
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। अखिल भारतीय वन सेवा के एपीसीसीएफ रैंक के अफसर मोहन लाल मीणा की कार्यशैली से सरकार बेहद नाराज है। यही वजह है कि उनको मैदानी पदस्थापना से हटाकर अब वन मुख्यालय में पदस्थ कर दिया गया है। नई पदस्थापना में उन्हें कोई काम नहीं दिया गया है। इसके साथ ही उनके खिलाफ जांच शुरू कर दी गई। इस जांच की सात दिनों के अंदर रिपोर्ट देने के निर्देश विभाग के प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल ने दिए हैं।
माना जा रहा है कि यह रिपोर्ट मिलते ही मीणा को निलंबित कर दिया जाएगा। खास बात यह है कि मीणा के खिलाफ अपने ही अधीनस्थ अफसर से पैसा लेने की पुष्टि पहले ही हो चुकी है। अब उनके खिलाफ अधीनस्थ महिला कर्मचारियों के उत्पीड़न के मामलों की जांच कराई जा रही है। इस जांच का जिम्मा दो एपीसीसीएफ रैंक की महिला अफसरों को दिया गया है। गौरतलब है कि पहले इस जांच का जिम्मा डॉ. समिता राजौरा को दिया गया था , लेकिन उनके मीणा के बैच का होने की वजह से उनसे जांच का अधिकार लेकर बिन्दु शर्मा और अर्चना शुक्ला को दे दिया गया। गौरतलब है कि मीणा का प्रशिक्षु रेंजर से बातचीत का एक आॅडियो 19 मई को वायरल हुआ था, जिसमें बच्चों की फीस के लिए 30 हजार रुपये बैंक खाते में जमा करने को कहा जा रहा है।
प्रशिक्षु रेंजर ने 24 फरवरी 2021 को पंजाब नेशनल बैंक मुलताई में संचालित एक खाते में राशि जमा कराई, जिसकी जमा पर्ची भी बाहर आ गई। मामले की जांच के लिए गठित दल में एपीसीसीएफ विभाष ठाकुर और शुभरंजन सेन थे। उन्होंने बैतूल जाकर प्रशिक्षु रेंजर सहित 10 कर्मचारियों और मीणा के बयान लिए। जहां मीणा ने स्वीकार किया कि जिस खाते में राशि जमा हुई है, वह उनके बेटे का है। इस दौरान राशि मांगने के और तीन आॅडियो वायरल हो गए। बताया जाता है कि मीणा इसी तरह के बहाने से अधीनस्थ कर्मचारियों व अधिकारियों से पैसे की वसूली करने की शोहरत रखते हैं।
इस बीच अधीनस्थ चार महिला कर्मचारियों ने भी प्रताड़ना के लिखित आरोप लगाए है। इसके बाद जांच दल ने महिला प्रताड़ना मामलों की अलग से जांच कराने की अनुशंसा की थी। इसके बाद ही इन मामलों की जांच अलग से कराई जा रही है। बताया जा रहा है कि उन्हें मुख्यालय में पदस्थ किए जाने के बाद काम न देने की वजह भी इस रिपोर्ट का इंतजार है। माना जा रहा है कि जैसे ही जांच रिपोर्ट आएगी उसके बाद उनके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की जा सकती है।