
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। सरकार चाहती है कि चुनाव के पहले प्रदेश के करीब 11 लाख से अधिक किसानों के कर्ज पर बकाया ब्याज को माफ कर दिया जाए , लेकिन करीब पौने तीन लाख से अधिक किसान अब भी ऐसे हैं, जो इस योजना का लाभ लेने आगे ही नहीं आए हैं। अब इन किसानों के आने का सरकार को इंतजार बना हुआ है। दरअसल यह वे किसान हैं, जो कांग्रेेस की कमलनाथ सरकार में कर्ज माफी के इंतजार में डिफाल्टर बन गए थे। ऐसे किसानों के कर्ज पर लगने वाले ब्याज की भाजपा की शिवराज सरकार ने माफी करने की घोषणा की थी। इसके लिए सरकार ने 31 मई तक आवेदन बुलाए थे। तय समय सीमा निकल जाने के बाद भी 2.69 लाख किसानों ने ब्याज माफी के लिए आवेदन ही नहीं दिए हैं। यह बात अलग है कि अब भी सरकार ने ऐसे किसानों के लिए आवेदन जमा करने की सुविधा जारी रखी है। अब सरकार को यह चिंता है कि अगर इन किसानों द्वारा आवेदन नहीं किया गया तो उनका ब्याज माफ नहीं हो पाएगा। इसकी वजह से न केवल वे डिफाल्टर बने रहेंगे, बल्कि उन्हें क्रेडिट पर खाद का अग्रिम उठाव करने से भी वंचित रहना पड़ेगा। इतनी बड़ी संख्या में किसानों द्वारा ब्याज माफी के लिए आवेदन नहीं करना सरकार के लिए भी अप्रत्याशित है। इसके उलट सरकार को उम्मीद थी कि 31 मई तक कमोबेश सभी डिफाल्टर किसान सरकार की ब्याज माफी के लिए आवेदन दे देंगेे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। दरअसल सरकार को इस चुनावी साल में किसानों की याद आ रही है। यही वजह है कि सरकार उनको लेकर कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। अब बचे हुए किसानों के लिए इस योजना का लाभ उठाने के लिए नवंबर तक का समय तय किया गया है। दरअसल इसके लिए बनाए गए नियमों के तहत किसानों का ब्याज तभी माफ हो सकेगा , जबकि वे आवेदन देंगे।
इन्हे नहीं मिलेगा लाभ
सांसद, विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष, नगर पालिका, नगर पंचायत, नगर निगम के अध्यक्ष अथवा महापौर, कृषि उपज मण्डी के अध्यक्ष, सहकारी बैंकों के अध्यक्ष, केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा गठित निगम, मण्डल अथवा बोर्ड के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष, समस्त आयकरदाता, केन्द्रीय और प्रदेश सरकार के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को छोडक़र समस्त शासकीय अधिकारी-कर्मचारी तथा निगम, मण्डल, अर्धशासकीय संस्थाओं में कार्यरत अधिकारी-कर्मचारी, भूतपूर्व सैनिकों को छोडक़र 15 हजार रूपये प्रतिमाह या उससे अधिक पेंशन प्राप्तकर्ता, जीएसटी में 2 दिसम्बर, 2018 या उससे पूर्व पंजीकृत व्यक्ति, फर्म, फर्म के संचालक या फर्म के भागीदार मुख्यमंत्री कृषक ब्याज माफी योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के पात्र नहीं होंगे।
अगले माह से कर सकेंगे अग्रिम उठाव
ब्याज माफी योजना के तहत जो किसान डिफाल्टर की श्रेणी से बाहर आ जाएंगे, वे एक जुलाई से खाद का अग्रिम उठाव कर सकते हैं। ऐसे डिफॉल्टर किसान, जिन पर प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों यानी पैक्स के 31 मार्च, 2023 की स्थिति में मूल एवं ब्याज को मिला कर 2 लाख रुपए तक का ऋण बकाया है। ऐसे सभी किसानों के ब्याज की भरपाई राज्य सरकार कर देगी। इस योजना को पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 12 जून को राजगढ़ में एक भव्य कार्यक्रम में शुरु करने जा रहे थे , लेकिन अब 12 जून का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है। इसकी जगह फिलहाल नई तारीख तय नहीं की गई है।
21 सौ करोड़ है ब्याज
प्रदेश के किसानों पर फिलहाल 3356.28 करोड़ रुपए का कर्ज है , जिस पर अब तक 2122.71 करोड़ रुपए का ब्याज है। यह ब्याज की रकम 11.19 लाख किसानों पर बकाया है। इस तरह से किसानों पर कुल बकाया राशि 5478.99 करोड़ रुपए बताई जा रही है। प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री कृषक ब्याज माफी योजना-2023 के जरिए जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों से संबद्ध प्राथमिक कृषि शाखा सहकारी समितियों से जुड़े किसान जिन पर 31 मार्च 2023 तक मूलधन एवं ब्याज सहित कुल 2 लाख रुपये देना बाकी हैं और जो डिफाल्टर घोषित किए गए हैं, उन्हें इसका फायदा दिया जाना है।
मूल चुकाने पर ही मिलेगा खाद
डिफाल्टर किसानों द्वारा अभी तक कर्ज की मूल राशि का भुगतान नहीं किया गया है। बयाज माफी के लिए अभी आवेदन ही जामा हुए हैं। ब्याज माफ होना शुरु अभी नहीं हुआ है। इस योजना में किसानों को खाद उपलब्ध कराने की विशेष सुविधा मिली है, लेकिन उसके लिए तय की गई शर्त के मुताबिक जितनी राशि किसान अपने ऋण खाते में नगद जमा करेंगे, उतनी राशि तक का खाद वे समिति से क्रडिट पर ले सकते हैं। इसकी वजह से यह जरुर है कि किसानों की क्रेडिट लिमिट बढ़ जाएगी। योजना की अंतिम तिथि 30 नवम्बर तय की गई है। यह वेा समय है जब प्रदेश में चुनावी प्रक्रिया अंतिम समय में चल रही होगी। इसमें किए गए प्रावधान के मुताबिक सरकार ब्याज माफी कर उन्हें नया कर्ज जारी करेगी, नए कर्ज की राशि को पुराने कर्ज में शामिल कर दिया जाएगा। इस तरह किसान फिलहाल ओवरड्यू से मुक्त हो जाएंगे, लेकिन भले ही उनकी ब्याज की राशि सरकार देगी , लेकिन मूल ऋण की राशि उन्हें हर हाल में अगले वित्त वर्ष तक जमा करनी होगी, नहीं तो वे फिर से उसके बाद डिफाल्टर की श्रेणी में आ जापएंगे।