्सएप बेस्ड असेसमेंट ने खोली स्कूली शिक्षा की पोल

वाट्सएप बेस्ड असेसमेंट

भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। 41 हजार करोड़ के बजट वाले स्कूल शिक्षा विभाग का दावा है कि कोरोना के कारण स्कूल नहीं खुलने पर बच्चों की आनलाइन, मोहल्ला क्लास समेत अन्य माध्यमों से पढ़ाई करवाई जा रही है। लेकिन वाट्सएप बेस्ड असेसमेंट ने स्कूली शिक्षा की पोल खोल दी है। असेसमेंट में प्रदेश के स्कूली शिक्षा विभाग में पढ़ाई की बेहद शर्मनाक स्थिति सामने आई है। सरकारी प्रायमरी व मिडिल स्कूलों में दो लाख शिक्षक सिर्फ बीस फीसदी बच्चों को ही पढ़ा पाए हैं। यानी 63 लाख में से मात्र 13 लाख बच्चे ही आॅनलाइन पढ़ाई कर पा रहे हैं।
दरअसल, प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा रश्मि शमी के निर्देश पर स्कूली पढ़ाई का असेसमेंट कराया गया। वाट्सएप बेस्ड असेसमेंट में यह तथ्य सामने आया कि प्रदेश के सरकारी प्रामयरी व मिडिल स्कूलों में सत्र 2021-22 में 62 लाख 89 हजार 46 बच्चों का नामांकन हुआ है। इनमें से सिर्फ 13 लाख 15 हजार 694 बच्चे आॅनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। गौरतलब है कि नेशनल अचीवमेंट सर्वे प्रदेश में 12 नवंबर को होना है। पिछले बार वर्ष 2017 में हुए सर्वे में मप्र का पूरे देश में 17वां स्थान था। सर्वे में कक्षा तीसरी कक्षा पांचवी व कक्षा आठवीं के विद्यार्थियों का टेस्ट लिया जाएगा।
इस तरह सामने आई हकीकत
प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा रश्मि शमी के निर्देश पर बच्चों की पढ़ाई के आंकलन के लिए वाट्सएप बेस्ड असेसमेंट शुरू किया गया। इसके तहत प्रति सप्ताह पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों को उनकी क्षमता अनुसार वाट्सएप पर पंद्रह प्रश्न दिए जाते है। इन प्रश्नों को शिक्षकों को बच्चों से हल करवाना है। यह प्रश्न आनलाइन ही हल करना है। जिन बच्चों के पास मोबाइल नहीं है, ऐसे में शिक्षक मोहल्ले में जाकर बच्चों को  एकत्रित कर अपने मोबाइल से प्रश्न हल करवाना है। शिक्षकों को यह काम सात दिन के अंदर करना होता है। लेकिन पिछले एक महीने में सरकारी प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में कार्यरत करीब दो लाख शिक्षक सिर्फ बीस फीसदी बच्चों से प्रश्न हल करवा पाएं है।
शिक्षकों ने नहीं दिखाई रूचि
प्रमुख सचिव रश्मि शमी के निर्देश पर किए गए वाट्सएप बेस्ड असेसमेंट के आंकड़े बताते है कि 11 से 17 सितंबर तक पूरे प्रदेश में 62 लाख 89 हजार विद्यार्थियों में सिर्फ 13 लाख 15 हजार 694 बच्चों का पार्टिसिपेट था। यह संख्या सिर्फ बीस फीसदी है। जबकि इसके पहले के सप्ताह में स्थिति इससे भी ज्यादा खराब थी। इसके पूर्व के सप्ताह में तो 62 लाख में पांच-सात लाख बच्चों से ही शिक्षकों का संपर्क था। जबकि सरकारी स्कूलों में कार्यरत करीब दो लाख शिक्षकों में से हर शिक्षक प्रतिदिन पांच बच्चों से संपर्क करता, तो सप्ताह में इनकी संख्या 35 होती है। इसके हिसाब से यह सप्ताह में पूरे प्रदेश में 70 लाख विद्यार्थियों की संख्या होती है। लेकिन मैदानी स्तर पर शिक्षक बच्चों से संपर्क करने में रूचि ही नहीं ले रहे है।
भोपाल 19वें स्थान पर
वाट्सएफ बेस्ड असेसमेंट के आंकड़ों के अनुसार विभागीय मंत्री इंदर सिंह परमार का जिला पहले नंबर पर बना हुआ है। शाजापुर जिले में 54355 बच्चों का नामांकन है। यहां शिक्षकों के असेसमेंट से 57.3 फीसदी के साथ पहले स्थान पर बना हुआ है। जबकि राजधानी भोपाल 19 वें स्थान पर है। यहां भी फंदा ग्रामीण के कारण पूरे जिले का आंकड़ा बढ़कर 23.2 फीसदी पर पहुंचा है। जिले में फंदा ग्रामीण में 49 फीसदी बच्चों का असेसमेंट किया है। जबकि बैरसिया में 15.4 फीसदी व फंदा अर्बन में मात्र 13.5 फीसदी बच्चों का असेसमेंट किया गया है। फंदा अर्बन की स्थिति प्रदेश के 320 ब्लाक में 240 वें नंबर पर है। सबसे खराब जिले रीवा, खरगौन, गुना, टीकमगढ़, अशोकनगर, सिंगरौली, रायसेन, निवाड़ी व रतलाम की है। इन जिलों में मात्र 12 फीसदी बच्चों से शिक्षक संपर्क कर असेसमेंट कर सके है।

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