बाघ भ्रमण क्षेत्र में निजी जमीन के .. लिए निकाल रहे रास्ता

बाघ भ्रमण क्षेत्र
  • अधिकारियों की भर्राशाही की शिकायत पहुंची प्रधानमंत्री कार्यालय

भोपाल/हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में लगातार बाघ सहित अन्य वन प्राणियों के शिकार के मामले बढ़ रहे हैं। इस कारण बाघ भ्रमण क्षेत्र में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है। लेकिन सरकार की नाक के नीचे राजधानी में ही बाघ भ्रमण क्षेत्र में निजी जमीन के लिए रास्ता निकालने की कवायद चल रही है। वन अधिकारियों की मनमानी को देखते हुए इसकी शिकायत अब प्रधानमंत्री कार्यालय को की गई है।
जानकारी के अनुसार केरवा के सामने चंदनपुरा के जंगलों में निजी खसरा नंबर 81/1 की भूमि पर जाने के लिए जिस रास्ते को तय किया जा रहा है, वास्तव में वह रास्ता प्रतिबंधित श्रेणी में है। इसे गेट लगाकर बंद किया हुआ है। गेट पर स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि ये बाघ भ्रमण क्षेत्र है यहां वन में बाघ हैं। प्रवेश प्रतिबंधित है। बावजूद इसके यहां वन, प्रशासन से लेकर सभी विभागों के जिम्मेदारों ने निजी जमीन पर जाने के लिए राह निकालने की कवायद कर ली है। गौरतलब है कि निजी जमीन को राह देने 0.720 हेक्टेयर समर्धा की वन भूमि का उपयोग किया जा रहा है। यानी निजी जमीन के लिए रास्ता देने वन भूमि को खत्म किया जा रहा है।
जंगल में खलल बढ़ जाएगा
वनभूमि पर नियमानुसार कब्जे की कोशिश है और यदि जिम्मेदार मौन रहे तो ये कोशिश कामयाब हो जाएगी। जिस गेट से अभी जाने में वन विभाग के अफसरों को भी अनुमति लेना पड़ती है वहां आम आवाजाही शुरू होने के साथ ही जंगल में खलल बढ़ जाएगा। रास्ते को गेट पार करते ही दोनों और से बांगड से रोक दिया जाएगा। कलियासोत से केरवा और आगे तक शहर किनारे करीब सात हजार हेक्टेयर जंगल में से एक हजार हेक्टेयर पीएसपी लैंडयूज के तहत अर्द्ध सार्वजनिक उपयोग के निर्माणों में खत्म हो गया। अब भी छह हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र बचा हुआ है। यहां बाघ के लिए बेहतर स्थितियां है। यदि इसे संरक्षित कर लिया तो भोपाल का ये जंगल देशभर में बाघों को रहने के लिए एक उदाहरण बन सकता है।
बाघ भ्रमण क्षेत्र में निजी निर्माण जोरों पर
शहर से लगे बाघ भ्रमण क्षेत्र में निजी निर्माण बड़ी संख्या में हो रहे हैं। केरवा व कलियासोत से लगे क्षेत्रों में लोगों ने मनमर्जी से निर्माण कर लिए। डैम से लगे रोड किनारे ही मत्स्य पालन से लेकर फार्म हाउस और इसी तरह की गतिविधियों का केंद्र बना दिया है। ये इस क्षेत्र के लिए ठीक नहीं है। कैरवा डैम मेन रोड से ग्राम चंदनपुरा के खसरा क्रमांक 81/1 तक मार्ग निर्माण के लिए वन मंडल भोपाल के परक्षेत्र समर्धा की 0.720 हेक्टेयर वन भूमि भू-स्वामी को उपयोग के लिए दी जा रही है। वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत व्यपवर्तन में तय शर्तों के आधार पर इसकी वन विभाग की ओर से ही अनुशंसा की गई। शहरी आवास एवं विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह का कहना है कि बाघ भ्रमण क्षेत्र की स्थितियों को लेकर संबंधित अफसरों से पूछताछ की जा रही है। गड़बड़ी होने पर कार्रवाई करेंगे। तालाब और वन्य क्षेत्र को नुकसान नहीं होने दिया जाएगा।
पीएमओ में मामला दर्ज
बाघ भ्रमण क्षेत्र चंदनपुरा में निजी जमीन के लिए वन भूमि से रास्ता निकालने की कवायद की शिकायत वनक्षेत्र के लिए काम करने वाले राशिद नूर खान ने दस्तावेजों के साथ की थी। पीएमओ से राशिदनूर को जवाब पत्र आया है। इसमें बताया गया है कि मामला दर्ज कर लिया है। यथोचित कार्रवाई के लिए आगे बढ़ाया गया है। आगे कार्रवाई से शिकायतकर्ता को अवगत कराया जाएगा। दरअसल, जिस निजी जमीन के लिए रास्ता बनाने वनभूमि का उपयोग किया जा रहा, वह वन क्षेत्र की ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इसका रास्ता केरवा डैम के पास से बनाया हुआ है। इस रास्ते को बकायदा गेट लगाकर बंद किया हुआ है। गेट पर बाघ भ्रमण क्षेत्र व प्रतिबंधित मार्ग लिखा हुआ है। बावजूद इसके वनक्षेत्र से रास्ता निकालने की अनुमति दी जा रही है। इसका सीधा नुकसान वनक्षेत्र कम होने व वन्य प्राणियों पर पड़ेगा।

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