जलसंसाधन ने नहीं चुकाया 33,79 करोड़ का बिजली बिल

जलसंसाधन
  • एसीएस मंडलोई ने लिखा पत्र

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के जलसंसाधन विभाग ने 33.79 करोड़ के बिजली बिल का भुगतान नहीं किया है। इसके लिए विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा कई बार विभागीय अधिकारियों को पत्र लिखे गए, लेकिन बकाया राशि जमा नहीं हो सकी। बकाया राशि के लिए अब ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव नीरज मंडलोई ने सिंचाई विभाग के एसीएस डॉ. राजेश राजौरा को पत्र लिखा है, जिसमें कंपनियों की बिजली बिल की बकाया राशि का भुगतान कराने का आग्रह किया गया है।
ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव नीरज मंडलोई ने सिंचाई विभाग के एसीएस डॉ. राजेश राजौरा को पत्र में कहा कि समय पर बिल नहीं चुकाने पर आरडीएसएस में केन्द्र से मिलने वाला अनुदान ऋण में बदल जाएगा। प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों के जल संसाधन विभाग पर 33.79 करोड़ का बकाया है। इसमें सबसे ज्यादा 16.29 करोड़ की राशि पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी क्षेत्र का है। जिसके राजगढ़ जिले से जल संसाधन विभाग को सबसे ज्यादा 4.55 करोड़ रुपए का भुगतान करना है। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में 16 जिलों में 11.41 करोड़ की राशि भुगतान हेतु लंबित है। जबकि पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अधीनिस्थ आने वाले 15 जिलों में करोड़ के बिल की बकाया राशि लंबित है। एसीएस ने पत्र में बताया कि बिजली कंपनियों द्वारा जल संसाधन विभाग के दफ्तर व अन्य जल संरचनाओं के लिए विद्युत प्रवाह उपलब्ध कराने कनेक्शन दिए है। जहां समय पर बिल का भुगतान नहीं होने से बकाया राशि लगातार बढ़ती जा रही है। नियमित राशि का भुगतान नहीं होने से बकाया मई 2025 की स्थिति में बढक़र 33.79 लाख रुपए तक पहुंच गया है। एसीएस ने पत्र में स्पष्ट किया है कि केन्द्र सरकार द्वारा बिजली लाइन लॉस कम करने के लिए रिवेम्पड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर योजना (आरडीएसएस) के तहत 60 फीसदी अनुदान दिया जा रहा है।
लोन में कन्वर्ट कर दी राशि
इस योजना में प्रावधान है कि सभी सरकारी विभागों और संबद्ध कार्यालयों व स्थानीय निकायों से बिजली बिल वितरण कंपनियों को भुगतना कराया जाए। यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो केन्द्र सरकार से आरडीएसएस के तहत मिलने वाली अनुदान की राशि को लोन में कन्वर्ट कर दिया जाएगा। जिसका सीधा असर बिजली कंपनियों के अधोसंरचना विकास और कॉर्मेशियल साल्वेंसी पर पड़ सकता है। मंडलोई ने पत्र में लिखा कि बिजली बिल का भुगतान नहीं होने की वजह से बिजली जनरेट करने वालों को भी समय पर भुगतान करने की समस्या उत्पन्न होगी। इससे कोयला उपलब्ध कराने की वाली कंपनियां भी प्रभावित होगी, जिससे प्रदेश में बिजली की सप्लाई व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।

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