
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। केन्द्रीय बजट में प्रदेश की अति महत्वाकांक्षी केन-बेतवा परियोजना के लिए इस बार 3500 करोड़ रुपए का प्रावधान किए जाने से सूबे के सूखा प्रभावित नौ जिलों में पानी कि किल्लत दूर होने का रास्ता खुल गया है। बुंदेलखंड अंचल के इन जिलों को बीते आठारह सालों से इस पर काम शुरु होने का इंतजार था, जो अब समाप्त होने जा रहा है। माना जा रहा है कि इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इस परियोजना का शुभारंभ कर दिया जाएगा। यही वजह है कि इसमें आ रहीं बाधाओं को तेजी से दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके तहत पन्ना-छतरपुर की 5,480 हेक्टेयर गैर-वन सरकारी जमीन हस्तांरित करने की औपचारिकताएं पूरी की जा चुकी हैं।
राज्य सरकार नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य को प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत लाने की अनुमति पहले ही दे चुकी है। बताया जा रहा है कि इस परियोजना की लागत 46 हजार करोड़ रुपए है। जिसमें से 1100 करोड़ रुपए केंद्र सरकार इस वित्त वर्ष में दे चुकी है, जबकि नए वित्त वर्ष के लिए भी 35 सौ करोड़ रुपए का प्रावधान किया जा चुका है। इस परियोजना से सबसे ज्यादा फायदा बुंदेलखंड क्षेत्र के तहत आने वाले मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के 13 जिलों को होगा , जिसमें मप्र के पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन सहित नौ जिले आते हैं। केद्र सरकार ने नदियों को जोडऩे के लिए नेशनल पर्सपेक्टिव प्लान बनाया था। केन-बेतवा लिंक परियोजना प्लान का पहला प्रोजेक्ट है। केन नदी का पानी बेतवा नदी में ट्रांसफर किया जाएगा। दोनों नदियों को जोड़ने के लिए 221 किलोमीटर लंबी केन-बेतवा लिंक नहर बनाई जाएगी। केन-बेतवा इंटरलिंक प्रोजेक्ट की मदद से बुंदेलखंड में सिंचाई व पीने के पानी की कमी दूर हो सकेगी।
8500 करोड़ की मिलेगी विशेष पूंजीगत सहायता
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्य सरकारों के लिए भी बड़ी घोषणा की है। इसके तहत केंद्र सरकार ने राज्यों को 50 साल का ब्याज मुक्त कर्ज एक और साल के लिए बढ़ाया। शिवराज सरकार अब इस योजना के तहत विशेष पूंजीगत सहायता फंड से 8500 करोड़ रुपए देने के लिए प्रस्ताव भेज रही है। यह राशि रोजगार मूलक निर्माण कार्यों के लिए दी जाती है। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कोरोना के बाद अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए केंद्र सरकार ने विशेष पूंजीगत सहायता योजना शुरू की थी। मध्यप्रदेश को 2020-21 में 1,320 करोड़ रुपये प्राप्त हुए और 2022-23 में 6,280 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए। मौजूदा वित्तीय वर्ष में इसे रिवाइज कर 7500 करोड़ कर दिया गया था। इसमें से 3,140 करोड़ मिल चुके हैं।
7 मेडिकल कॉलेजों में खुलेंगे नर्सिंग कॉलेज
केंद्रीय बजट में मध्य प्रदेश को 7 नर्सिंग कॉलेज मिले हैं। वित्त मंत्री ने 2014 से स्थापित मौजूदा 157 मेडिकल कॉलेजों के साथ कोलोकेशन में 157 नए नर्सिंग कॉलेजों को स्थापित करने की घोषणा की। मप्र में इस अवधि के बाद प्रदेश में सात मेडिकल कालेज खुले हैं। इनमें खंडवा, दतिया, विदिशा, शहडोल, रतलाम, छिंदवाड़ा और शिवपुरी शामिल हैं। नर्सिंग कॉलेज खुलने से यहां बीएससी नर्सिंग और एमएससी नर्सिंग सब्जेक्ट शुरू हो सकेंगे। केंद्रीय करों के माध्यम से राजस्व संग्रहण में वृद्धि का सीधा लाभ भी हो रहा है। इस वर्ष 10 हजार 437 करोड़ रुपये अधिक मिल रहे हैं। इस राशि का उपयोग सरकार अपनी प्राथमिकता के अनुसार कर सकती है। विकास परियोजनाओं को पूरा करने के लिए निर्माण विभागों को अतिरिक्त राशि तृतीय अनुपूरक बजट में उपलब्ध कराना प्रस्तावित है। इसके लिए विभागों से प्रस्ताव मांगे गए हैं। वहीं, विशेष पूंजीगत सहायता में प्राप्त होने वाले एक हजार 220 करोड़ रुपये का उपयोग सिंचाई, ऊर्जा सहित अन्य योजनाओं की गति बढ़ाने के लिए किया जाएगा।
पीएम आवास में भी मिलेगी अधिक राशि
सूत्रों का कहना है कि आगामी बजट में प्रधानमंत्री शहरी एवं ग्रामीण आवास योजना का बजट प्रविधान बढ़ाया जाएगा। वर्तमान वित्तीय वर्ष में दस हजार करोड़ रुपये का प्रविधान रखा गया है। योजना में प्रदेश का प्रदर्शन अच्छा रहा है, इसलिए संभावना है कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के लिए अतिरिक्त राशि प्राप्त होगी। केंद्र सरकार ने योजना के लिए 79 हजार 590 करोड़ रुपये का बजट रखा है। इसी तरह जल जीवन मिशन का बजट छह हजार 300 करोड़ रुपये से बढ़ाया जाएगा। सरकार का लक्ष्य है कि सितंबर तक अधिकतर जिलों में नल जल परियोजनाओं का काम पूरा हो जाए।
बीते माह हो चुकी है बैठक
बीते माह 18 जनवरी को केन-बेतवा लिंक परियोजना की संचालन समिति की तीसरी बैठक दिल्ली में जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के सचिव की अध्यक्षता में हुई थी, जिसमें मध्यप्रदेश के नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य और उत्तरप्रदेश के रानी दुर्गावती वन्यजीव अभयारण्य को राज्य सरकारों ने प्रोजेक्ट टाइगर के अंर्तगत लाने की अनुमति दी थी। जानकारी के मुताबिक पुर्नवास और पुर्नस्थापन योजना को पारदर्शी और समय पर पूरा करने की देखरेख करने के लिए पुर्नवास व पुर्नस्थापन समिति के गठन के प्रस्ताव को बैठक के दौरान अंतिम रूप दिया गया। परियोजना के भू-भाग प्रबंधन योजना और पर्यावरण प्रबंधन योजना के क्रियान्वयन के लिए एक वृहद पन्ना भू-भाग परिषद का भी गठन किया जा रहा है।
दोनों राज्यों व केंद्र के बीच यह समझौता हुआ
केन-बेतवा लिंक परियोजना दो राज्यों मप्र और उप्र का संयुक्त प्रोजेक्ट है। संयुक्त परियोजना होने के कारण दोनों राज्यों के बीच पानी के बंटवारे का भी प्लान तैयार किया गया है। इसमें हर साल नवंबर से अप्रैल महीने के बीच (नॉन मानसून सीजन) में उप्र को 750 एमसीएम तो वहीं मप्र को 1834 एमसीएम पानी मिलेगा। इन सभी बिंदुओं पर दोनों राज्य सरकारों का केंद्र सरकार के साथ समझौता किया गया है। इसी समझौते को एमओए कहा जा रहा है।