तबादलों के लिए फिर बढ़ सकता है इंतजार, समय सीमा में हो सकती है वृद्धि

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भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में तबादलों को लेकर अब भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इसकी वजह है एक बार अवधि बढ़ाई जाने के बाद भी अब तक प्रदेश के तामाम विभागों की सूचियों का जारी नहीं हो पाना। हालत यह है कि तबादलों पर से प्रतिबंध हटे एक माह से अधिक का समय हो चुका है, लेकिन अधिकांश विभाग अब तक तबादला सूचियों को जारी नहीं कर सके हैं। इतने समय बाद अब भी कई विभाग ऐसे हैं, जिनमें अब भी सूचियों को तैयार करने या फिर उनमें संशोधन करने का काम जारी है। पहले तय की गई तबादलों की एक माह की समय सीमा के बाद देरी को देखते हुए एक सप्ताह का समय और बढ़ाया गया था, लेकिन इसके बाद भी अगर उच्च शिक्षा, वन और वाणिज्यक कर विभाग के तहत आने वाले महकमों को छोड़ दिया जाए तो अब तक अधिकांश विभाग इस मामले में फिसड्डी बने हुए हैं।
अब तबादलों की समयसीमा समाप्त होने में महज दो दिन का समय ही बचा हुआ है, ऐसे में सभी विभागों की सूचियां निकलना असंभव माना जा रहा है। इसकी भी कई वजहें हैं। प्रदेश में इन दिनों बाढ़ के हालात तो बने ही हुए हैं, साथ ही चार दिन बाद विधानसभा का मानसून सत्र भी शुरू होने वाला है। यही नहीं सात अगस्त को प्रदेश में अन्न उत्सव का भी आयोजन किया जा रहा है, जिसमें सभी मंत्रियों के अलावा जनप्रतिनिधियों को भी शामिल होने के निर्देश दिए गए हैं। परंपरा के अनुसार सत्र के दौरान अगर बेहद आवश्क नहीं होता है तो सरकार द्वारा तबादले नहीं किए जाते हैं। इन हालातों की वजह से माना जा रहा है कि अब सरकार एक बार फिर से तबादलों की समय सीमा में वृद्धि कर सकती है। उल्लेखनीय है कि एक से 30 जुलाई तक तबादलों से रोक हटाई थी जिसे बाद में सात अगस्त तक बढ़ाया गया था। इस मामले में प्रदेश में करीब सवा महीने से मशक्कत की जा रही है, लेकिन कई स्तर से सिफारिश लगा चुके कर्मचारियों का सूची जारी होने का इंतजार समाप्त ही नहीं हो रहा है।
नई नीति में यह है प्रावधान
प्रदेश सरकार द्वारा जारी की गई नई तबादला नीति में 200 कर्मचारी वाले कैडर में 20 फीसद, 201 से अधिक दो हजार तक कर्मचारी वाले कैडर में 10 फीसद और दो हजार से ज्यादा कर्मचारी वाले कैडर में अधिकतम पांच फीसद कर्मचारियों के तबादले करने का प्रावधान किया गया है। इससे अधिक तबादले होने पर संबंधित जिम्मेदार अफसर को दोषी माने जाने का भी प्रावधान है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में डेढ़ साल से व्यवस्थित (सभी विभागों में सभी स्तर के कर्मचारियों) तबादले नहीं हुए हैं।
अब शासन-प्रशासन बाढ़ राहत में लगा
ग्वालियर-चंबल संभाग में अतिवृष्टि के कारण आई बाढ़ ने तबाही मचा रखी है। इस अंचल के सैकड़ों गांवों में पानी ने हहाकार मचा रखा है। इसकी वजह से शासन-प्रशासन राहत और बचाव कामों में व्यस्त है। कई मंत्रियों की इस तरह के इलाके में ड्यूटी लगाई गई है तो करीब एक दर्जन जिलों के कलेक्टर-पुलिस अधीक्षक भी इसी काम में पूरी तरह से लगे हुए हैं। इसके अलावा
सात अगस्त को मनाए जाने वाले अन्न उत्सव कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने की वजह से यह दिन पहले यानी कि कल 6 अगस्त को जिले के प्रभारी मंत्रियों को प्रभार वाले जिलों में जाकर प्रेस से बात करने को भी कहा गया है।
15 अगस्त के बाद आईएएस-आईपीएस की हो सकती है सूची जारी
प्रदेश में कलेक्टर-पुलिस अधीक्षक, संभाग आयुक्त एवं आईजी सहित मंत्रालय व अन्य विभागों में पदस्थ आईएएस-आईपीएस अधिकारियों के तबादले भी बड़े स्तर पर किया जाना है। बाढ़, अन्न उत्सव, विधानसभा का सत्र और एक हफ्ते बाद ही 15 अगस्त होने की वजह से माना जा रहा है कि इन सभी के तबादले अब सात अगस्त या फिर 15 अगस्त के बाद किए जा सकते हैं। दरअसल प्रदेश में बाढ़ और अन्न उत्सव ने मैदानी गणित को गड़बड़ा दिया है।
स्कूल शिक्षा विभाग में ऑफलाइन काम
तबादलों के मामलों में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार में तत्कालीन शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी की वजह से बिगड़ा ढांचा भाजपा की सरकार में भी नहीं सुधर सका है। यही वजह है कि स्कूल शिक्षा विभाग में करीब तीन साल पहले तबादला प्रक्रिया  ऑनलाइन की जाने के बाद अब वह महज दिखावे वाली बनकर रह गई है। हालत यह है कि अधिकांश तबादलों का फैसला होने के बाद सिर्फ आदेश ऑनलाइन जारी किए जा रहे हैं। इसकी वजह बताई जा रही है कि तबादलों पर सीधे मंत्री बंगले से निर्णय किया जाना

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