वृंदावन ग्राम बनेगा किसानों की खुशहाली का आधार

वृंदावन
  • आंगनबाडिय़ों के माध्यम से होगी किसानों के उत्पादों की मार्केटिंग
  • विनोद उपाध्याय

मीणों को पशुपालन से जोडक़र उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार लाने और जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए मप्र के 313 विकासखंडों में एक-एक वृंदावन ग्राम बनाए जाएंगे। इसके लिए राज्य सरकार उन ग्रामों का चयन करेगी, जहां न्यूनतम जनसंख्या दो हजार और कम से कम पांच सौ गोवंश होंगे। वहीं प्रदेश की आंगनबाडिय़ों को अब वृंदावन ग्रामों से जोड़ा जाएगा। यह कदम वृंदावन ग्रामों में गोपालन के तहत उत्पादित दूध की खपत को सुनिश्चित करने के लिए उठाया जा रहा है। दूध आंगनबाडिय़ों को मुहैया कराया जाएगा। इस पर कार्ययोजना तैयार होगी। अन्य गो उत्पादों की मार्केटिंग से लेकर बिक्री का प्लान भी बनेगा। इस पर काम शुरू हो गया है।  गौरतलब है कि वृंदावन गांवों का मुख्य उद्देश्य दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देना और किसानों की आय को दोगुना करना है। साथ ही, इन गांवों को भगवान श्रीकृष्ण के आदर्शों का प्रचारक बनाया जाएगा। इसका एक आधार पशुओं के लिए चारे, पानी के साथ परिवहन की अच्छी व्यवस्था भी रखा गया है। ग्राम का चयन प्रभारी मंत्री के परामर्श से कलेक्टर करेंगे। योजना के पर्यवेक्षण के लिए जिला अधिकारियों की समिति भी बनाई जाएगी।
आर्थिक सम्पन्नता है उद्देश्य
दूध, गोमूत्र, गोबर व जैविक खाद को लेकर कार्ययोजना पर काम होना है। दूध के लिए खपत के तौर पर आंगनबाडिय़ों को भी रखा गया है। जिन वृंदावन ग्रामों में दूध उत्पादन ज्यादा होगा, वहां पर समीपस्थ आंगनबाडिय़ों में आपूर्ति को लेकर नियमावली बनेगी। नीति में प्रावधान किया जा चुका है। गो-उत्पादों को लेकर कॉर्पोरेट कनेक्टिविटी से लेकर सोशल कनेक्टिविटी तक का रोडमैप है। राज्यमंत्री पशुपालन विभाग लखन पटेल का कहना है कि गो उत्पाद बेचने में कॉर्पोरेट इंडस्ट्री का सहयोग लिया जाएगा। सामाजिक संस्थाओं को भी इससे जाड़ा जाएगा। गो उत्पादों की मार्केटिंग से लेकर बिक्री और खपत तक को लेकर प्लान है। इससे आर्थिक सशक्तीकरण की राह मजबूत होगी।
उत्पादों की होगी मार्केटिंग
नई योजना के तहत प्रदेश की आंगनबाडिय़ों को अब वृंदावन ग्रामों से कनेक्ट किया जाएगा। यह कदम वृंदावन ग्रामों में गोपालन के तहत उत्पादित दूध की खपत को सुनिश्चित करने के लिए उठाया जा रहा है। दूध आंगनबाडिय़ों को मुहैया कराया जाएगा। इस पर कार्ययोजना तैयार होगी। अन्य गो उत्पादों की मार्केटिंग से लेकर बिक्री का प्लान भी बनेगा। इस पर काम शुरू हो गया है। अगले वित्तीय वर्ष तक अमल हो सकता है। राज्य सरकार ने 313 ब्लॉक में एक-एक वृंदावन ग्राम तैयार करने का निर्णय लिया है। न्यूनतम दो हजार की आबादी और न्यूनतम 500 गोवंश वाले गांव को वृंदावन ग्राम के तहत चयनित किया जा रहा है। सितंबर 2024 में सरकार ने वृंदावन ग्राम बनाने का निर्णय किया था। इसके बाद नीति भी तैयार की गई। अब क्रियान्वयन के लिए गाइडलाइन दी गई है। सक्रिय ग्राम पंचायत वाले ग्राम को चयनित करना होगा। वृंदावन ग्राम में कृषि से लेकर गोपालन तक होगा। सात विभागों को सीधे तौर पर कनेक्ट किया गया है। गोउत्पादों की खपत आसान हो इसके लिए वृंदावन ग्राम को बड़े शहर के नजदीक ही चयनित किया जाना है।
प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित
खेती रोजगार देने के साथ अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार है और इसे विस्तार देने के लिए सरकार ने कार्ययोजना बनाई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मंशा के अनुसार प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसी क्रम में सरकार ने प्रत्येक विकासखंड में एक वृंदावन ग्राम बनाने का निर्णय लिया है। इस ग्राम में गोवंश के संरक्षण और संवर्धन के लिए नस्ल सुधार के माध्यम से दुग्ध उत्पादन में वृद्धि, प्राकृतिक खेती के लिए जैविक खाद के उपयोग, उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग, कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण जैसी गतिविधियां संचालित की जाएंगी। योजना के क्रियान्वयन के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने सभी कलेक्टर और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को ग्राम चिन्हित करने और पर्यवेक्षक के लिए समिति गठित करने के निर्देश दिए हैं।
मार्केटिंग के साथ ब्रांडिंग पर रहेगा पूरा जोर
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि वृंदावन ग्राम में गाय से प्राप्त उत्पाद की मार्केटिंग की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। इसके लिए स्व-सहायता समूह तैयार किए जाएंगे। इन्हें प्रशिक्षण भी दिलाया जाएगा। स्थानीय, राष्ट्रीय मेल, किसान बाजारों और प्रदर्शनी में उत्पाद प्रदर्शित किए जाएंगे। चारा उत्पादन के लिए कृषि विभाग किसानों को प्रोत्साहित करेगी। इसके लिए फसल की जानकारी दी जाएगी। गोचर भूमि का संरक्षण और विस्तार पर ध्यान दिया जाएगा। केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं को क्रियान्वित कराया जाएगा। वृंदावन ग्राम के लिए वित्तीय आवश्यकता की पूर्ति राज्य के बजट के अलावा विभिन्न कंपनियों के सीएसआर फंड से कराई जाएगी। इसके लिए औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग जिलों से प्राप्त विभिन्न कंपनियों के कार्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के प्रस्तावों पर समन्वय करेगा।

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